ग्रेटर नोएडा के बादलपुर थाना क्षेत्र में 6 सितंबर को कैब चालक आफताब आलम का शव उसकी कार में मिला था। इस मामले में गौतमबुद्ध नगर में जीरो एफआईआर दर्ज कर बुलंदशहर पुलिस को जांच सौंप दी गई थी। लेकिन करीब 45 दिन गुजर जाने के बाद भी आज तक हत्यारोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। हत्यारोपियों की गिरफ्तारी और पीड़ित परिजनों को न्याय के लिए परिजनों ने ट्विटर पर ‘हैशटैग ऑफताब आलम को इंसाफ दो’ नाम से मुहिम छिड़ी है। बुधवार को मुहिम ट्रेंडिंग ट्वीट में शामिल हुई और 16500 लोगों ने इस पर ट्वीट भी किया।

परिजनों का कहना है कि बदमाशों ने बुलंदशहर से ही कैब बुक की थी। आफताब के बेटे दिल्ली निवासी साबिर ने बताया कि पिता दिल्ली से बुलंदशहर की बुकिंग पर गए थे। 6 सितंबर को वापस आते समय तीन बदमाशों ने नोएडा के लिए कैब ली। रास्ते में पिता को उनके बदमाश होने का शक हुआ तो उन्होंने मुझे कॉल की और कैब चलाते रहे। इस दौरान बदमाशों की बातचीत रिकॉर्ड हुई थी।

'दादरी के एक पंप पर सीएनजी डलाने के लिए जब पिता ने कैब रोकी थी, तब बदमाशों ने पंप कर्मी से धार्मिक नारा लगाने को बोला था। इसके बाद देर शाम को बादलपुर थाना क्षेत्र में जीटी रोड पर कैब पिता का शव मिला था।'
साबिर का कहना है कि दो दिन पहले बुलंदशहर पुलिस ने कॉल कर बुलाया था, लेकिन उन्होंने घर पर अकेले होने के हवाला देते हुए पुलिस से उनके घर आने को कहा था। साबिर का कहना है कि इतने दिनों में पुलिस ने हत्यारों की तलाश नहीं की। पिता न्याय दिलाने के लिए अब वह ट्विटर पर ‘हैशटैग आफताब आलम को इंसाफ दो’ के नाम से मुहिम चला रहे हैं। वह ट्विटर पर गुजारिश कर रहे हैं कि लोग उनकी मुहिम में शामिल हों, ताकि उनके पिता को इंसाफ मिल सके।

परिजनों का कहना है कि बदमाशों ने बुलंदशहर से ही कैब बुक की थी। आफताब के बेटे दिल्ली निवासी साबिर ने बताया कि पिता दिल्ली से बुलंदशहर की बुकिंग पर गए थे। 6 सितंबर को वापस आते समय तीन बदमाशों ने नोएडा के लिए कैब ली। रास्ते में पिता को उनके बदमाश होने का शक हुआ तो उन्होंने मुझे कॉल की और कैब चलाते रहे। इस दौरान बदमाशों की बातचीत रिकॉर्ड हुई थी।

'दादरी के एक पंप पर सीएनजी डलाने के लिए जब पिता ने कैब रोकी थी, तब बदमाशों ने पंप कर्मी से धार्मिक नारा लगाने को बोला था। इसके बाद देर शाम को बादलपुर थाना क्षेत्र में जीटी रोड पर कैब पिता का शव मिला था।'
साबिर का कहना है कि दो दिन पहले बुलंदशहर पुलिस ने कॉल कर बुलाया था, लेकिन उन्होंने घर पर अकेले होने के हवाला देते हुए पुलिस से उनके घर आने को कहा था। साबिर का कहना है कि इतने दिनों में पुलिस ने हत्यारों की तलाश नहीं की। पिता न्याय दिलाने के लिए अब वह ट्विटर पर ‘हैशटैग आफताब आलम को इंसाफ दो’ के नाम से मुहिम चला रहे हैं। वह ट्विटर पर गुजारिश कर रहे हैं कि लोग उनकी मुहिम में शामिल हों, ताकि उनके पिता को इंसाफ मिल सके।