लखनऊ। नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ पिछले 66 दिनों से घंटाघर, लखनऊ पर चल रहे महिलाओं के आंदोलन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए कल धरने को सांकेतिक बनाने का फैसला लिया था कि धरना दे रही महिलाओं की संख्या सीमित रखी जाएगी और संक्रमण से बचने के सभी उपाय अपनाए जाएंगे जिससे धरना भी प्रभावित न हो। इसके साथ ही दिल्ली के शाहीन बाग में भी सांकेतिक धरना जारी है। यहां सिर्फ चार महिलाएं धरने पर रहेंगी। जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के बाहर जारी धरना खत्म कर दिया गया है।त
बता दें कि कोरोना को लेकर सावधानी बरतते हुए लखनऊ के घंटाघर की महिलाओं ने कल एक अपील जारी कर इस बात को मीडिया के माध्यम से प्रशासन तक भी पहुचाया था लेकिन आज जैसे ही महिलाओं की संख्या नियंत्रित हुई प्रशासन ने उनको डराना धमकाना शुरू कर दिया। यह खबर फैलते ही महिलाएं घरों से निकल कर घंटाघर पहुंचने लगी।
इस मामले पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम फिर से अपील करते हैं कि शांतिपूर्ण चल रहे धरने को सीमित कर रहे हैं और प्रशासन से मांग करते हैं कि धरने के को बिना परेशानी के चलने दें। जिससे धरना भी चलता रहे और भीड़ भी न हो। हम कोरोना वायरस से लड़ने में देश के साथ हैं व देश के संविधान को बचाने की लड़ाई भी जारी रखेंगे।
मुंबई के मोरलैंड रोड पर भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले 50 दिनों से प्रदर्शन चल रहा था। सोमवार को कोरोना संक्रमण के खतरे और लॉकडाउन को देखते हुए इसे भी सांकेतिक कर दिया गया।
शाही ईदगाह के आयोजकों ने सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा हुए बिना CAA-NPR-NRC के खिलाफ अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया है। वे कहते हैं कि वे, "कोविद -19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए मानवता के नाम पर एक सुरक्षा उपाय के रूप में ऐसा कर रहे हैं,"।/8/8
“हम कोविद -19 महामारी के बारे में बेहद चिंतित हैं और विशेष रूप से हमारे देश के लिए जो अनोखी चुनौतियां हैं, उन्हें पूरी तरह से पहचानते हैं। हम अपने पड़ोसियों, हमारे शहर के निवासियों और हमारे देश के लोगों के बारे में गहराई से परवाह करते हैं, क्योंकि वे, इसमें कोई संदेह नहीं है, भारत के सीमांत समूहों और समुदायों के लिए CAA-NPR-NRC के गंभीर परिणामों के बारे में हमें और हमारी चिंताओं के बारे में परवाह है। ”
“हम लोगों के लिए लड़ रहे हैं। आजाद मार्केट के एक आयोजक ने सबरंग को कल बताया था कि हम कोरोनावायरस के खतरे से निपटने के लिए आवश्यक कदमों के मद्देनजर 31 मार्च तक अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बता दें कि कोरोना को लेकर सावधानी बरतते हुए लखनऊ के घंटाघर की महिलाओं ने कल एक अपील जारी कर इस बात को मीडिया के माध्यम से प्रशासन तक भी पहुचाया था लेकिन आज जैसे ही महिलाओं की संख्या नियंत्रित हुई प्रशासन ने उनको डराना धमकाना शुरू कर दिया। यह खबर फैलते ही महिलाएं घरों से निकल कर घंटाघर पहुंचने लगी।
इस मामले पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम फिर से अपील करते हैं कि शांतिपूर्ण चल रहे धरने को सीमित कर रहे हैं और प्रशासन से मांग करते हैं कि धरने के को बिना परेशानी के चलने दें। जिससे धरना भी चलता रहे और भीड़ भी न हो। हम कोरोना वायरस से लड़ने में देश के साथ हैं व देश के संविधान को बचाने की लड़ाई भी जारी रखेंगे।
मुंबई के मोरलैंड रोड पर भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले 50 दिनों से प्रदर्शन चल रहा था। सोमवार को कोरोना संक्रमण के खतरे और लॉकडाउन को देखते हुए इसे भी सांकेतिक कर दिया गया।
शाही ईदगाह के आयोजकों ने सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा हुए बिना CAA-NPR-NRC के खिलाफ अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया है। वे कहते हैं कि वे, "कोविद -19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए मानवता के नाम पर एक सुरक्षा उपाय के रूप में ऐसा कर रहे हैं,"।/8/8
“हम कोविद -19 महामारी के बारे में बेहद चिंतित हैं और विशेष रूप से हमारे देश के लिए जो अनोखी चुनौतियां हैं, उन्हें पूरी तरह से पहचानते हैं। हम अपने पड़ोसियों, हमारे शहर के निवासियों और हमारे देश के लोगों के बारे में गहराई से परवाह करते हैं, क्योंकि वे, इसमें कोई संदेह नहीं है, भारत के सीमांत समूहों और समुदायों के लिए CAA-NPR-NRC के गंभीर परिणामों के बारे में हमें और हमारी चिंताओं के बारे में परवाह है। ”
“हम लोगों के लिए लड़ रहे हैं। आजाद मार्केट के एक आयोजक ने सबरंग को कल बताया था कि हम कोरोनावायरस के खतरे से निपटने के लिए आवश्यक कदमों के मद्देनजर 31 मार्च तक अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे।