खुशखबरी: बहराइच के वन गांवों को अब सामान्य गांव की तरह सुविधाएं मिल सकेंगी, भूलेख रिकॉर्ड तैयार, लोगों में खुशी

Written by Navnish Kumar | Published on: November 4, 2022
"बहराइच के पांच वन गांव का राजस्व रिकार्ड बनकर तैयार हो गया हैं। आजादी के 75 साल बाद ही सही, इन गावों को भी अब सामान्य गावों की भांति सरकार की सभी योजनाओं और सुविधाओं के मिलने का काम हो सकेगा। आजादी के बाद पहली बार जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के किनारे निवास कर रहे पांच वनवासी गांवों के लोग भी अब उन सभी सरकारी योजनाओं का फायदा उठा सकेंगे जो किसी राजस्व ग्रामों को मिलती है। भूलेख रिकॉर्ड में अपने गांव का नाम देखकर लोगों में खुशी की लहर है और इसे वनाधिकार आंदोलन की जीत बताया है।"



जनपद बहराइच के मोतीपुर तहसील के अंतर्गत सैकड़ों वर्षों से वन भूमि पर रह रहे 5 वनग्रामों के निवासियों के जीवन में वनाधिकार कानून ने उजाला पैदा किया है। सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने इसे वनाधिकार आंदोलन की बड़ी जीत बताया है। उन्होंने कहा कि 2005 से शुरू किए गए वनाधिकार आंदोलन के परिणाम स्वरुप 28 नवंबर 2018 तथा 7 जनवरी 2022 को जनपद बहराइच के मोतीपुर तहसील के 5 वनग्राम बिछिया, भवानीपुर, टेडिया, ढकिया व गोकुलपुर, राजस्व ग्राम में परिवर्तित हुए थे। किंतु उन गांव का कोड प्राप्त नहीं हुआ था जिससे उनके राजस्व अभिलेख नहीं मिल पा रहे थे लेकिन एक लंबे प्रयास के बाद अब आकर इन 5 ग्रामों का राजस्व कोड जरनेट हो गया है। उत्तर प्रदेश भूलेख वेबसाइट पर इन गांव का नाम कोड सहित प्रदर्शित हो गया है। भूलेख वेबसाइट पर गांव के नाम देखकर वन निवासियों के चेहरे पर खुशी छा गई और एक उत्सव का माहौल बन गया। लोग एक दूसरे को बधाइयां दे, खुशियां मना रहे हैं। 

सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी बताते हैं कि अब वनग्राम भवानीपुर, बिछिया, टेडिया, ढकिया और गोकुलपुर गांवों के वन निवासियों को वनाधिकार कानून-2006 के तहत प्राप्त भूमि का विवरण राजस्व दस्तावेजों में अंकित हो जाएगा। इससे जहां एक और इन्हें खतौनी प्राप्त हो सकेगी वहीं दूसरी ओर, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि आदि योजनाओं का लाभ भी प्राप्त हो सकेगा। इसके साथ ही बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ भी प्राप्त होगा। राजस्व ग्राम का कोड आवंटित होने के बाद इनके गांव अब अलग ग्राम पंचायत बन सकेंगे। इसके अलावा केंद्र और राज्य की समस्त योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति सहज होगी जिससे वन निवासियों के आवास, शौचालय, पक्की सड़क पक्के स्कूल आदि बनने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। विकास संबंधी कार्य शुरू होते ही वन निवासी देश की मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे।

सरकारी योजनाओं का लाभ न मिल पाने के कारण अभी तक इनका जीवन यापन जंगलों पर ही निर्भर रह कर किसी तरह कट रहा है। इन वन ग्रामों के निवासियों को सार्वजनिक शौचालय, राशन कार्ड, आवास, नाली खंड़जा सहित सरकारी स्कूलों में मिलने वाली मुफ्त शिक्षा तक से वंचित रहना पड़ता था। प्रदेश की योगी सरकार ने अब ऐसे 5 वनवासी गांवों में सभी सरकारी सुविधाओं का फायदा पहुंचाने का निर्णय कर बड़ी सौगात दी है। इससे बीते सात दशक से उपेक्षित इन वन ग्रामों को भी राजस्व ग्राम का दर्जा प्राप्त होने के साथ ही संविधान में मिले अन्य सभी अधिकार भी प्राप्त होंगे। 

शासन के निर्देश के बाद जिला प्रशासन की तरफ से तहसील मिहीपुरवा (मोतीपुर) के कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग क्षेत्र में रहने वाले पांच वन ग्रामों भवानीपुर, बिछिया, टेड़िया, ढकिया और गोकुलपुर का ग्राम कोड भी जनरेट कर दिया गया है। इसकी जानकारी से सभी पांच वन ग्रामवासियों के चेहरे पर अपार खुशी है। वन ग्राम से राजस्व ग्राम में परिवर्तित हुए गांव में राजस्व की टीमों का भ्रमण भी शुरू हो गया है। मिहींपुरवा एसडीएम ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि सरकार द्वारा पांच वन ग्राम को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने की पहल के तहत कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के पांच वनवासी ग्रामों का राजस्व ग्राम कोड निर्गत कर दिया गया है। इससे इन पांच गांवों के अब पूरी तरह से राजस्व ग्राम बन जाने के कारण ग्रामीणों को जल्द ही सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। 

अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की राष्ट्रीय महासचिव रोमा ने सभी ग्रामवासियों को बधाई देते हुए इसे लोगों के सामूहिक संघर्ष की जीत बताया है, वनाधिकार आंदोलन की जीत बताया है। रोमा ने कहा कि लोकतंत्र में निरंतर और एकजुट संघर्ष से जन दबाव बढ़ता है और संवैधानिक हक हकूक मिलने का काम होता हैं। एक बार फिर जंग हिंदुस्तानी और सभी साथियों और ग्रामवासियों को जीत की ढेरों बधाइयां।

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