एक कारोबारी की प्रधानमंत्री मोदी के नाम खुली चिट्ठी...

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: March 25, 2020
प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी,



मैं यह पत्र डरता हुआ उम्मीद के साथ लिख रहा हूँ। अगर छोटे उद्योग, एसएमई, स्टार्टअप आदि क्षेत्र परेशान हों और खत्म हो जाएं तो भारत बचा नहीं रह सकता है। वित्त मंत्री के तहत जो आपने जो टास्क फोर्स बनाई है उसने अभी तक काम शुरू नहीं किया है। मैं 10 सुझाव दे रहा हूँ। हमलोग चाहते हैं कि सरकार इनपर विचार करे। हम उम्मीद करते हैं कि यह सुझावों के लिए आधार बनेगा। यह एक ऐसे उद्यमी का सुझाव है जो लॉक डाउन के नुकसान का बहादुरी के साथ सामना कर रहा है।

1. कृपया प्रत्येक जन-धन खाते में 5000 रुपए जमा करें जो प्रत्येक को रोजगार के नुकसान की भरपाई करने के लिए होगा। 298 मिलियन खातों का मतलब होगा लाख करीब 1.50 लाख करोड़ रुपए।

2. कृपया कंपनियों को लंबित टैक्स और जीएसटी भुगतान 30 जून तक की देरी से करने की अनुमति दें। कृपया सरकार के पास बकाया सभी कंपनियों का भुगतान करें। कृपया कर वापसी के सभी मामलों को प्रोसेस कर धनवापसी करें। इसका मतलब होगा संकट से निपटने के लिए कंपनियों के हाथों में अधिक नकदी। सरकार चलाने के लिए देरी से प्राप्त होने वाले टैक्स के बदले सरकार कर्ज ले। कंपनियां बैंकों से कर्ज मांगें उससे यह कहीं बेहतर है।

3. कृपया ईएमआई, ऋण चुकौती को छह महीने के लिए टाल दें। बैंकों के एनपीए नियमों को बदलें ताकि इसका नुकसान उनकी बैलेंस शीट को न हो।

4. कृपया मार्च और अप्रैल में वेतन के मद में चुकाई गई सारी राशि पर उन कंपनियों को हर तरह के टैक्स में छूट दें जो किसी भी कर्मचारी या दिहाड़ी मजदूर के पैसे नहीं काट रही हैं ताकि कंपनियों को लाभ हो। इससे कर्मचारी को पूरा वेतन मिलेगा और कंपनी को टैक्स वाले हिस्से का लाभ होगा।

5. कृपया विमानन ईंधन पर सभी करों को खत्म कर दें। यात्रा और पर्यटन को प्राथमिकता वाले क्षेत्र बनाएं। जीएसटी दर शून्य रखें।

6. कृपया शेयर बाजार में स्थिरता लाने के लिए प्रोमोटर को बाजार से अपने शेयर खरीदने की अनुमति दें और इसमें टैक्स का कोई असर न हो। शेयर बाजार के उजड़ने का प्रभाव बैंकिंग पर भी हो सकता है।

7. कृपया सुनिश्चित करें कि आयकर अधिनियम की धारा 35 (2 एबी) के तहत किए गए बेवकूफाना संशोधनों को उलट दिया जाए है। इससे कंपनियां विज्ञान और अनुसंधान में निवेश कर सकेंगी। 2017 के एक संशोधन ने कटौती कम कर दी और नई शर्तें लागू कर दीं जिससे कंपनियों ने अनुसंधान संस्थानों में निवेश कम कर दिया।

8. स्वास्थ्य बीमा पर शून्य टैक्स होना चाहिए। जीवन बीमा पर भी शून्य टैक्स होना चाहिए।

9. कच्चे तेल के दाम में गिरावट के कारण भारत को 45000 करोड़ रुपए की बचत हो रही है। इसे एक कोष में बदल दें जिसका उपयोग मौजूदा कोरोना संकट से लड़ने के लिए और बाद में चिकित्सा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना के लिए किया जा सकता है ।

10. कृपया शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों में होने वाले सभी खर्चों को टैक्स मुक्त करें। एक बच्चे को शिक्षित करने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए होने वाले खर्च से कमाई करना देश के लिए पाप और अपराध है। इससे देश में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की लागत भी कम हो जाएगी।

भारत अभी भी वित्तीय उपायों की घोषणा करने के लिए टास्क फोर्स का इंतजार कर रहा है (आज प्रेस कांफ्रेंस हुई)। 800 मिलियन (80 करोड़ कामगारों) के साथ, हम बस बैठे नहीं रह सकते हैं कि चीजें खुद ठीक हो जाएंगी।

कृपया कुछ करें। समाधान देने में वही देरी मत कीजिए जो कोरोना को एक समस्या के रूप में स्वीकार करने में की गई।
कृपया उद्योग और अर्थव्यवस्था को बचाएं ।
आपका
एक भारतीय कारोबारी।

Peri Maheshweri की पोस्ट का अनुवाद।

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