FIITJEE ने न केवल ग्वालियर में बल्कि भोपाल और इंदौर सहित देशभर में कई सेंटर सत्र के बीच में ही बंद कर दिए हैं। इससे बड़ी संख्या में छात्र प्रभावित हुए हैं।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले से उपभोक्ता अधिकारों को लेकर एक अहम फैसला सामने आया है। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने देशभर में कोचिंग क्लासेस चलाने वाले प्रतिष्ठित संस्थान फिटजी (FIITJEE) को छात्रों और उनके अभिभावकों को राहत देने का आदेश दिया है। आयोग ने ग्वालियर के FIITJEE स्टडी सेंटर को दोषी ठहराते हुए फीस की वापसी और क्षतिपूर्ति का निर्देश दिया है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला उन छात्रों से जुड़ा है जिन्होंने दो वर्षीय कोर्स के लिए पूरी फीस जमा की थी, लेकिन सत्र के बीच में ही कोचिंग सेंटर बंद कर दिया गया। इस फैसले से न केवल प्रभावित छात्रों को न्याय मिला है, बल्कि यह निजी संस्थानों की मनमानी से जूझ रहे अन्य छात्रों और अभिभावकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मिसाल है।
ग्वालियर स्थित FIITJEE सेंटर में सैकड़ों छात्र आईआईटी-जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। इन छात्रों ने कोर्स के लिए लाखों रुपये फीस के रूप में जमा किए थे। हालांकि, संस्थान ने बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक सेंटर बंद कर दिया। छात्रों और अभिभावकों ने बार-बार फीस वापसी की मांग की लेकिन संस्थान ने उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया। अंततः, अभिभावकों को न्याय के लिए कानूनी रास्ता अपनाने पर मजबूर होना पड़ा।
दो छात्रों के अभिभावकों -ज्योति रंजन आचार्य और विकास अग्रवाल -ने अधिवक्ता अंकित माथुर के जरिए जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका दायर किया। सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट रूप से साबित हुआ कि संस्थान ने छात्रों और उनके परिवारों के साथ अनुचित व्यवहार किया तथा उन्हें अपेक्षित शैक्षणिक सेवाएं प्रदान नहीं कीं।
आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शर्मा और सदस्य रेवती रमन मिश्रा ने आदेश देते हुए कहा कि FIITJEE संस्थान को 45 दिनों के भीतर पूरी फीस लौटानी होगी। इसके अलावा, संस्थान को अभिभावकों को 50,000 रूपये क्षतिपूर्ति, मानसिक पीड़ा के लिए अलग से मुआवजा तथा वाद के खर्च का भुगतान भी करना होगा।
आदेश में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि निर्धारित समयावधि में भुगतान नहीं किया जाता है, तो संस्थान के खिलाफ अतिरिक्त कार्रवाई की जा सकती है। स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यदि FIITJEE तय समय सीमा के भीतर फीस और क्षतिपूर्ति राशि वापस नहीं करता है, तो उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया जाएगा।
अधिवक्ता अंकित माथुर ने मीडिया को जानकारी दी कि FIITJEE संस्थान ने केवल ग्वालियर ही नहीं, बल्कि भोपाल, इंदौर समेत देशभर के कई स्टडी सेंटर सत्र के मध्य में ही बंद कर दिए हैं। इस निर्णय से हजारों छात्र प्रभावित हुए हैं। कई स्थानों पर अभिभावकों ने संस्थान के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई हैं और न्यायिक कार्रवाई की मांग की है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए कानून के विशेषज्ञ मयंक सिंह ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत शिक्षा संस्थान भी सेवा प्रदाता की श्रेणी में आते हैं। यदि कोई संस्था तयशुदा अनुबंध के अनुसार सेवा उपलब्ध नहीं कराती है या फिर बीच में ही सेवा बंद कर देती है तो यह सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है। FIITJEE जैसे संस्थानों ने छात्रों से पूरी फीस वसूल कर ली थी लेकिन कोर्स पूरा कराए बिना सेंटर बंद कर दिया। यह उपभोक्ता अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। ऐसे मामलों में प्रभावित पक्ष उपभोक्ता आयोग का दरवाज़ा खटखटा सकता है और फीस वापसी के साथ-साथ क्षतिपूर्ति का हकदार होता है।
