दिल्ली दंगा : कोर्ट ने ZEE न्यूज से कहा- आपने दस्तावेज सार्वजनिक कर दिए और खुद का नाम रखना चाहते हैं गुप्त?

Written by sabrang india | Published on: October 21, 2020
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को टीवी चैनल जी न्यूज से दिल्ली दंगे के एक आरोपी के कथित इकबालिया बयान को लेकर सवाल किया है। कोर्ट ने समाचार चैनल जी न्यूज से कहा है कि वह कोई अभियोजन एजेंसी नहीं है और जो दस्तावजे पेश किया गया है उसमें पूरी तरह से एक व्यक्ति की ओर इशारा किया गया है।



इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस विभु बाखरू ने कहा कि यह तथ्यों की गलत व्याख्या है। कोर्ट ने कहा कि यह दस्तावेज प्रकाशित नहीं किए जाने थे। कोर्ट ने जी न्यूज को निर्देश दिया है कि वह एक हलफनामा दाखिल कर बताएं कि उन्हें आरोपी का कथित इकबालिया बयान कहां से और कैसे प्राप्त हुआ।

कोर्ट ने जी न्यूज की उस अपील को भी ठुकरा दिया, जिसमें चैनल ने कोर्ट में अपने रिपोर्टर का नाम गोपनीय रखने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि आप ऐसे दस्तावेजों को सार्वजनिक कर रहे हैं, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए और अब आप चाहते हैं कि आपका नाम गोपनीय रखा जाए!

हाईकोर्ट की एक जज वाली पीठ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। तन्हा ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि उसके इकबालिया बयान को कथित तौर पर पुलिस द्वारा मीडिया में लीक किया गया है। बीते हफ्ते दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि उसके किसी जवान ने कथित बयान लीक नहीं किए हैं। 

इसके बाद कोर्ट ने जी न्यूज से उसके सूत्रों का खुलासा करने को कहा था। इस पर जी न्यूज के वकील विजय अग्रवाल ने कहा था कि पत्रकारों को उनके सूत्रों का खुलासा करने के लिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि उन्हें विशेषाधिकार मिला हुआ है। पत्रकार अपने सूत्रों से आपसी समझ के आधार पर जानकारी प्राप्त करते हैं। 

विजय अग्रवाल ने प्रेस काउंसिल एक्ट की धारा 15(2) का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी अखबार, न्यूज एजेंसी, संपादक या पत्रकार को उसके सूत्रों का खुलासा करने से रोकता है। 

कोर्ट ने न्यूज चैनल्स के अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब चार्जशीट भी दाखिल नहीं हुई है और आरोपी को भी एक्सेस नहीं मिला है। ऐसे में न्यूज चैनल्स दस्तावेजों को सार्वजनिक कैसे कर सकते हैं। 

कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या आर्टिकल 19(1) (अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार) प्रकाशकों को जांच के दौरान ही केस से जुड़े दस्तावेजों को प्रकाशित करने का अधिकार देता है या नहीं।
 

बाकी ख़बरें