जम्मू कश्मीर में ‘गुपकार गैंग’ की टिप्पणी भाजपा का दोहरा रवैया

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: November 19, 2020
कोरोना महामारी के इस भयावह दौर में दुनिया भर में लगाए गए बंदी से लोग हताहत हो रहे है लेकिन जम्मू-कश्मीर की जनता साल भर पहले से ही राज्य बंदी का सामना कर रही है जो भारत सरकार की देन है और लगातार चर्चा के केंद्र में है। जम्मू-कश्मीर में प्रतिदिन बदलते हालात, बढ़ती बंदिशे, लोगों के मन में सुलगता असंतोष, और केंद्र सरकार के प्रति बढ़ता गुस्सा सुसुप्त ज्वालामुखी की सी स्थिति को पैदा कर चूका है जो कभी भी उस क्षेत्र को लील सकता है। 



वर्तमान में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद का यह पहला चुनाव होने जा रहा है। देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू कश्मीर में भाजपा के पुराने सहयोगी रहे पीडीपी सहित तमाम नेताओं के ख़िलाफ़ की गयी ‘गुपकार गैंग’ सम्बन्धी बयानबाजी भाजपा के दोहरे रवैये को दर्शाता है। उनका यह बयान वैसे ही है जैसे ‘सौ चूहे खा कर बिल्ली चली हज को’। कल के भाजपा के राजनीतिक गठबंधन के साथी को आज ‘गुपकार गैंग’ की संज्ञां देना देश की जनता और तत्कालीन समय में दिए गए उनके जनधिकार को शर्मशार करता है। ऐसी बयानबाजी और पूर्व में पीडीपी से किए गए गठजोड़ के लिए भाजपा को देश की जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए। गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती सहित कई नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्वीटर पर सभी नेता एक दुसरे पर हमलावर होते दिखे। जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से शुरू हुआ विवाद आज विरोध की आवाज को कैद करने, शांति बहाल करने के नाम पर असीमित तरीके से अत्याचार बढ़ाने और मनमाने तरीके के व्यवहार करने की खुली छुट दे रखा है। 

गौरतलब है कि ट्वीटर पोस्ट की एक श्रृंखला के जरिए गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर के गठबंधन के नेताओं पर जम कर हमला बोला है। उन्होंने इस गठबंधन को गुपकार गैंग करार देते हुए उसे घाटी में आतंक की घटनाए एवम उथल पुथल के माहौल को वापस से बहाल करने वाला बताया। उन्होंने लिखा था कि “वे दलितों, महिलाओं, और आदिवासियों के अधिकारों को छिनना चाहते हैं जिसको हमलोगों ने अनुच्छेद 370 हटाने के जरिए सुनिश्चित किया था” इसके जवाब में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा है कि “गठबंधन करके चुनाव लड़ना भी अब राष्ट्र विरोधी कार्य हो गया। अपनी सत्ता की भूख को पूरा करने के लिए बीजेपी बहुत सारे गठबंधन कर सकती है लेकिन एक एकताबद्ध मोर्चा बना कर हमलोग इनकी नजर में  राष्ट्रीय हितों की अनदेखी कर रहे हैं”। कभी बीजेपी की राजनीतिक सहयोगी और गठबंधन की साझेदार रही पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी देश में ख़ुद को रक्षक के तौर पर पेश करती है और राजनीतिक विरोधियों को आंतरिक शत्रु की तरह पेश करने पर उतारू है। उन्होंने यह भी कहा कि बेरोजगारी और देश में बढ़ते मंदी को बहस के केंद्र में लाने के बजाय लव जिहाद, टुकड़े-टुकड़े गैंग और अब गुपकार गैंग को पेश किया जा रहा है जो इनकी असली मंशा को सामने रखता है।  



गुपकार घोषणा के मायने क्या हैं?
अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में 28 नवम्बर से स्थानीय निकाय चुनाव होना तय है और यह इस राज्य की बंदी के बाद आयोजित सबसे बड़ी राजनीतिक गतिविधि होगी। जिन राजनीतिक दलों ने इन चुनावों के लिए हाथ मिलाए और साथ मिलकर राज्य के हालात को सुधारने के लिए प्रतिबद्धता दिखायी है उन्होंने गुपकार घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद यहाँ पहली बार कोई चुनाव होने जा रहे हैं जिस पर कोरोना महामारी के साथ-साथ बदलते राजनीतिक परिवेश का असर निश्चित तौर पर सामने आएगा। 

