दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 5 छात्रों को विश्विद्यालय प्रशासन की ओर से ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस में कहा गया है कि सम्बंधित छात्रों ने जामिया के नियमों का उल्लंघन किया है और विश्विद्यालय की छवि बिगाड़ने की कोशिश की है। छात्रों पर सुरक्षाकर्मियों को धमकाने का भी आरोप लगा है।
न्यूजलॉन्ड्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते 5 अक्टूबर को जामिया के ‘फैकल्टी ऑफ़ आर्किटेक्चर एंड एकिस्टिक्स’ द्वारा ‘ग्लोबल हेल्थ ज़ेनिथ कॉनफ्लुएंस’ का आयोजन किया गया था। आयोजन के एक पोस्टर पर इज़राइल को ‘कंट्री पार्टनर’ के रूप में दिखाया गया। हालांकि प्रशासन की ओर से कहा गया है कि आठ दिवसीय इस कार्यक्रम में इजराइल के प्रतिनिधि बस हिस्सा लेने वाले थे।
छात्रों द्वारा इस मौके पर फिलिस्तीन पर इजराइली हमले और कश्मीर में बीते 2 महीनों से जारी ‘कम्युनिकेशन ब्लॉकेज’ का संयुक्त रूप से विरोध किया जा रहा था। यह प्रदर्शन बीते 5 अक्टूबर को आयोजन स्थल के बाहर किया गया था जिसमें छात्रों ने हाथ में प्लेकार्ड्स लेकर विरोध किया था। छात्रों का आरोप है कि विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन द्वारा उनके साथ धक्का-मुक्की और मार-पीट की गई थी और अब प्रशासन अपनी गलती मानने की जगह उन्हें नोटिस दे रहा है।
जामिया की छात्र सुमेधा पोद्दार बताती हैं, “इजराइल का जामिया जैसे एक मुस्लिम बाहुल्य संस्थान के साथ मिलकर ऐसे किसी कार्यक्रम का आयोजन करना दरअसल फिलिस्तीन पर उसके द्वारा किये गये अत्याचार पर पर्दा डालने की कोशिश है। हम इस आयोजन के खिलाफ़ थे इसलिए हमने 5 अक्टूबर को जामिया में प्लेकार्ड्स दिखा कर शांतिपूर्ण तरीके से इसका विरोध किया।
न्यूजलॉन्ड्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते 5 अक्टूबर को जामिया के ‘फैकल्टी ऑफ़ आर्किटेक्चर एंड एकिस्टिक्स’ द्वारा ‘ग्लोबल हेल्थ ज़ेनिथ कॉनफ्लुएंस’ का आयोजन किया गया था। आयोजन के एक पोस्टर पर इज़राइल को ‘कंट्री पार्टनर’ के रूप में दिखाया गया। हालांकि प्रशासन की ओर से कहा गया है कि आठ दिवसीय इस कार्यक्रम में इजराइल के प्रतिनिधि बस हिस्सा लेने वाले थे।
छात्रों द्वारा इस मौके पर फिलिस्तीन पर इजराइली हमले और कश्मीर में बीते 2 महीनों से जारी ‘कम्युनिकेशन ब्लॉकेज’ का संयुक्त रूप से विरोध किया जा रहा था। यह प्रदर्शन बीते 5 अक्टूबर को आयोजन स्थल के बाहर किया गया था जिसमें छात्रों ने हाथ में प्लेकार्ड्स लेकर विरोध किया था। छात्रों का आरोप है कि विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन द्वारा उनके साथ धक्का-मुक्की और मार-पीट की गई थी और अब प्रशासन अपनी गलती मानने की जगह उन्हें नोटिस दे रहा है।
जामिया की छात्र सुमेधा पोद्दार बताती हैं, “इजराइल का जामिया जैसे एक मुस्लिम बाहुल्य संस्थान के साथ मिलकर ऐसे किसी कार्यक्रम का आयोजन करना दरअसल फिलिस्तीन पर उसके द्वारा किये गये अत्याचार पर पर्दा डालने की कोशिश है। हम इस आयोजन के खिलाफ़ थे इसलिए हमने 5 अक्टूबर को जामिया में प्लेकार्ड्स दिखा कर शांतिपूर्ण तरीके से इसका विरोध किया।