क्रूर विडंबना: दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय ने आरक्षण नीति को रद्द करने का किया फैसला

Written by sabrang india | Published on: September 10, 2020
दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय में एमए समाजशास्त्र की कक्षाओं में भाग लेने के लिए भारती हर सुबह इंटरनेट बैंडविड्थ ढूंढने के लिए संघर्ष करती है।  उसने ऑनलाइन क्लासों और असाइनमेंटों को पूरा करने के लिए बिना पर्याप्त बिजली या इंटरनेट के अगस्त के माह में अधिकांश सुबहें बिताई। हालांकि 2 सितंबर 2020 को विश्वविद्यालय की ओर से मिलने वाली पूर्ण शुल्क माफी खत्म कर दी गईं जिससे उसे समस्या का सामना करना पड़ रहा है। 



दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय में आंशिक शुल्क माफी नीति के तहत उन छात्रों को एक बचत अनुग्रह के रूप में सेवा दी जाती थी जो अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और विकलांग व्यक्ति (पीडब्ल्यूडी) से हैं और दिल्ली में पढ़ाई करना चाहते हैं। फीस माफी के कारण देशभर से कई छात्र यहां आवेदन करते थे। 

हालांकि बुधवार को एक अनुसूचित जाति के आवेदक ने दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों संगठनों को मेल भेजा जिसमें विश्वविद्यालय में पूर्ण शुल्क माफी के मांग की बात कही गई थी। और कहा था कि अब जाति प्रमाण पत्र को नहीं देखते हैं लेकिन केवल परिवारों के आय का प्रमाण पत्र मांगते हैं। 

एयूडी (Ambedkar University Of Delhi) के प्रोग्रेसिव एंड डेमोक्रेटिक स्टुडेंट्स कमिटी (PDSC) की सदस्य भारती के मुताबिक, इस परिमार्जन (Scrapping) से दिल्ली में अध्ययन करने की योजना बना रहे सभी एससी और एसटी छात्रों पर असर पड़ेगा। भारती ने आगे कहा कि जब जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालयों ने अल्पसंख्यक वर्गों को रियायतें दीं हैं, केवल दिल्ली का अंबेडकर विश्वविद्यालय ही था जिसने सस्ती फीस की पेशकश की थी। 

भारती ने कहा, 'बहुत से लोग आरक्षण का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन हमें (SCs, STs, OBCs And PwD.) दिया गया आरक्षण एक अतिरिक्त लाभ नहीं है। आरक्षण सदियों पुराने आरक्षण से लड़ता है जिसका फायदा सवर्णों ने उठाया है। यदि आरक्षण हटा दिया जाता है तो हम अध्ययन के लिए कहां जाएंगे।' 

एयूडी स्टुडेंट्स काउंसिल (AUDSC) के कोषाध्यक्ष शुभोजीत डे ने कहा, 'एक बार जब आप प्रवेश परीक्षा को क्रेक कर  लेते हैं तो आपको पांच सौ रूपये के अलावा अन्य फीस के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, जो कि आर्थिक रूप से अक्षम छात्रों की मदद करने के लिए छात्र कल्याण कोष में जाते हैं, जिनमें सामान्य वर्ग के छात्र भी शामिल हैं।'

फिर भी छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल के मिलने पर विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली सरकार ने नीति की समीक्षा के लिए कहा था। उन्होंने सरकार के निर्देशों को दिकाने से भी इनकार किया। दिल्ली का अंबेडकर विश्वविद्यालय पूरी तरह से दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित है। यह आम आदमी पार्टी (आप) की जिम्मेदारी बनती है जो शिक्षा में सुधार के लिए अपनी गहरी दिलचस्पी के लिए जानी जाती है। हालांकि पार्टी ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। 

2007 के दिल्ली अधिनियम 9 ने विश्वविद्यालय को ऐसी नीतियों को बनाए रखने के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता दी थी, शुभोजीत इस तर्क की मजबूती पर भी सवाल उठाते हैं।

