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Photo Courtesy: The Guardian
जो मोदी सरकार इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के दिनों को देश के इतिहास के सबसे काले दिनों में शुमार कर रही है और गाहे-बगाहे इसका जिक्र करना नहीं भूलती वह खुद हिटलरशाही पर उतर आई है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बरती जा रही सख्ती और दंड देने के क्रूर तरीके इमरजेंसी के दिनों के नसबंदी कार्यक्रम की याद दिला रहे हैं।
मध्य प्रदेश में खुले में शौच जाने वाले लोगों के खिलाफ तो सख्ती की इंतिहा होती दिख रही है। तरह-तरह के दंड दिए जा रहे हैं, कहीं शिक्षक निलंबित हो रहा है तो कहीं पत्नी के खुले में शौच की सजा पति को मिल रही है। गांव वालों की बिजली काटी जा रही है। पीडीएस का उनका राशन बंद किया जा रहा है। मनरेगा में काम नहीं मिल रहा है।
सख्ती का ताजा मामला मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से आया है, जहां ग्राम पंचायत ने खुले में शौच जाने वाले एक परिवार पर 75 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। बैतूल जिले के आमला विकासखंड के तहत ग्राम पंचायत रंभाखेड़ी में कुंवरलाल साहू के परिवार के दस लोगों पर यह जुर्माना लगाया गया है। इस परिवार के लोग खुले में शौच जा रहे थे। पंचायत ने उन्हें ऐसा न करने की हिदायत दी थी लेकिन इस परिवार के सदस्यों ने पंचायत की बात नहीं मानी। पंचायत की सरपंच रामरती बाई और रोजगार सहायक कुंवरलाल ने इस परिवार पर प्रति व्यक्ति 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जोड़कर एक माह का 75 हजार रुपये जुर्माना का नोटिस दे दिया। रोजगार सहायक कुंवर लाल के मुताबिक, एक माह पूर्व हिदायत दी गई, जिसे लोगों ने नहीं माना, परिणामस्वरूप एक परिवार पर 75 हजार रुपये और अन्य 43 ग्रामीणों पर भी अलग-अलग जुर्माना किया गया है।
इतना ही नहीं खुले में शौच जाने वालों को दंडित करने के लिए और भी अलग-अलग तरह के क्रूर तरीके अपनाए जा रहे हैं। कई जगहों पर उन्हें आवारा पशु पकड़ने वाली गाड़ियों में बिठा कर घुमाया जा रहा है। सरकार के स्वच्छता मिशन कार्यक्रम के तहत पूरे देश में शौचालय बनाने का बड़ा कार्यक्रम चलाया जा रहा है लेकिन यह भ्रष्टाचार, नौकरशाही, और लालफीताशाही में फंस चुका है। दूसरी ओर लोगों पर जबरदस्ती शौचालय बनाने का दबाव डाला जा रहा है। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ तरह-तरह के दंड के तरीके आजमाए जा रहे हैं। आम लोगों खास कर ग्रामीण इलाकों में सरकार के इस कदम से लोगों में भारी गुस्सा है।