गृह मंत्रालय ने बुधवार (6 नवंबर) को 2012 बैच के पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन के खिलाफ चार्जशीट जारी की। गोपीनाथन पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी आदेश का पालन नहीं किया। साथ ही, अपने इस्तीफे की जांच के दौरान ही हेडक्वॉर्टर छोड़ दिया था। बता दें कि गोपीनाथन केंद्र शासित प्रदेशों दमन व दीव और दादर व नगर हवेली में पावर डिपार्टमेंट में सेवाएं दे चुके हैं। बता दें कि एक दिन पहले ही गोपीनाथन ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का समर्थन किया था, जिनके पुराने रिकॉर्ड खंगालने का आदेश जारी किया गया है।
गोपीनाथन ने 23 अगस्त 2019 को अपना इस्तीफा डीडीडी एंड एनएच और गृह मंत्रालय को भेज दिया था। उन्होंने ‘जम्मू और कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी’ नहीं होने का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था। उसके बाद वह काम पर नहीं गए थे। गोपीनाथन पर सरकारी नीतियों के मुद्दों पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के साथ गैर आधिकारिक रूप से चर्चा करने का भी आरोप है। आरोप पत्र में कहा गया है कि उनके द्वारा सरकारी नीतियों की ऐसी आलोचना ‘विदेशी राज्य सहित अन्य संगठनों के साथ केंद्र सरकार के संबंधों को शर्मसार कर सकती है।’
गोपीनाथन के मुताबिक, उन्हें अवर सचिव राकेश कुमार के साइन वाली चार्जशीट ईमेल की गई है। इस पर 24 अक्टूबर की तारीख लिखी है। गोपीनाथन ने मंगलवार को ट्विटर पर दावा किया कि दमन प्रशासन के एक अधिकारी ने चार्जशीट ईमेल करने के लिए उनकी ईमेल आईडी पूछी थी।
जानकारी के मुताबिक, चार्जशीट में 5 पॉइंट्स का जिक्र किया गया है। इनमें स्थायी निवास प्रमाणपत्र के बंद होने, बिजली की अंडरग्राउंड केबल बिछाने और बिजली के खंभे शिफ्ट करने के काम में देरी होना शामिल है। वहीं, मई 2018 में केरल के बाढ़ प्रभावित इलाकों में आधिकारिक दौरे की रिपोर्ट आला अधिकारियों को नहीं देने व प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए नामांकन से संबंधित फाइल तय समय सीमा में जमा नहीं करने और कई मौकों पर अपने कंट्रोलिंग अफसर को जानकारी दिए बिना फाइलें प्रशासन के पास जमा कराने का आरोप लगाया गया है।
गौरतलब है कि गोपीनाथन पर सरकारी नौकर के रूप में कर्तव्यनिष्ठा व नौकरी के प्रति समर्पण नहीं रखने का भी आरोप लगाया गया है। गोपीनाथन ने कहा, ‘‘मैंने इन पॉइंट्स के साथ अपना लिखित जवाब दे दिया है और करीब ढाई महीने पहले इस्तीफा दे दिया था। मेरे इस्तीफे पर कार्रवाई करने की जगह वह आरोप पत्र पेश कर रहे हैं। मैं इसके पीछे की वजह नहीं जानता। इससे पहले कभी भी प्रधानमंत्री अवॉर्ड के लिए आवेदन नहीं करने पर किसी अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया।’’
ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिनरी एंड अपील) नियम 1969 के नियम 8 के तहत जारी की गई चार्जशीट में गोपीनाथन से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है। उनसे पूछा गया है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए? यदि वह निर्धारित समय में लिखित जवाब देने या व्यक्तिगत रूप से पेश होने में असफल रहते हैं तो उनके खिलाफ एकतरफा कार्यवाही की जाएगी।
गोपीनाथन ने 23 अगस्त 2019 को अपना इस्तीफा डीडीडी एंड एनएच और गृह मंत्रालय को भेज दिया था। उन्होंने ‘जम्मू और कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी’ नहीं होने का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था। उसके बाद वह काम पर नहीं गए थे। गोपीनाथन पर सरकारी नीतियों के मुद्दों पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के साथ गैर आधिकारिक रूप से चर्चा करने का भी आरोप है। आरोप पत्र में कहा गया है कि उनके द्वारा सरकारी नीतियों की ऐसी आलोचना ‘विदेशी राज्य सहित अन्य संगठनों के साथ केंद्र सरकार के संबंधों को शर्मसार कर सकती है।’
गोपीनाथन के मुताबिक, उन्हें अवर सचिव राकेश कुमार के साइन वाली चार्जशीट ईमेल की गई है। इस पर 24 अक्टूबर की तारीख लिखी है। गोपीनाथन ने मंगलवार को ट्विटर पर दावा किया कि दमन प्रशासन के एक अधिकारी ने चार्जशीट ईमेल करने के लिए उनकी ईमेल आईडी पूछी थी।
जानकारी के मुताबिक, चार्जशीट में 5 पॉइंट्स का जिक्र किया गया है। इनमें स्थायी निवास प्रमाणपत्र के बंद होने, बिजली की अंडरग्राउंड केबल बिछाने और बिजली के खंभे शिफ्ट करने के काम में देरी होना शामिल है। वहीं, मई 2018 में केरल के बाढ़ प्रभावित इलाकों में आधिकारिक दौरे की रिपोर्ट आला अधिकारियों को नहीं देने व प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए नामांकन से संबंधित फाइल तय समय सीमा में जमा नहीं करने और कई मौकों पर अपने कंट्रोलिंग अफसर को जानकारी दिए बिना फाइलें प्रशासन के पास जमा कराने का आरोप लगाया गया है।
गौरतलब है कि गोपीनाथन पर सरकारी नौकर के रूप में कर्तव्यनिष्ठा व नौकरी के प्रति समर्पण नहीं रखने का भी आरोप लगाया गया है। गोपीनाथन ने कहा, ‘‘मैंने इन पॉइंट्स के साथ अपना लिखित जवाब दे दिया है और करीब ढाई महीने पहले इस्तीफा दे दिया था। मेरे इस्तीफे पर कार्रवाई करने की जगह वह आरोप पत्र पेश कर रहे हैं। मैं इसके पीछे की वजह नहीं जानता। इससे पहले कभी भी प्रधानमंत्री अवॉर्ड के लिए आवेदन नहीं करने पर किसी अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया।’’
ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिनरी एंड अपील) नियम 1969 के नियम 8 के तहत जारी की गई चार्जशीट में गोपीनाथन से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है। उनसे पूछा गया है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए? यदि वह निर्धारित समय में लिखित जवाब देने या व्यक्तिगत रूप से पेश होने में असफल रहते हैं तो उनके खिलाफ एकतरफा कार्यवाही की जाएगी।