भाजपा के घोषणा पत्र को विपक्षी दलों ने बताया‘जुमला पत्र’, कहा- खोखले शब्दों की हेराफेरी

Written by sabrang india | Published on: April 15, 2024
विपक्षी दलों ने भाजपा के घोषणा पत्र को लेकर कहा कि इसका नाम 'माफ़ीनामा' रखा जाना चाहिए। भाजपा ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन हक़ीक़त यह है कि आज किसानों की आय घट गई है और क़र्ज़ दोगुना हो गया है।



नई दिल्ली: भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए रविवार (14 अप्रैल) को ‘संकल्प पत्र’ नाम से अपना घोषणा पत्र जारी किया। इसे लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सहित विपक्षी दलों ने केंद्र में सत्तारूढ़ इस पार्टी पर निशाना साधा है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत और अमिताभ दुबे ने कहा कि ‘वे अब इतना झूठ बोलते हैं कि कोई उन पर विश्वास नहीं करता है।’

खरगे ने कहा, ‘उन्होंने (भाजपा) पिछले कुछ वर्षों में ऐसा कुछ नहीं किया है जिससे देश के युवाओं और किसानों को फायदा हो। युवा नौकरी के लिए तरस रहे हैं और महंगाई बढ़ गई है। उन्हें इस सब की परवाह नहीं है। उनके घोषणा पत्र पर दोबारा भरोसा करना ठीक नहीं होगा।’

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कटाक्ष करते हुए कहा कि न पुरानी गारंटियों की जवाबदेही, केवल खोखले शब्दों की हेराफेरी है। ‘मोदी की गारंटी’ = जुमलों की वारंटी।



उन्होंने सवाल किया,  ‘युवाओं के लिए सालाना दो करोड़ नौकरियों देने का क्या हुआ? किसानों की आय दोगुनी करने का क्या हुआ? किसानों के एमएसपी पर लागत + 50% का क्या हुआ? हर बैंक एकाउंट में 15-15 लाख का क्या हुआ? एससी-एसटी पर 46% व 48% अपराध क्यों बढ़ा? महिला आरक्षण लागू करने व महिला अत्याचार रोकने का क्या हुआ? 100 नई स्मार्ट सिटी का क्या हुआ?’

पवन खेड़ा ने कहा, ‘पिछली सरकारों में से किसी को भी भाजपा की तरह गोलपोस्ट बदलने की ‘बीमारी’ का सामना नहीं करना पड़ा है। आपने 2014 में जो कहा, 2019 में उसका कोई हिसाब नहीं दिया और 2024 में आप 2047 की बात कर रहे हैं। उन्होंने (भाजपा) घोषणा पत्र में लिखा है कि वे 2036 ओलंपिक की मेजबानी करेंगे। तब आप कहां होंगे, क्या आप सरकार में भी रहेंगे? आपको पिछले 5 वर्षों का हिसाब देना चाहिए और आने वाले पांच वर्षों के बारे में बात करनी चाहिए।’



घोषणा पत्र को ‘माफीनामा’ और ‘जुमला पत्र’ करार देते हुए खेड़ा ने कहा, ‘हमने भाजपा के ‘संकल्प पत्र’ के नाम पर कड़ी आपत्ति है, इसका नाम ‘माफीनामा’ रखा जाना चाहिए। मोदी जी को देश के दलितों, किसानों, युवाओं और आदिवासियों से माफ़ी मांगनी चाहिए थी।’

नेताओं ने कालेधन के खिलाफ कार्रवाई से लेकर किसानों की परेशानी से लेकर विदेश नीति तक घोषणा पत्र में किए गए हर दावे का जवाब दिया और कहा, ‘भाजपा ने कहा था कि हम 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन हकीकत यह है कि आज किसानों की आय घट गई है और कर्ज दोगुना हो गया है।’

ईरान और इज़रायल के बीच हालिया तनाव पर बोलते हुए खेड़ा ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर हमला किया और कहा कि यह केवल ‘एक व्यक्ति के झूठे महिमामंडन पर आधारित है’ उन्होंने सवाल किया, ‘10-12 दिन पहले मोदी सरकार ने भारतीय श्रमिकों को इज़रायल भेजा था।। अब क्या सरकार उन्हें वापस लाने के लिए युद्ध रोकेगी?’

वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी भाजपा के घोषणा पत्र से गायब हैं।

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘भाजपा के मेनिफेस्टो और नरेंद्र मोदी के भाषण से दो शब्द गायब हैं – महंगाई और बेरोज़गारी। लोगों के जीवन से जुड़े सबसे अहम मुद्दों पर भाजपा चर्चा तक नहीं करना चाहती। इंडिया का प्लान बिलकुल स्पष्ट है – 30 लाख पदों पर भर्ती और हर शिक्षित युवा को 1 लाख की पक्की नौकरी। युवा इस बार मोदी के झांसे में नहीं आने वाला, अब वो कांग्रेस का हाथ मज़बूत कर देश में ‘रोज़गार क्रांति’ लाएगा।’

आम आदमी पार्टी ने भी भाजपा के घोषणा पत्र की निंदा की। दिल्ली की मंत्री और वरिष्ठ आप नेता आतिशी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी चुनावों के लिए भाजपा का जुमला पत्र लॉन्च किया है। यह घोषणा पत्र उन वादों को दर्शाता है जो उन्होंने किए थे और कभी पूरे नहीं किए… मोदी जी ने युवाओं के लिए नौकरियों का वादा किया था और यह 2019 में चुनावी वादों में से एक था लेकिन पिछले नौ वर्षों में मोदी जी ने कोई नौकरी नहीं दी है। ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और युवा बेरोजगार हैं।’

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने भी घोषणा पत्र की आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘घोषणा पत्र में युवाओं का कोई जिक्र नहीं है। 80 फीसदी किसान हैं लेकिन उनका कोई जिक्र नहीं है। कितनी नौकरियां देंगे इस पर कोई चर्चा नहीं है, रोजगार पर कोई चर्चा नहीं है। आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘बिहार जैसे गरीब राज्यों में न तो विशेष पैकेज का जिक्र है, न ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का… गरीबी कैसे दूर होगी, महंगाई कैसे कम होगी, इसका कोई जिक्र नहीं है। सब जानते हैं कि भाजपा वालों ने पिछले 10 वर्षों में क्या कहा और क्या किया है।’

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