भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को कमजोर करती मोदी सरकार

Written by Girish Malviya | Published on: October 28, 2018
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने मुंबई में आयोजित हुए 'ए डी श्रॉफ मेमोरियल लेक्चर' में जो बातें कही है वह बेहद गंभीर है ओर बड़ी बात यह है कि विरल आचार्य इस विषय पर रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की 'सलाह' पर ही अपनी बात रख रहे थे, ...........उन्होंने साफ साफ कहा कि "यदि सरकार केन्द्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करेगी, वह भविष्य में वित्तीय बाजार की अनियमितता और तेजी से बढ़ते आर्थिक विकास के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है."



विरल आचार्य ने मोदी सरकार की मनमानी नीतियों का विरोध करते हुए कहा कि सरकार द्वारा चुनावों को ध्यान में रखते हुए टी 20 क्रिकेट मैच की तरह फैसले लेना वित्तीय अनियमित्तता को बढ़ावा देगा। जबकि रिजर्व बैंक टेस्ट मैच खेलता है, जिसमें वह हर सेशन में जीत हासिल करने पर फोकस करता है.

विरल आचार्य ने अपने उदबोधन में रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर हुए हमले को रेखांकित किया उनके अनुसार केन्द्रीय बैंक सरकार द्वारा अपने फैसले लागू करने का कोई विभाग नहीं है बल्कि रिजर्व बैंक को कानून के तहत शक्तियां दी गई हैं.

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने अपने भाषण के दौरान बताया कि इस सरकार द्वारा आरबीआई की स्वायत्तता को तीन तरह से कमजोर किया जा रहा है-

(1) आरबीआई द्वारा पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों का रेग्यूलेशन को कमजोर किया जाना
(2) सरकार को अधिशेष हस्तांतरित किए बिना रिजर्व बनाए रखने का विशेषाधिकार खत्म करना 
(3) एक अलग पेमेंट रेग्यूलेटर बनाकर रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र को कम करना

साफ है कि अब आवाजे अंदरखाने से उठने लगी है और शीर्ष स्तर की ब्यूरोक्रेसी अब देश के संवैधानिक ढांचे से की जा रही छेड़छाड़ पर सवाल उठा रही है वह समझ रहे है यदि यह सरकार दुबारा आती है तो सिर्फ और सिर्फ तानाशाही के अलावा कुछ भी नही करेंगे.

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