दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) का जादू चल गया है। अरविंद केजरीवाल का लगातार तीसरी बार दिल्ली के सीएम बनना तय हो गया है। दिल्ली की जनता ने शाहीन बाग और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मुद्दे को नकारते हुए स्थानीय मुद्दे के आधार पर वोट दिया। पिछले चुनावों की तरह इस बार भी कांग्रेस इन चुनावों में खाता नहीं खोल पाई। वहीं, बीजेपी ने अपनी टैली मजबूत की है।
इन चुनावों में आप ने बड़ी चतुराई से विवादित मुद्दों के किनारा करते हुए स्थानीय मुद्दों पर लोगों से वोट मांगे। केजरीवाल ने चुनावों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे को उठाया और जनता के बीच इसी आधार पर वोट मांगा। बीजेपी ने शाहीन बाग और CAA का मुद्दा जोर-शोर से उठाया लेकिन दिल्लीवालों ने इन्हें सिरे से नकार दिया।
दिल्ली चुनाव में केजरीवाल की टक्कर का नेता विपक्ष पेश नहीं कर पाई। पिछले 5 साल में केजरीवाल के किए गए कामों का जनता में अच्छा संदेश गया और जनता ने दिल खोलकर आप को वोट दिया। केजरीवाल की मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस ने इन चुनावों के लिए सीएम कैंडिडेट की घोषणा की थी।
बीजेपी की तरफ से शाहीन बाग में चल रहे नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों को मुद्दा बनाकर वोटों का ध्रुवीकरण करने की तमाम कोशिशें की गईं। केजरीवाल को आतंकवादी बताया गया, बीजेपी नेताओं के भड़काऊ बयानों के बाद शाहीन बाग और जामिया में गोली चली लेकिन दिल्ली की जनता ने केजरीवाल को सीएम बनाने का निर्णय लिया। वोटों की गिनती जारी है लेकिन नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं।
इन चुनावों में आप ने बड़ी चतुराई से विवादित मुद्दों के किनारा करते हुए स्थानीय मुद्दों पर लोगों से वोट मांगे। केजरीवाल ने चुनावों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे को उठाया और जनता के बीच इसी आधार पर वोट मांगा। बीजेपी ने शाहीन बाग और CAA का मुद्दा जोर-शोर से उठाया लेकिन दिल्लीवालों ने इन्हें सिरे से नकार दिया।
दिल्ली चुनाव में केजरीवाल की टक्कर का नेता विपक्ष पेश नहीं कर पाई। पिछले 5 साल में केजरीवाल के किए गए कामों का जनता में अच्छा संदेश गया और जनता ने दिल खोलकर आप को वोट दिया। केजरीवाल की मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस ने इन चुनावों के लिए सीएम कैंडिडेट की घोषणा की थी।
बीजेपी की तरफ से शाहीन बाग में चल रहे नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों को मुद्दा बनाकर वोटों का ध्रुवीकरण करने की तमाम कोशिशें की गईं। केजरीवाल को आतंकवादी बताया गया, बीजेपी नेताओं के भड़काऊ बयानों के बाद शाहीन बाग और जामिया में गोली चली लेकिन दिल्ली की जनता ने केजरीवाल को सीएम बनाने का निर्णय लिया। वोटों की गिनती जारी है लेकिन नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं।