प्रेम-भाईचारे के संदेश की सजा जेल नहीं: अमन चाहने वालों का दमन नामंजूर- NAPM

Written by Sabrangindia Staff | Published on: November 3, 2020
नई दिल्ली: खुदाई खिदमतगार के संस्थापक सदस्य फैसल खान की गिरफ्तारी और उनके साथी चांद मोहम्मद, आलोक रतन व निलेश गुप्ता के खिलाफ मथुरा के नंद बाबा के मंदिर में नमाज पढ़ने और उसकी फोटो खींचने, उसे वायरल करने के लिए मुकदमा दर्ज किया गया। 3 दिन पहले दर्ज किए मुकदमे में फैसल खान को दिल्ली स्थित उनके "अपना घर" से गिरफ्तार करके बरसाना थाना, उत्तर प्रदेश मथुरा ले जाया गया है। FIR भा.द.वि की धारा 153(ए), 295 तथा 505 के तहत दर्ज की गई है। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने बयान जारी कर सरकार के इस कृत्य की भर्त्सना की है। 



जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने जारी बयान में कहा, ''29 अक्टूबर को फैसल खान की फेसबुक पर यह अपडेट था। "Yatra Completed#बृज 84, कोस परिक्रमा यात्रा” सर्वधर्म समभाव प्रेम, करुणा और धार्मिक सहष्णुता के लिए 26 से 29 अक्तूबर@यात्रा का समापन नन्द गांव के “नन्द बाबा मंदिर” में हुआ। ब्रज की ख़ाक में घूमते हुए मुहब्बतों और इनायतों से भरा सफर खत्म हुआ।"

खुदाई खिदमतगार के फेसबुक पेज पर अन्य व्हाट्सएप समूहों पर लगातार यात्रा के संदेश, हर जगह मंदिरों में मत्था टेकते हुए, सभी जगह उनका प्रेम से स्वागत हुआ। कहीं एक संत से आशीर्वाद लेते हुए, कहीं कोई संत रामनोमी पहना रहा है । ऐसे चित्र भी लगातार उनकी यात्रा से सोशल मीडिया पर आते रहे हैं। बृज भूमि को प्रेम का संदेश देने वाली, सब को जोड़ने वाली भूमि मानते हुए, सहिष्णुता प्रेम मोहब्बत का संदेश देकर यह यात्रा चौथे दिन 29 अक्टूबर 2020 को नंद बाबा के मंदिर में समाप्त हुई। यात्रा की ओर से संदेश था कि "मंदिर देखने के बाद नमाज का समय होने पर उन्होंने अनुमति लेकर वही नमाज अदा की।" यह यात्रा के संदेश और भारतीय साधारण जनमानस की आपसी सहिष्णुता का प्रतीक है।



खुदाई खिदमतगार की ओर से लगातार विभिन्न  यात्राओं का आयोजन किया जाता रहा है। जिसमें सब को जोड़ने की बात, प्रेम - विश्वास बढ़ाने की बात का प्रचार किया गया है। खुदाई खिदमतगार सभी धर्मों के संतों से भी जाकर मिलता रहा है। काफी संत दिल्ली में जामिया नगर स्थित "अपना घर" में आते रहे हैं। देश भर से विभिन्न धर्मों के तमाम युवा शांति-भाईचारे का संदेश "अपना घर" से लेते रहे हैं। देश के विभिन्न विषयों पर खासी समझ रखने वाले लोग भी अपना घर में पहुंचते रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान राशन पहुंचाने का महत्व कार्य न केवल अपना घर अपितु खुदाई खिदमतगार के देश भर की साथी करते रहे हैं। फैसल खान, खुदाई खिदमतगार के कन्वीनर होने के नाते इन सब कामों का समन्वय बखूबी निभाते रहे हैं। फैसल खान, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय समन्वयकों की मंडली के वरिष्ठ सदस्य भी हैं।

इन युवाओं पर यह मुकदमा अपने आप में न केवल अशोभनीय है, बल्कि हास्यास्पद भी है। जिस तरह से भाईचारे के संदेश को पूरी तरह उलट कर कुछ खास मानसिकता के संगठन और मीडिया का एक वर्ग प्रचारित कर रहा है, वह भी निंदनीय है। इन सब के बावजूद भी फैसल खान ने कहा, "किसी का किसी बात से यदि दिल दुखा है तो वह उसके लिए माफी चाहते हैं क्योंकि इसके पीछे कोई गलत सोच नहीं थी।"

हम मानते हैं कि उन पर मुकदमा थोपना, उनके शांतिपूर्ण कार्यों व धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने का नतीजा है। यह देखा जा रहा है कि प्रेम और शांति जैसे शब्दों को, जो कि भारत के संविधान की आत्मा हैं, पूरी तरह तोड़ मरोड़ कर भारतीय समाज को एक विध्वंस की ओर ले जाया जा रहा है। "खान अब्दुल गफ्फार खान" द्वारा स्थापित "खुदाई खिदमतगार" के साथी उन नौजवानों के लिए बेहतरीन उदाहरण हैं जो मजहबी पाखंड को ही कौम या मजहब की सेवा का एकमात्र मार्ग समझते हैं।

जहां एक तरफ धार्मिक विद्वेष सत्ता की समर्थन संरक्षण से कुछ तथाकथित संगठनों के द्वारा फैलाया जा रहा है, ऐसे समय में खुदाई खिदमतगार की इस तरह की यात्रा देश के संविधान को संजीवनी देने का काम है। इस तरह की यात्राओं से देश के लोगों की असली मानसिकता सामने आती है, जो मंदिर, मस्जिदों, गुरुद्वारे, गिरजाघर आदि में दुआओं के लिए जाते हैं। 

सांप्रदायिक ताकतों को यही आपसी मेल मिलाप चुभता है। इसीलिए वे हर उस पुल को, हर उस व्यक्ति को जो ऐसे पुल बनाता है, अपने निशाने पर लेते हैं। और किसी भी तरह की झूठे इल्जाम लगाकर, सत्ता के संरक्षण से आवाज बंद करने की कोशिश करते हैं। इस मुद्दे पर भी उनकी पूरी ट्रोल आर्मी काम पर लगी नजर आती है। जो दशकों से जगह-जगह धार्मिक उन्माद फैलाने का काम करते रहे, अब सोशल मीडिया भी उनका एक ठिकाना है।

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय का मानना है कि फैसल खान और उनके साथियों के विरुद्ध दर्ज FIR एक दुर्भावना पूर्वक कृत्य है। हम मांग करते है कि FIR को तत्काल खारिज किया जाए और फैसल खान को ससम्मान तत्काल रिहा किया जाए।

हमें न्यायपालिका से विशेष अपेक्षा है कि वह  बृज की चौरासी कोस की साइकिल यात्रा पर निकले खुदाई खिदमतगार दिल्ली के फैसल खान, मोहम्मद चांद व उनके साथी गांधीवादी कार्यकर्ता नीलेश गुप्ता, आलोक रत्न को बाईज्जत बरी करेगी।

हम न्यायपालिका से न्याय की आशा रखते हुए, समाज से अपील करते हैं कि वह सच्चाई को जानकर, सांप्रदायिक ताकतों को शिकस्त देते हुए प्रेम और भाईचारे का संदेश देने वाली इस तरह की यात्रा के यात्रियों व आयोजकों के साथ खड़ा होगा।

हम फैसल खान और उनके साथी चांद मोहम्मद, आलोक रतन व निलेश गुप्ता के साथ है। हम दमन के खिलाफ और अमन के साथ हैं।''

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