उन्होंने आगे कहा कि आयोग द्वारा पारित आदेश में न केवल फीस वापसी, बल्कि क्षतिपूर्ति और ब्याज भुगतान का भी प्रावधान किया गया है। यह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा का एक मजबूत उदाहरण है और शिक्षा संस्थानों के लिए यह स्पष्ट संदेश है कि वे मनमानी नहीं कर सकते। निर्धारित समय में भुगतान न होने पर ब्याज लगाए जाने का प्रावधान उपभोक्ता कानून की सख्ती को दर्शाता है। यह फैसला उन सभी अभिभावकों और छात्रों के लिए एक मिसाल है कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कानूनी रास्ता अपनाएं और अपने अधिकारों की रक्षा करें।
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग एक अर्ध-न्यायिक संस्था है, जिसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत गठित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को त्वरित, सुलभ और प्रभावी न्याय प्रदान करना है। उपभोक्ता यहां उन वस्तुओं या सेवाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिनमें सेवा की गुणवत्ता में कमी, अनुचित व्यापारिक आचरण या धोखाधड़ी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। यह आयोग तीन स्तरों - जिला, राज्य और राष्ट्रीय -पर काम करता है और उपभोक्ताओं की शिकायतों पर सुनवाई कर दोषी पक्ष को मुआवजा, ब्याज, जुर्माना अथवा अन्य उपयुक्त राहत देने का आदेश दे सकता है।
शिकायत कैसे करें
उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करना एक सरल प्रक्रिया है। यदि किसी उपभोक्ता को किसी वस्तु या सेवा के संबंध में ठगी, धोखाधड़ी, अनुचित व्यापार व्यवहार या सेवा की गुणवत्ता में कमी का अनुभव होता है, तो वह सीधे जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर सकता है।
शिकायत दर्ज करने के लिए सबसे पहले संबंधित संस्था या कंपनी के खिलाफ एक लिखित आवेदन तैयार करना होता है, जिसमें पूरी घटना का विवरण, भुगतान से संबंधित रसीदें, अनुबंध की प्रतियां तथा अन्य आवश्यक साक्ष्य संलग्न किए जाते हैं।
शिकायतकर्ता यह आवेदन स्वयं दाखिल कर सकता है या किसी अधिवक्ता की सहायता भी ले सकता है। उपभोक्ता आयोग में अपनी शिकायत की पैरवी भी स्वयं की जा सकती है।
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द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला उन छात्रों से जुड़ा है जिन्होंने दो वर्षीय कोर्स के लिए पूरी फीस जमा की थी, लेकिन सत्र के बीच में ही कोचिंग सेंटर बंद कर दिया गया। इस फैसले से न केवल प्रभावित छात्रों को न्याय मिला है, बल्कि यह निजी संस्थानों की मनमानी से जूझ रहे अन्य छात्रों और अभिभावकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मिसाल है।
ग्वालियर स्थित FIITJEE सेंटर में सैकड़ों छात्र आईआईटी-जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। इन छात्रों ने कोर्स के लिए लाखों रुपये फीस के रूप में जमा किए थे। हालांकि, संस्थान ने बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक सेंटर बंद कर दिया। छात्रों और अभिभावकों ने बार-बार फीस वापसी की मांग की लेकिन संस्थान ने उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया। अंततः, अभिभावकों को न्याय के लिए कानूनी रास्ता अपनाने पर मजबूर होना पड़ा।
दो छात्रों के अभिभावकों -ज्योति रंजन आचार्य और विकास अग्रवाल -ने अधिवक्ता अंकित माथुर के जरिए जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका दायर किया। सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट रूप से साबित हुआ कि संस्थान ने छात्रों और उनके परिवारों के साथ अनुचित व्यवहार किया तथा उन्हें अपेक्षित शैक्षणिक सेवाएं प्रदान नहीं कीं।
आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शर्मा और सदस्य रेवती रमन मिश्रा ने आदेश देते हुए कहा कि FIITJEE संस्थान को 45 दिनों के भीतर पूरी फीस लौटानी होगी। इसके अलावा, संस्थान को अभिभावकों को 50,000 रूपये क्षतिपूर्ति, मानसिक पीड़ा के लिए अलग से मुआवजा तथा वाद के खर्च का भुगतान भी करना होगा।
