यूपी के फर्रुखाबाद में 49 बच्चों की मौतों के बाद यूपी सरकार ने ऑक्सीजन की कमी को इसकी वजह मानने से इनकार कर दिया है। गोरखपुर की तरह फर्रुखाबाद में भी सरकार यह मानने को तैयार नहीं है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। जबकि शुरुआती मीडिया रिपोर्टों में ऑक्सीजन की कमी ही इन मौतों की जिम्मेदार बताई जा रही है। फर्रुखाबाद में 30 बच्चे में नवजात शिशु वार्ड में मारे गए जबकि 19 की मौत डिलीवरी के दौरान हुई।

बहरहाल, योगी सरकार ने अपनी अक्षमता का ठीकरा जिलाधिकारी, सीएमओ और सीएमएस पर फोड़ते हुए उन्हें हटा दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने दावा किया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी। मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए ऐसा कहा जा रहा है। साफ है कि सरकार अपनी अक्षमता का बचाव करने के लिए नौकरशाहों और चिकित्सा अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है।
यही वजह है कि मुख्य चिकित्साधिकारी, महिला जिला चिकित्सालय के मुख्य अधीक्षक और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने को बावजूद विरोध में जिले के डॉक्टरों पांच और छह सितंबर को सामूहिक अवकाश में रहने का ऐलान किया है।
दरअसल फर्रुखाबाद के डीएम ने नगर मजिस्ट्रेट जयनेंद्र कुमार जैन से बच्चों की मौत की जांच करवाई थी,जिसके बाद पुलिस में दोषी डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। फर्रुखाबाद कोतवाली में दी गई जैन की की रिपोर्ट मृत बच्चों की मां और परिवारजनों से फोन पर हुई बात के आधार पर बताया गया था कि अधिकतर बच्चों की मौत पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने से हुई।
फर्रुखाबाद की मौतों के मामले में भी बीआरडी कॉलेज गोरखपुर में हुई बच्चों की मौतों की तरह सरकार अपना बचाव कर रही है और असल कारणों को छिपाने में लगी है। सरकार का कहना है कि उसके अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई ठीक है। ऑक्सीजन की कमी बच्चों की मौत की जिम्मेदार नहीं हो सकती। बहरहाल, सरकार को चाहिए वह इस तरह गैर जिम्मेदाराना तरीके से पेश आने के बजाय राज्य के सरकारी अस्पतालों ऑक्सीजन सप्लाई की जानकारी सार्वजनिक करे। तभी योगी सरकार का पारदर्शी सरकार देने का दावा सच साबित होगा।

बहरहाल, योगी सरकार ने अपनी अक्षमता का ठीकरा जिलाधिकारी, सीएमओ और सीएमएस पर फोड़ते हुए उन्हें हटा दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने दावा किया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी। मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए ऐसा कहा जा रहा है। साफ है कि सरकार अपनी अक्षमता का बचाव करने के लिए नौकरशाहों और चिकित्सा अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है।
यही वजह है कि मुख्य चिकित्साधिकारी, महिला जिला चिकित्सालय के मुख्य अधीक्षक और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने को बावजूद विरोध में जिले के डॉक्टरों पांच और छह सितंबर को सामूहिक अवकाश में रहने का ऐलान किया है।
दरअसल फर्रुखाबाद के डीएम ने नगर मजिस्ट्रेट जयनेंद्र कुमार जैन से बच्चों की मौत की जांच करवाई थी,जिसके बाद पुलिस में दोषी डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। फर्रुखाबाद कोतवाली में दी गई जैन की की रिपोर्ट मृत बच्चों की मां और परिवारजनों से फोन पर हुई बात के आधार पर बताया गया था कि अधिकतर बच्चों की मौत पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने से हुई।
फर्रुखाबाद की मौतों के मामले में भी बीआरडी कॉलेज गोरखपुर में हुई बच्चों की मौतों की तरह सरकार अपना बचाव कर रही है और असल कारणों को छिपाने में लगी है। सरकार का कहना है कि उसके अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई ठीक है। ऑक्सीजन की कमी बच्चों की मौत की जिम्मेदार नहीं हो सकती। बहरहाल, सरकार को चाहिए वह इस तरह गैर जिम्मेदाराना तरीके से पेश आने के बजाय राज्य के सरकारी अस्पतालों ऑक्सीजन सप्लाई की जानकारी सार्वजनिक करे। तभी योगी सरकार का पारदर्शी सरकार देने का दावा सच साबित होगा।