मोदी सरकार में मजबूत होने के बजाए कमजोर हुआ भारतीय पासपोर्ट

Written by Girish Malviya | Published on: October 13, 2018
'हमारे आने से भारतीय पासपोर्ट की ताकत बढ़ी है'........ 'विदेशों में अब भारत का डंका बज रहा है' .........यह जुमले मोदी जी हर भाषण में फेंकते आए हैं ओर मोदी भक्त को 'वाह मोदी जी वाह' करने से फुर्सत नही है लेकिन इस मामले की हकीकत क्या है यह जानना बहुत जरूरी है.



जिस देश के पासपोर्ट पर सबसे ज्यादा देश वीजा ऑन एराइवल की सुविधा देते हैं, उस देश का पासपोर्ट ज्यादा शक्तिशाली(पॉवरफुल) माना जाता है.

अमेरिकी फर्म हेन्ले ने पासपोर्ट इंडेक्स जारी की है जिसमे पता चला है कि मोदी राज में भारतीय पासपोर्ट मजबूत होने के बजाए कमजोर हुआ है मोदी जी के राज में भारत 5 साल में 5 रैंकिंग नीचे आ गया है.

इस रैंकिंग के सामने आने से पता चला है कि भारत का पासपोर्ट एशिया के सबसे छोटे देश मालदीव से भी कमजोर है, भारत के पासपोर्ट पर आपको जहां सिर्फ 60 देशों में बिना वीजा के जाने की सुविधा मिलती है, वहीं मालदीव जैसे छोटे देश के पासपोर्ट पर दुनिया के 87 देश बिना वीजा के लोगों को आने की सुविधा देते हैं. इस सुविधा को वीजा ऑन एराइवल कहते हैं.

मालदीव को 58 वीं रैंक मिली है, वहीं भारत को इससे काफी कम 81 वें स्थान से संतोष करना पड़ा है 2014 में भारत की रैंकिंग 77 वी थी जापान न 1 पर बना हुआ है क्योंकि जापानी पासपोर्ट दुनिया के 190 देशों में वीसा-फ्री एंट्री दिलाने में मान्य हो गया है.

2006 में भारत 71वें नंबर पर था वहाँ से अब तक 10 रैंक की गिरावट आ चुकी है, 2015 में भारत की रैंकिंग सबसे खराब 88वें पायदान पर रही थी.

पासपोर्ट रैंकिंग को इस आधार पर अहम माना जाता है कि ये किसी भी देश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों की स्थिति भी दर्शाता है, यानी विदेशों से संबंध भी मोदी राज में खराब ही हुए हैं इस आधार पर भी देखा जाए तो UPA के शासन काल मे भारतीय पासपोर्ट की स्थिति मोदी राज से बहुत बेहतर थी क्योंकि 2006 में भारत 71वें नंबर पर था ओर 2017 में 88 पर पुहंच गया.

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