कोरोना वायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। इस जानलेवा वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत समेत कई देशों में लॉकडाउन कर दिया गया है। हिंदुस्तान में लॉकडाउन की वजह से लोगों का कामकाज ठप हो गया है और लोग घरों में कैद हो गए हैं। इसके चलते घरेलू हिंसा के मामलों में भी इजाफा देखने को मिला है।
लॉकडाउन में घरेलू हिंसा को रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) लगाई गई है, जिस पर शुक्रवार को लंबी सुनवाई हुई। इसके बाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग, दिल्ली महिला आयोग, दिल्ली सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से लिखित जवाब मांगा।
अदालत ने पूछा कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के शिकार लोगों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? इस दौरान याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि दिल्ली महिला आयोग घरेलू हिंसा को रोकने के लिए सिर्फ 17 अधिकारियों की नियुक्त की है, लेकिन इनके मोबाइल नंबर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जो महिलाएं घरेलू हिंसा को झेल रही हैं, उनको इन अधिकारियों के नंबर और हेल्पलाइन नंबर नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे वो घरेलू हिंसा होने पर संपर्क नहीं कर पा रही हैं। लिहाजा हेल्पलाइन नंबरों को सभी तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
लॉकडाउन में घरेलू हिंसा को रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) लगाई गई है, जिस पर शुक्रवार को लंबी सुनवाई हुई। इसके बाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग, दिल्ली महिला आयोग, दिल्ली सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से लिखित जवाब मांगा।
अदालत ने पूछा कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के शिकार लोगों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? इस दौरान याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि दिल्ली महिला आयोग घरेलू हिंसा को रोकने के लिए सिर्फ 17 अधिकारियों की नियुक्त की है, लेकिन इनके मोबाइल नंबर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जो महिलाएं घरेलू हिंसा को झेल रही हैं, उनको इन अधिकारियों के नंबर और हेल्पलाइन नंबर नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे वो घरेलू हिंसा होने पर संपर्क नहीं कर पा रही हैं। लिहाजा हेल्पलाइन नंबरों को सभी तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।