नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस जो कि सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है, उसने हाथरस के वीभत्स और बर्बर गैंगरेप-हत्याकांड को लेकर न्याय की मांग कर रहे नागरिकों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। बता दें कि जबसे हाथरस में गैंगरेप की घटना के बाद पीड़िता को दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पीड़िता ने बाद में दम तोड़ दिया था, तबसे नागरिक समूह, दलित कार्यकर्ता और कुछ राजनेताओं के द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए जा रहे थे।

कोविड 19 लॉकडाउन के बाद राष्ट्रीय राजधानी में नागरिक समूहों, दलित कार्यकर्ताओं और कुछ राजनेताओं के द्वारा किए जाने वाला ये पहला सबसे बड़ा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन था। प्रदर्शनकारी न्याय की मांग कर रहे थे। जबकि
पुलिस के अनुसार सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी द्वारा दिए कानून और आदेशों का उल्लंघन कर रहे थे। सीआरसीपी की धारा 144 का भी उल्लंघन कर रहे थे जो उस इलाके में लगायी गयी थी।
विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने एक बयान जारी किया : 'हाथरस गैंगरेप मामले में आरोपी व्यक्तियों के लिए कठोर सजा की मांग को लेकर कई राजनीतिक दलों के सदस्य और विभन्न समूह और गैर सरकारी संगठन जंतर मंतर पहुंचे।' पुलिस के अनुसार कुछ प्रदर्शनकारी ऐसे समूहों से थो जो सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में निष्पक्ष की मांग कर रहे थे।'
ये भी पढ़ें : हाथरस की निर्भया को इंसाफ के लिए दिल्ली में जुटे हजारों लोग
जैसा कि समाचार मीडिया द्वारा रिपोर्ट की गई हैं, दिल्ली पुलिस ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों ने सीआरपीसी की धारा 144, आईपीसी की धारा 188 और कोविड -19 प्रोटोकॉल, महामारी अधिनियम 3 और आपदा प्रबंधन अधिनियम 51 (ख) के उल्लंघन के मामले में पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में मामले दर्ज किए हैं।
दो अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन चरम पर थे क्योंकि दुनिया ने महात्मा गांधी की जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाथरस में गैंगरेप की शिकार दलित पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन करने वालों के साथ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।
दलित संगठन, छात्र और महिला समूह, भीम आर्मी और वाम दलों के सदस्य उस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे जिसे पहले इंडिया गेट पर आयोजित किया जाना था लेकिन इस इलाके को बंद कर दिया गया तो प्रदर्शनकारी जंतर मंतर चले गए, जो कि अधिकांश विरोध प्रदर्शनों के लिए निर्धारित स्थान है।
जैसे-जैसे आक्रोश और विरोध बढ़ता गया और पूरे दिन वहां और भी लोग आते गए, इसके बाद दिल्ली पुलिस ने तेजी से पहुंची और प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगाए, जैसे कि उनकी सहयोगी उत्तर प्रदेश पुलिस ने किया।
वकील प्रशांत भूषण ने पोस्ट किया: 'सरकार,हाथरस हॉरर पर सार्वजनिक आक्रोश से डरी हुई है ... अब पुलिस प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगाएगी!'
बेशक, यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली पुलिस से संकेत लिए हैं या नहीं।

कोविड 19 लॉकडाउन के बाद राष्ट्रीय राजधानी में नागरिक समूहों, दलित कार्यकर्ताओं और कुछ राजनेताओं के द्वारा किए जाने वाला ये पहला सबसे बड़ा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन था। प्रदर्शनकारी न्याय की मांग कर रहे थे। जबकि
पुलिस के अनुसार सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी द्वारा दिए कानून और आदेशों का उल्लंघन कर रहे थे। सीआरसीपी की धारा 144 का भी उल्लंघन कर रहे थे जो उस इलाके में लगायी गयी थी।
विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने एक बयान जारी किया : 'हाथरस गैंगरेप मामले में आरोपी व्यक्तियों के लिए कठोर सजा की मांग को लेकर कई राजनीतिक दलों के सदस्य और विभन्न समूह और गैर सरकारी संगठन जंतर मंतर पहुंचे।' पुलिस के अनुसार कुछ प्रदर्शनकारी ऐसे समूहों से थो जो सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में निष्पक्ष की मांग कर रहे थे।'
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जैसा कि समाचार मीडिया द्वारा रिपोर्ट की गई हैं, दिल्ली पुलिस ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों ने सीआरपीसी की धारा 144, आईपीसी की धारा 188 और कोविड -19 प्रोटोकॉल, महामारी अधिनियम 3 और आपदा प्रबंधन अधिनियम 51 (ख) के उल्लंघन के मामले में पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में मामले दर्ज किए हैं।
दो अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन चरम पर थे क्योंकि दुनिया ने महात्मा गांधी की जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाथरस में गैंगरेप की शिकार दलित पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन करने वालों के साथ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।
दलित संगठन, छात्र और महिला समूह, भीम आर्मी और वाम दलों के सदस्य उस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे जिसे पहले इंडिया गेट पर आयोजित किया जाना था लेकिन इस इलाके को बंद कर दिया गया तो प्रदर्शनकारी जंतर मंतर चले गए, जो कि अधिकांश विरोध प्रदर्शनों के लिए निर्धारित स्थान है।
जैसे-जैसे आक्रोश और विरोध बढ़ता गया और पूरे दिन वहां और भी लोग आते गए, इसके बाद दिल्ली पुलिस ने तेजी से पहुंची और प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगाए, जैसे कि उनकी सहयोगी उत्तर प्रदेश पुलिस ने किया।
वकील प्रशांत भूषण ने पोस्ट किया: 'सरकार,हाथरस हॉरर पर सार्वजनिक आक्रोश से डरी हुई है ... अब पुलिस प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगाएगी!'
बेशक, यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली पुलिस से संकेत लिए हैं या नहीं।