गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश का पहला डिटेंशन सेंटर गुपचुप तरीके से बनकर तैयार हो गया है। खबरों के मुताबिक गाजियाबाद से सटे नंदग्राम में यह डिटेंशन सेंटर तैयार हो गया है। इस पर बीते एक साल से काम चल रहा था। इस डिटेंशन सेंटर में यूपी में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को रखा जाएगा। अक्टूबर में इस डिटेंशन सेंटर के उद्घाटन की संभावना भी जताई जा रही है।
इस डिटेंशन सेंटर की दीवारों पर काफी ऊंचाई तक तारबंदी कर दी गई है। इसके साथ ही वहां बिजली, पानी, पंखे और शौचालय की सुविधा की भी व्यवस्था कर दी गई है। इसके साथ ही इस डिटेंशन सेंटर की इमारत की रंगाई-पुताई और मरम्मत का कार्य पूरा कर दिया गया है।
खबरों के मुताबिक इस डिटेंशन सेंटर की क्षमता 100 अवैध विदेशी नागरिकों को रखने की है। सुरक्षा की भी पुख्ता व्यवस्था कर दी गई है। सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए मार्च माह में तत्कालीन एसपी सिटी मनीष मिश्र ने सेंटर का निरीक्षण किया था।
नंदग्राम में दलित छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग दो आंबेडकर छात्रावास बनाए गए थे। दोनों छात्रावास की क्षमता 408 छात्र-छात्राओं की है। इसका उद्घाटन 15 जनवरी 2011 को हुआ था। पिछले कई साल से छात्राओं वाला छात्रावास बंद है। देखरेख नहीं होने के कारण इसकी इमारत जर्जर हो चुकी थी। छात्राओं वाले छात्रावास को डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए केंद्र सरकार से बजट जारी हुआ था। ठेका मेरठ की एक निर्माण एजेंसी को दिया गया था।
इस डिटेंशन सेंटर की दीवारों पर काफी ऊंचाई तक तारबंदी कर दी गई है। इसके साथ ही वहां बिजली, पानी, पंखे और शौचालय की सुविधा की भी व्यवस्था कर दी गई है। इसके साथ ही इस डिटेंशन सेंटर की इमारत की रंगाई-पुताई और मरम्मत का कार्य पूरा कर दिया गया है।
खबरों के मुताबिक इस डिटेंशन सेंटर की क्षमता 100 अवैध विदेशी नागरिकों को रखने की है। सुरक्षा की भी पुख्ता व्यवस्था कर दी गई है। सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए मार्च माह में तत्कालीन एसपी सिटी मनीष मिश्र ने सेंटर का निरीक्षण किया था।
नंदग्राम में दलित छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग दो आंबेडकर छात्रावास बनाए गए थे। दोनों छात्रावास की क्षमता 408 छात्र-छात्राओं की है। इसका उद्घाटन 15 जनवरी 2011 को हुआ था। पिछले कई साल से छात्राओं वाला छात्रावास बंद है। देखरेख नहीं होने के कारण इसकी इमारत जर्जर हो चुकी थी। छात्राओं वाले छात्रावास को डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए केंद्र सरकार से बजट जारी हुआ था। ठेका मेरठ की एक निर्माण एजेंसी को दिया गया था।