नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। सरकार की गोदी में बैठे मीडिया से नाराज किसान अपना अखबार निकाल रहे हैं और लोगों में सर्कुलेट कर रहे हैं। इसके साथ ही किसानों ने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अपनी आमद दर्ज करा ली है, ताकि आईटी सेल द्वारा फैलाए जा रहे प्रोपेगेंडा को काउंटर किया जा सके। लेकिन रविवार को उस समय अफरातफरी मच गई जब किसानों द्वारा द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे फेसबुक अकाउंट को लाइव प्रसारण के बाद ब्लॉक कर दिया गया और इंस्टाग्राम अकाउंट पर कंटेंट डालने पर रोक लगा दी गई।
सरकार के इस कदम ने ऑनलाइन सेंसरशिप के बारे में बहस को फिर से खड़ा कर दिया है। हालांकि फेसबुक ने बाद में पेज को दोबारा खोल दिया और इंस्टाग्राम नया कंटेंट अपलोड करने की जो पाबंदी लगाई थी वह भी हट गई। किसानों के मुताबिक फेसबुक ने जानबूझकर ऐसा किया है। हालांकि विरोध के बाद पेज को फिर से बहाल कर दिया गया।
फेसबुक के प्रवक्ता ने इसके लिए खेद जताया और कहा कि किसान एकता मोर्चा के पेज को दोबारा से चालू कर दिया गया है। आंदोलन से जुड़ी आधिकारिक जानकारी के प्रसार के लिए किसान संगठनों ने किसान एकता मोर्चा के नाम से फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर अकाउंट बनाया है। फेसबुक पेज बंद होने के बाद किसान एकता मोर्चा के ट्विटर हैंडल से कहा गया कि जब लोग आवाज उठाते हैं तो वे बस यही कर सकते हैं।
दरअसल रविवार शाम 7 बजे के फेसबुक ने 7 लाख से अधिक फॉलोअर्स वाले किसान एकता मोर्चा के पेज को ब्लॉक कर दिया था। यहआंदोलन के लिए उपयोग किए जा रहे सबसे बड़े पेजों में से एक है। इसके मैनेजर ने बताया था कि उनकी पहुंच को फेसबुक द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है, फेसबुक का कहना था कि वह (किसानों का पेज) स्पैम पर अपने सामुदायिक मानकों के खिलाफ गया था।
उन्होंने कहा कि इंस्टाग्राम पर उनके पेज, जोकि फेसबुक के स्वामित्व में हैं, उस पर किसान एकता मोर्चा का इंस्टाग्राम अकाउंट अभी चल रहा है लेकिन कोई नया कंटेंट अपलोड करने पर पाबंदी लगाई गई है। यह करीब 7:00 बजे की घटना है जब किसान संगठन अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद योगेंद्र यादव फेसबुक लाइव कर रहे थे, उसी दौरान फेसबुक पेज बंद हो गया।
हालांकि बाद में फेसबुक ने किसान एकता मोर्चा का पेज दोबारा खोल दिया। किसान आईटी सेल के मुताबिक इंस्टाग्राम पर नया कंटेंट अपलोड करने की जो पाबंदी लगी थी वह भी हट गई है।
सरकार के इस कदम ने ऑनलाइन सेंसरशिप के बारे में बहस को फिर से खड़ा कर दिया है। हालांकि फेसबुक ने बाद में पेज को दोबारा खोल दिया और इंस्टाग्राम नया कंटेंट अपलोड करने की जो पाबंदी लगाई थी वह भी हट गई। किसानों के मुताबिक फेसबुक ने जानबूझकर ऐसा किया है। हालांकि विरोध के बाद पेज को फिर से बहाल कर दिया गया।
फेसबुक के प्रवक्ता ने इसके लिए खेद जताया और कहा कि किसान एकता मोर्चा के पेज को दोबारा से चालू कर दिया गया है। आंदोलन से जुड़ी आधिकारिक जानकारी के प्रसार के लिए किसान संगठनों ने किसान एकता मोर्चा के नाम से फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर अकाउंट बनाया है। फेसबुक पेज बंद होने के बाद किसान एकता मोर्चा के ट्विटर हैंडल से कहा गया कि जब लोग आवाज उठाते हैं तो वे बस यही कर सकते हैं।
दरअसल रविवार शाम 7 बजे के फेसबुक ने 7 लाख से अधिक फॉलोअर्स वाले किसान एकता मोर्चा के पेज को ब्लॉक कर दिया था। यहआंदोलन के लिए उपयोग किए जा रहे सबसे बड़े पेजों में से एक है। इसके मैनेजर ने बताया था कि उनकी पहुंच को फेसबुक द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है, फेसबुक का कहना था कि वह (किसानों का पेज) स्पैम पर अपने सामुदायिक मानकों के खिलाफ गया था।
उन्होंने कहा कि इंस्टाग्राम पर उनके पेज, जोकि फेसबुक के स्वामित्व में हैं, उस पर किसान एकता मोर्चा का इंस्टाग्राम अकाउंट अभी चल रहा है लेकिन कोई नया कंटेंट अपलोड करने पर पाबंदी लगाई गई है। यह करीब 7:00 बजे की घटना है जब किसान संगठन अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद योगेंद्र यादव फेसबुक लाइव कर रहे थे, उसी दौरान फेसबुक पेज बंद हो गया।
हालांकि बाद में फेसबुक ने किसान एकता मोर्चा का पेज दोबारा खोल दिया। किसान आईटी सेल के मुताबिक इंस्टाग्राम पर नया कंटेंट अपलोड करने की जो पाबंदी लगी थी वह भी हट गई है।