प्रो-वाइस चांसलर सलिल मिश्रा, रजिस्ट्रार नितिन मलिक, प्रॉक्टर सत्यकेतु संक्रांति और डीन ऑफ स्टूडेंट सर्विसेज संतोष सिंह ने छात्रों को जानकारी दी कि अंबेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट 8 सितंबर की बैठक के दौरान अपने एजेंडे के हिस्से के रूप में शुल्क माफी नीति के स्क्रैपिंग पर चर्चा करेगा।


हालांकि, शुभोजीत ने कहा कि बोर्ड ने एयूडी से तीन नामांकितों की उपस्थिति के बावजूद एक छात्र प्रतिनिधि को कम किया। 9 सितंबर को उन्होंने सुना कि बोर्ड ने छूट देने में एक साल की देरी करने का फैसला किया और मूल्यांकन करने के लिए एक समीक्षा समिति शुरू करने की योजना बनाई, जिसमें छात्रों को छूट की आवश्यकता थी। AUDSC ने कुलपति से मुलाकात के मिनट्स की पुष्टि के लिए कहा है।

विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक से पहले छात्रों ने 7 सितंबर को विश्वविद्यालय के अंदर पॉलिसी-स्क्रैपिंग के खिलाफ विरोध की योजना बनाई थी। उस समय तक, सरकार ने छात्रों को कॉलेज परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। हालांकि, विरोध के दिन, कश्मीरी गेट बंद कर दिया गया था। इसके अलावा, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और पुलिस गेट पर खड़े होकर प्रदर्शनकारी छात्रों को गिरफ्तार करने की धमकी दे रहे थे।

शुभजीत ने कहा, "एक छात्र के विरोध के लिए सशस्त्र बलों को देखना निराशाजनक था।"

विरोध प्रदर्शन के दौरान सुभजीत ने सभा को बताया कि प्रशासन ने हाशिए की समर्थक मौजूदा नीतियों को निरस्त करके छात्रों के साथ विश्वासघात किया है जो कि जले पर नमक छिड़कने जैसा है। छात्रों को समाचार रिपोर्टों के माध्यम से नीति के आधिकारिक स्क्रैपिंग के बारे में सूचित किया गया, न कि खुद विश्वविद्यालय की तरफ से। 

AUDFA ने हाल ही में बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट को चेतावनी देते हुए लिखा है कि चार वर्षीय नीति को बंद करना "AUD की दूरदृष्टि को प्राप्त करने के खिलाफ दूरगामी परिणाम होगा।"

उन्होंने बोर्ड को याद दिलाया कि सामाजिक रूप से वंचित छात्रों के बीच बड़ी ड्रॉप-आउट की समस्या को दूर करने के लिए एयूडी ने आंशिक शुल्क माफी का पूरा तरीका अपनाया। आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने बताया कि इन श्रेणियों से विश्वविद्यालय में प्रवेशित छात्रों की संक्या पर नीति का तत्काल सकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसके अलावा बयान में तर्क दिया गया कि छात्रों की फीस 2018 के आंकड़ों के आधार पर कुळ राजस्व का लगभग 15 प्रतिशत योगदान करती है। 

एसोसिएशन ने कहा कि एयूडी को अपनी शुल्क नीति के सिद्धांतों के माध्यम से जाति और सामाजिक भेदभाव के अन्य रूपों के आधार पर उत्पीड़ित लोगों के लिए पुनर्मूल्यांकन सुनिश्चित करना चाहिए। हालांकि विश्वविद्यालय के अधिकारी किसी तरह की टिप्पणी के लिए अनुपलब्ध थे। 

इस बीच भारती का अपने ऑनलाइन क्लासों के लिए संघर्ष करना जारी है। उनकी बहन ने उनके (भारती) नक्शेकदम पर चलने और उसके बैचलर्स कोर्स के लिए AUD में दाखिला लेने की योजना बनाई थी। हालांकि शुल्क माफी खत्म होने से भारती की बहन के साथ-साथ कई अन्य वंचित छात्रों का भविष्य़ अनिश्चित हो गया है। 
 

बाकी ख़बरें