निरीक्षण के दौरान सीएमओ; फोटो साभार : एबीपी न्यूज़
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा के नेतृत्व वाली यूपी की योगी सरकार के अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। ऐसा लगता है जैसे राज्य में क़ानून व्यवस्था धराशायी हो गई है। वे महिला कर्मचारियों से आपत्तिजनक बातें करते हैं और बंगले पर आने को कहते हैं। आरोपी पर कार्रवाई होने के बजाए पीड़िता पर ही कार्रवाई की जाती है। ऐसे में महिलाओं का शोषण बढ़ता चला जाता है और कार्यस्थल पर उत्पीड़न के मामले सामने आते रहते हैं। इन घटनाओं से महिलाओं के लिए समान अवसर की बात बेमानी लगती है। वहीं इस तरह के कई मामले सामने आते हैं तो वहीं कुछ मामले दब जाते हैं या दबा दिए जाते हैं।
"सीएमओ को कहीं आत्मग्लानि नहीं"
इसी तरह की एक घटना प्रदेश के रामपुर में हुई जहां एक महिला शिक्षक से ज़िला के सीएमओ ने बदतमीज़ी से बातें की जिससे वह परेशान हो गईं। शिक्षिका का आरोप है कि "स्कूल सर्वेक्षण के दौरान सीएमओ ने मुझसे कहा कि घर पर आना, मुझे इंतेज़ार रहेगा। स्कूल में सीएमओ ने फोटो खींचवाने की बात की तो मैंने अपने साथी स्टाफ को बुला लिया। उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया लेकिन मैंने मना कर दिया। मैंने उच्च अधिकारी होने के सम्मान में फोटो खींचवाने की बात मान ली। उन्हें कहीं आत्मग्लानि नहीं थी कि मैंने महिला से इतनी बड़ी बातें कर दी। उन्हें डर नहीं था कि कहीं आगे ये बात निकल न जाए। सीएमओ के जाने के बाद मैं काफी भावुक हो गई और मैंने इस घटना के बारे अपने स्टाफ से बताया। 25 जुलाई को उन्होंने टास्क फोर्स की बैठक में मौखिक रूप से शिकायत की कि किशनपुर के एक स्कूल में एक महिला टीचर गन लेकर आती है और जैसे ही मैं जाता हूं तो मुझसे कहती है कि मैं लाइसेंसधारी हूं। इस पर शिक्षिका ने कहा कि मैं एक बुद्धिजीवी वर्ग से आती हूं, मैं एक शिक्षित समाज में शिक्षिका हूं, क्या आप मुझसे ये उम्मीद कर सकते हैं। मेरी पिछले तेरह साल से यहां पोस्टिंग है, कोई बता नहीं सकता है कि मैं मेरे पास रिवॉल्वर है या दो नली है या एक नली क्योंकि किसी ने आज तक देखा ही नहीं। उन्होंने मुझसे इतनी बड़ी बातें कह दी कि मैं शॉक्ड हो गई मेरे दिमाग में कुछ नहीं आया... महिला शिक्षक ने आगे कहा कि 24 जुलाई को एक शख्स ने मुझसे कहा कि आप सीएमओ साहब उनके ऑफिस में मिल लो या उनके बंगले पर मिल लो।"
नाराज़ ग्रामीणों ने डीएम-एसपी का घेराव किया
सीएमओ की शिकायत पर महिला टीचर को निलंबित कर दिया गया है। इनके निलंबन से अन्य टीचर व ग्रामीण काफ़ी नाराज़ हो गए और ग्रामीणों ने डीएम व एसपी का घेराव कर टीचर का निलंबन वापस लेने की मांग की है। महिला शिक्षक के निलंबन की ख़बर से नाराज़ ग्रामीणों ने डीएम-एसपी का घेराव कर टीचर को बेकसूर बताया और निलंबन वापस करने की मांग की। साथ ही स्कूल की अन्य शिक्षकों का भी कहना है कि निलंबन ग़लत हुआ है। सीएमओ ने जब आपत्तिजनक टिप्पणी की तभी शिक्षक ने अपने बचाव में अपने पास लाइसेंसी हथियार वाली बात कही थी।
अधिकारी ने चरित्र हनन किया
पीड़ित शिक्षक ने रूंधे गले से बताया कि उसने अपनी इज्जत की ख़ातिर सीएमओ के ख़िलाफ़ कहीं भी शिकायत नहीं की थी लेकिन सीएमओ ने उनका चरित्र हनन किया है और उन्हें बदनाम कर दिया है। अगर मेरे काम में कोई कमी थी तो वह निरीक्षण रिपोर्ट में उसका ज़़िक्र कर देते। लेकिन उन्होंने कोई रिपोर्ट मेरे ख़िलाफ़ या पक्ष में देने के बजाए मेरी मौखिक शिकायत की और मेरा निलंबन हो गया। शिक्षिका ने कहा कि अब मुझे मजबूरी में बोलना पड़ रहा है। मैं इंसाफ चाहती हूं।
सवाल पूछने पर सीएमओ भड़क गए
रामपुर के बीएसए का राघवेंद्र सिंह का कहना है बैठक में सीएमओ की मौखिक शिकायत पर शिक्षक के ख़िलाफ़ निलंबन की गई है। एबीपी की रिपोर्ट के मुताबिक जब इस मामले में रामपुर के सीएमओ एस पी सिंह से रिपोर्टर ने बात की तो वह सवालों के जवाब देने के बजाए भड़क गए और कैमरा बंद करने की धमकी देने लगे। महिला टीचर के सवालों का उनके पास कोई जवाब नहीं था।