कॉर्पोरेट घरानों को बैंक खोलने की मंजूरी को सिफारिश करने की रघुराम राजन ने की आलोचना

Written by sabrang india | Published on: November 25, 2020
भारतीय रिजर्व बैंक के एक पैनल ने हाल ही में कॉर्पोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश की थी। हालांकि अब इस सिफारिश की आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने आलोचना की है। दोनों ने कहा है कि कॉर्पोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने का प्रस्ताव एक बुरा विचार है।



आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य दोनों ही कॉर्पोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश से सहमति नहीं रखते हैं। दोनों का कहना है कि मौजूदा हालात में ये विचार सही नहीं है। राजन और आचार्य ने एक संयुक्त लेख लिखा है, जिसमें इस प्रस्ताव को एक 'बुरा विचार' करार दिया है और फिलहाल के लिए छोड़ देने की बात कही गई है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर प्रकाशित एक लेख में उन्होंने सिफारिश को लेकर किए गए लेख में लिखा, 'यह कुछ व्यावसायिक घरानों में आर्थिक (और राजनीतिक) शक्ति की एकाग्रता को और बढ़ाएगा ' लेख में उस प्रस्ताव की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया गया है, जब भारत अभी भी IL&FS और येस बैंक जैसी विफलताओं से सबक सीखने की कोशिश कर रहा है।

लेख में कहा गया है, 'भारतीय रिजर्व बैंक के आंतरिक कार्य समूह के जरिए प्रस्तावित कई सिफारिशें अपनाने के लायक है, लेकिन भारतीय कॉर्पोरेट घरानों को बैंकिंग में अनुमति देने की मुख्य सिफारिश को फिलहाल अलग रखना चाहिए. बैंकिंग का इतिहास बेहद अच्छा नहीं रहा है। जब बैंक के मालिक पर ही कर्ज होगा तो ऐसे हालात में बैंक अच्छा ऋण कैसे दे सकेगा?'

दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के एक पैनल इंटरनल वर्किंग ग्रुप ने हाल ही में कुछ सिफारिशें की थीं। इनमें प्राइवेट बैंकों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी को बढ़ाने का सुझाव दिया गया। इसके साथ ही बड़े कॉर्पोरेट घरानों को बैंकिंग लाइसेंस देने की सिफारिश भी की गई है। आरबीआई पैनल का सुझाव है कि 50 हजार करोड़ रुपये की एसेट साइज वाली बड़ी एनबीएफसी को भी बैंकिंग लाइसेंस दिया जा सकता है, बशर्ते उन्होंने अपने ऑपरेशन का दस साल पूरा कर लिया है।

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