हाथरस में सभी रास्तों की नाकाबंदी और धारा 144 लागू, पीड़ित परिवार से मिलेंगे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी

Written by sabrang india | Published on: October 1, 2020
हाथरस। उत्तर प्रदेश हाथरस में हुए गैंगरेप कांड के बाद देशभर में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी पीड़िता के परिवार से मिलने जा रहे हैं। इस बीच सभी रास्तों में नाकेबंदी कर दी गई है। प्रशासन ने हाथरस में धारा 144 लागू की है। प्रशासन के मुताबिक कोरोनावायरस के चलते यहां 1 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच जिले में धारा 144 लागू हैं। 



बता दें कि 20 वर्षीय दलित युवती की बर्बर गैंगरेप के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई थी जिसके बाद उसे परिजनों की अनुमति के बिना रात के दो बजे जला दिया गया। 

14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में अकल्पनीय दरिंदगी का शिकार हुई पीड़िता की मंगलवार को दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। उसके शरीर में कई फ्रैक्चर आ गए थे, इतनी गंभीर चोटें लगी थीं कि वो पैरालाइज़ हो गई थी। उसके गले में ऐसी चोट आई थी कि उसे सांस लेने में तकलीफ होरही थी। पुलिस ने बताया है कि उसकी जीभ में गहरा कट था, जो गला दबाने के वजह से जीभ बाहर आने के चलते बना होगा।

वायनाड सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा था कि  'यूपी पुलिस की यह शर्मनाक हरकत दलितों को दबाने और उनको 'उनकी जगह' दिखाने के लिए है। हमारी लड़ाई इसी सोच के खिलाफ है।'

वहीं प्रियंका गांधी ने सीएम योगी का इस्तीफा मांगा है। प्रियंका ने इसको लेकर कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि 'यूपी के मुख्यमंत्री जी से कुछ सवाल पूछना चाहती हूं।परिजनों से जबरदस्ती छीन कर पीड़िता के शव को जलवा देने का आदेश किसने दिया था? पिछले 14 दिन से कहां सोए हुए थे आप? क्यों हरकत में नहीं आए? और कब तक चलेगा ये सब? कैसे मुख्यमंत्री हैं आप?'

प्रियंका गांधी ने बुधवार को बताया था कि जब वो पीड़िता के पिता से फोन पर बात कर रही थीं, तभी उसकी मौत की खबर आई। उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'मैं हाथरस पीड़िता के पिता के साथ फोन पर बात कर रही थी, तभी उन्हें बताया कि उनकी बेटी गुजर गई। मैंने उन्हें निराशा में रोते हुए सुना।' 

उन्होंने मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगते हुए आगे लिखा, 'वो मुझे अभी बता ही रहे थे कि वो बस अपनी बच्ची के लिए इंसाफ चाहते हैं। पिछली रात उनसे उनकी बेटी को आखिरी बार घर ले जाने और उसका अंतिम संस्कार करने का हक भी छीन लिया गया। पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा करने के बजाय आपकी सरकार, यहां तक की उसकी मौत के बाद भी उसके हर मानवाधिकार को छीनने में लगी रही। आपके पास मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।'
 

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