विनिवेश नहीं, पूर्ण निजीकरण

Written by Girish Malviya | Published on: September 7, 2020
आपने शेखचिल्ली की कहानी सुनी होगी जिसमें शेखचिल्ली रोज एक एक अंडा हासिल करने के बजाए एक साथ ही सारी मुर्गियों का पेट काटकर सारे अंडे एक ही दिन में हासिल कर लेना चाहता है। अब जो नीति मोदी सरकार अपना रही है वो शेखचिल्ली की ही नीति है, पहले हमें लग रहा था सरकार अपने थोड़े बहुत शेयर बेच कर पैसा निकालेगी लेकिन नोटबन्दी GST ओर ड्रेकोनियन लॉक डाउन के सम्मिलित प्रभाव से अब सरकार अपनी सम्पूर्ण भागीदारी बेचने के चक्कर में है और वो भी एक नही पूरी 26 सरकारी कम्पनियों में।



पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि करीब 22-23 पब्लिक सेक्टर कंपनियों का निजीकरण होना है, लेकिन अब एक आरटीआई से पूरी 26 कंपनियों के नाम पता चले हैं। (लिस्ट अंत में दी गई है)

आप जानते हैं कोरोना काल से पहले से ही दुनिया निजीकरण का नही बल्कि राष्ट्रीयकरण का जोर चल रहा है लेकिन भारत की मोदी सरकार उल्टी धुन बजा रही है। फ्रांस की सरकार देश की अर्थव्यवस्था पर हो रहे कोरोनावायरस के संक्रमण के असर से बड़ी कंपनियों को दिवालिया होने से बचाने के लिए उनके नेशनलाइज करने पर विचार करने जा रही है और यहाँ भारत की मोदी सरकार देश की बड़ी 26 सरकारी कम्पनियों को प्राइवेट हाथो में बेचने के लिए एक टांग पर तैयार खड़ी हुई है।

ब्रिटेन की भी यही हालत यह है कि कुछ साल पहले यात्रियों के दबाव के कारण सरकार को कई रेलमार्गों का पुनः राष्ट्रीयकरण करने पर मजबूर होना पड़ा है। 16 मई 2018 को, ब्रिटेन के परिवहन मंत्री ने घोषणा की कि पूर्वी तट रेल लाइन को राज्य नियंत्रण के तहत निजी कंपनियों से वापस ले लिया जाएगा जबकि भारत रेलवे को पूरी तरह से प्राइवेट करने की तैयारी की जा रही है।

दरअसल रेलवे, एयरलाइंस, एयरपोर्ट, बंदरगाहों ओर हाइवे परियोजना को बेचने का मतलब है कि आप अपना पूरा कंट्रोल खो रहे है यह तीनों बहुत ही स्ट्रेटेजिक परिसम्पत्तिया मानी जाती है सुरक्षा के लिहाज से।

भारत पहले ही संचार के साधनो पर कब्जा खो चुका है। अब वह अपनी ट्रांसमिशन लाइनों, टेलिकॉम टावरों, गैस पाइपलाइनों कंटेनर कॉर्पोरेशन, शिपिंग कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम जैसी एंटिटी को खो रहा है।

इसका मतलब साफ है कि जो इन पिछले 65 सालों में आपने कमाया है वो आज आप अपने 6 सालो में बेच रहे हो अब सिर्फ प्रतीक्षा है। नयी ईस्ट इंडिया के आने की ओर मेरे विचार से वह इन अमेरिकी मल्टीनेशनल के रूप में आ भी चुकी है।

1. Project & Development India Limited (PDIL)
2. Engineering Projects India Limited (EPIL)
3. Pawan Hans Limited (PHL)
4. B&R Company Limited (B&R)
5. Air India
6. Central Electronics Limited(CEL)
7. Cement Corporation India Limited CCIL (Nayagaon unit)
8. Indian Medicine & Pharmaceuticals Corporation Ltd. (IMPCL)
9. Salem Steel Plant, Bhadrawati Steel Plant, Durgapur Steel plant
10.Ferro Scrap Nigam Ltd. (FSNL)
11.Nagarnar Steel Plant of NDMC
12.Bharat Earth Movers Limited (BEML)
13.HLL Lifecare
14.Bharat Petroleum Corporation Ltd. (BPCL)
15.Shipping Corporation of India Ltd. (SCI)
16.Container Corporation of India Ltd (CONCOR)
17.Nilachal Ispat Nigam Limited (NINL).
18.Hindustan Prefab Limited (HPL)
19.Bharat Pumps and Compressors Ltd (BCPL)
20.Scooters India Ltd (SIL)
21.Hindustan Newsprint Ltd (HNL)
22.Karnataka Antibiotics & Pharmaceuticals Ltd (KAPL)
23.Bengal Chemicals and Pharmaceuticals Ltd. (BCPL)
24.Hindustan Antibiotics Ltd. (HAL)
25.Indian Tourism Development Corporation (ITDC)
26.Hindustan Fluorocarbon Ltd (HFL)

(लेखक पत्रकार व आर्थिक मामलों के जानकार हैं। यह लेख उनके फेसबुक पोस्ट से साभार लिया गया है।)

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