आदेश में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि निर्धारित समयावधि में भुगतान नहीं किया जाता है, तो संस्थान के खिलाफ अतिरिक्त कार्रवाई की जा सकती है। स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यदि FIITJEE तय समय सीमा के भीतर फीस और क्षतिपूर्ति राशि वापस नहीं करता है, तो उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया जाएगा।
अधिवक्ता अंकित माथुर ने मीडिया को जानकारी दी कि FIITJEE संस्थान ने केवल ग्वालियर ही नहीं, बल्कि भोपाल, इंदौर समेत देशभर के कई स्टडी सेंटर सत्र के मध्य में ही बंद कर दिए हैं। इस निर्णय से हजारों छात्र प्रभावित हुए हैं। कई स्थानों पर अभिभावकों ने संस्थान के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई हैं और न्यायिक कार्रवाई की मांग की है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए कानून के विशेषज्ञ मयंक सिंह ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत शिक्षा संस्थान भी सेवा प्रदाता की श्रेणी में आते हैं। यदि कोई संस्था तयशुदा अनुबंध के अनुसार सेवा उपलब्ध नहीं कराती है या फिर बीच में ही सेवा बंद कर देती है तो यह सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है। FIITJEE जैसे संस्थानों ने छात्रों से पूरी फीस वसूल कर ली थी लेकिन कोर्स पूरा कराए बिना सेंटर बंद कर दिया। यह उपभोक्ता अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। ऐसे मामलों में प्रभावित पक्ष उपभोक्ता आयोग का दरवाज़ा खटखटा सकता है और फीस वापसी के साथ-साथ क्षतिपूर्ति का हकदार होता है।
उन्होंने आगे कहा कि आयोग द्वारा पारित आदेश में न केवल फीस वापसी, बल्कि क्षतिपूर्ति और ब्याज भुगतान का भी प्रावधान किया गया है। यह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा का एक मजबूत उदाहरण है और शिक्षा संस्थानों के लिए यह स्पष्ट संदेश है कि वे मनमानी नहीं कर सकते। निर्धारित समय में भुगतान न होने पर ब्याज लगाए जाने का प्रावधान उपभोक्ता कानून की सख्ती को दर्शाता है। यह फैसला उन सभी अभिभावकों और छात्रों के लिए एक मिसाल है कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कानूनी रास्ता अपनाएं और अपने अधिकारों की रक्षा करें।
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग एक अर्ध-न्यायिक संस्था है, जिसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत गठित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को त्वरित, सुलभ और प्रभावी न्याय प्रदान करना है। उपभोक्ता यहां उन वस्तुओं या सेवाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिनमें सेवा की गुणवत्ता में कमी, अनुचित व्यापारिक आचरण या धोखाधड़ी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। यह आयोग तीन स्तरों - जिला, राज्य और राष्ट्रीय -पर काम करता है और उपभोक्ताओं की शिकायतों पर सुनवाई कर दोषी पक्ष को मुआवजा, ब्याज, जुर्माना अथवा अन्य उपयुक्त राहत देने का आदेश दे सकता है।
शिकायत कैसे करें
उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करना एक सरल प्रक्रिया है। यदि किसी उपभोक्ता को किसी वस्तु या सेवा के संबंध में ठगी, धोखाधड़ी, अनुचित व्यापार व्यवहार या सेवा की गुणवत्ता में कमी का अनुभव होता है, तो वह सीधे जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर सकता है।
शिकायत दर्ज करने के लिए सबसे पहले संबंधित संस्था या कंपनी के खिलाफ एक लिखित आवेदन तैयार करना होता है, जिसमें पूरी घटना का विवरण, भुगतान से संबंधित रसीदें, अनुबंध की प्रतियां तथा अन्य आवश्यक साक्ष्य संलग्न किए जाते हैं।
शिकायतकर्ता यह आवेदन स्वयं दाखिल कर सकता है या किसी अधिवक्ता की सहायता भी ले सकता है। उपभोक्ता आयोग में अपनी शिकायत की पैरवी भी स्वयं की जा सकती है।
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