तिरुवनंतपुरम। तीन दशक से अधिक समय तक मछुआरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले टी पीटर का 8 अक्टूबर को कोविड 19 से जुड़ी समस्याओं के कारण निधन हो गया, वह 62 वर्ष के थे।

अंत तक लड़ने वाले पीटर समुद्री इको सिस्टम के संरक्षण के लिए योद्धा थे और पारंपरिक मछुआरों की रक्षा करने के लिए हमेशा आगे रहते थे, वह राहगीरों से भारी चुनौतियों का सामना कर रहे थे। वह केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय मत्स्य नीति 2020 के कॉर्पोरेट समर्थक ड्राफ्ट के खिलाफ एक मजबूत अभियानकर्ता भी थे।
पीटर केरल से थे और राष्ट्रीय मछुआरा फोरम के महासचिव थे, उन्होंने 28 सितंबर को प्रस्तावित नौवहर गलियारे (Shipping Corridor) के खिलाफ कोल्लम में बड़ा विरोध प्रदर्शन भी किया था। उन्हें एक सप्ताह पहले केरल की राजधानी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उनके निधन को नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स, दिल्ली सॉलिडैरिटी ग्रुप, कोस्टल एक्शन नेटवर्क, पाकिस्तान इंडिया पीपुल्स फोरम फोर पीस एंड डेमोक्रेसी और थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क समेत विभिन्न संगठनों ने एक अपूरणीय क्षति करार दिया है।

अंत तक लड़ने वाले पीटर समुद्री इको सिस्टम के संरक्षण के लिए योद्धा थे और पारंपरिक मछुआरों की रक्षा करने के लिए हमेशा आगे रहते थे, वह राहगीरों से भारी चुनौतियों का सामना कर रहे थे। वह केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय मत्स्य नीति 2020 के कॉर्पोरेट समर्थक ड्राफ्ट के खिलाफ एक मजबूत अभियानकर्ता भी थे।
पीटर केरल से थे और राष्ट्रीय मछुआरा फोरम के महासचिव थे, उन्होंने 28 सितंबर को प्रस्तावित नौवहर गलियारे (Shipping Corridor) के खिलाफ कोल्लम में बड़ा विरोध प्रदर्शन भी किया था। उन्हें एक सप्ताह पहले केरल की राजधानी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उनके निधन को नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स, दिल्ली सॉलिडैरिटी ग्रुप, कोस्टल एक्शन नेटवर्क, पाकिस्तान इंडिया पीपुल्स फोरम फोर पीस एंड डेमोक्रेसी और थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क समेत विभिन्न संगठनों ने एक अपूरणीय क्षति करार दिया है।