गुपकार घोषणा पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएडीजी) के नाम से जानी जाती है जिसमें सात पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपल्स कॉन्फ्रेंस, काग्रेस, सीपीआई, सीपीआईएम, आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और जम्मू और कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) शामिल है। 

4 अगस्त 2020 को इन पार्टियों ने एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर बीते वर्ष अगस्त 2019 को भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने के ख़िलाफ़ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की घोषणा की है। अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के साथ ही जम्मू और कश्मीर एक काले अध्याय की तरफ अग्रसर हुआ। केंद्र सरकार द्वारा तमाम लोकतान्त्रिक मूल्यों को ताक़ पर रख कर वहां के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत मुख्यधारा के राजनीतिक पार्टियों के नेताओं और सेकड़ों कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले किया गया। पब्लिक  सेफ्टी बिल के नाम पर बेतरतीब गिरफ्तारियां इतिहास में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के रूप में दर्ज हो चूका है।  साथ ही लद्दाख़ को जम्मू कश्मीर से विभाजित कर अलग केन्द्रशासित राज्य बना दिया। 

कोरोना काल में हो रहे चुनाव में गुपकार अलायंस की भागीदारी 
कोरोना काल में इस विलग केन्द्रशासित राज्य में हो रहे पहले डीडीसी चुनाव में गुपकार अलायंस की भागीदारी निर्णायक साबित हो सकती है। अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने से पहले जम्मू और कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली (ग्राम स्तरीय, ब्लाक स्तरीय व् जिला स्तरीय) नहीं थी। केंद्र सरकार ने बीते महीने में जम्मू और कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन कर पहले डीडीसी चुनाव कराए जाने की अनुमति दी। बीजेपी और पीडीपी की साझेदारी वाली सरकार को 2018 में जम्मू कश्मीर विधान सभा को भंग करने के साथ ही ख़तम कर दिया गया और अब परिसीमन प्रक्रिया पूर्ण होने का हवाला दे कर विधान सभा चुनाव को टाला जा रहा है या यूँ कहें कि चुनाव करवाने की मंशा कम और शासन को यथास्थिति बनाए रखने की चाहत ज्यादा दिखती है। 

परिसीमन प्रक्रिया क्या है?
परिसीमन देश में लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से रेखांकित करने का काम करता है। यह वहां की जनसँख्या में बदलाव को भी परिलक्षित करता हैं इसे अंतिम जनगणना के आधार पर तय किया जाता है। मार्च 2020 में कानून मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, और नागालेंड राज्य में परिसीमन आयोग को अधिसूचित किया है। जम्मू-कश्मीर में आखरी बार 1995 में परिसीमन का काम किया गया हालाँकि परिसीमन की मांग अमरनाथ भूमि विवाद के दौरान 2008 में बीजेपी के द्वारा उठाई गयी थी जिसे तत्कालीन सत्तासीन सरकार द्वारा ख़ारिज कर दिया था। 

वर्तमान में परिसीमन पर बहस, राजनीतिक पार्टियों की आपसी बयानबाजी के बीच डीडीसी चुनाव हो रहे हैं जो जम्मू-कश्मीर में बदलाव की पहल का संकेत है। गुपकार संधि पर हस्ताक्षर करने वाली पार्टियों का मानना है कि अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करवाने के लिए डीडीसी चुनाव में एकजुट होकर भाग लेना और सांप्रदायिक ताकतों के ख़िलाफ़ संघर्ष को जारी रखना जरुरी है। यह देखना और समझना एक जरुरी घटना होगी कि लोकतान्त्रिक चुनावी महासमर में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक पार्टियाँ मिलकर पारंपरिक राजनीतिक विरासर बचाते हैं या राष्ट्रवाद को मोहरा बना कर बीजेपी चुनावी समर को अपने पाले में कर पाती है जो भी हो कोरोना काल में चल रहे आर्थिक उथल पुथल के साथ ही जम्मू-कश्मीर राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है जहाँ स्थिरता और शांति बहाल होना जरुरी है। 
 

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