कोरोना की टेस्टिंग और रिपोर्ट को निगेटिव - पॉजिटव दिखाने का सारा खेल डेटा मैनिपुलेशन का है

Written by Girish Malviya | Published on: July 30, 2020
आपको याद होगा कि लगभग डेढ़ महीने पहले दिल्ली के हस्पतालों में कोरोना मरीजो की बुरी हालत महंगे इलाज ओर शवदाहगृह में बढ़ती लाशों के विजुअल मीडिया में जोर शोर से दिखाए जा रहे थे। दिल्ली में पैनिक की स्थिति थी लेकिन अचानक से गृहमंत्री अमित शाह की एंट्री होती है। वह कमान संभालते है और एक बिल्कुल नए टेस्ट रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने का एलान करते हैं। दिल्ली में टेस्टिंग बढ़ाई जाती है। पहले मरीजो की संख्या तेजी से बढ़ती है लेकिन कुछ ही दिन में 25 हजार रोजाना होने वाली टेस्टिंग को 10 से 12 हजार पर लाया जाता है और स्थिति कंट्रोल में दिखा दी जाती है और उसके बाद सब ठीक होता दिखाई देता है।



दिल्ली में केस लगातार कम हो जाते हैं सब वाह वाह करने लगते है लेकिन रुकिए एक बड़ी गड़बड़ी है यहाँ। दरअसल एंटीजन टेस्ट निगेटिव आने पर आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूरी होता है लेकिन दिल्ली सरकार ने माना है कि 2.62 लाख में से 0.5% का ही दोबारा टेस्ट हुआ है। दिल्ली में 19 जून के बाद रोज जितने टेस्ट हो रहे हैं, उनमें से 60% से ज्यादा एंटीजन टेस्ट हो रहे, ये टेस्ट आरटी-पीसीआर के मुकाबले कम भरोसेमंद है लेकिन इसके बावजूद धड़ाधड़ रैपिड एंटीजन टेस्ट किये गए.... ओर निगेटिव निकलने वालों का RT PCR ही नही किया गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार से पूछा कि जब रैपिड एंटीजन टेस्ट के नतीजे नकारात्मक हैं तो इस टेस्ट को क्यों कराया जा रहा है। दिल्ली के सीरो सर्वे में पता चला है कि 22.86 प्रतिशत से अधिक आबादी कोविड-19 से पीड़ित हुई है। पीठ ने कहा दिल्ली सरकार इस स्थिति में रैपिड एंटीजन टेस्ट के साथ कैसे आगे बढ़ सकती है, जबकि इसकी गलत निगेटिव रिपोर्ट आने की दर बहुत अधिक है।

अब आप यह भी जान लीजिए कि भारत मे जो कोरोना की बढ़ती हुई टेस्टिंग की संख्या बताई जा रही है। वह इसी रैपिड एंटीजन टेस्ट के ही कारण है और खुद गृहमंत्री अमित शाह ने पर्सनल इंटरेस्ट लेकर एक एक राज्य के मुख्यमंत्री की क्लास लगाकर यह बोला है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या लगातार बढ़ाओ। अगर रैपिड एंटीजन टेस्ट के नतीजे इतने गलत आ रहे हैं कि हाईकोर्ट को बीच में आना पड़ रहा है तो सवाल यह है कि ऐसे गलत टेस्ट करवाए क्यो जा रहे है। क्या भारत की मोदी सरकार पर यह दबाव है कि चाहे गलत हो या सही हो आपको रैपिड एंटीजन टेस्ट करवाने ही होंगे ? क्योकि ICMR ने पिछले हफ्ते ही मायलैब की स्वदेशी एंटीजन टेस्ट किट को अनुमति दी है। जब पद्धति ही गलत है तो यह मंजूरी ही क्यों दी जा रही है।

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