शिमला। सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर और मणिपुर, नागालैंड के पूर्व राज्यपाल अश्विनी कुमार ने शिमला के ब्रॉकहास्ट स्थित अपने घर में खुदकुशी कर ली है। इसकी पुष्टि शिमला के एसपी मोहित चावला ने की। अश्विनी कुमार भारतीय पुलिस सेवा के बेहद तेज तर्रार अफस माने जाते थे। उनकी मौत के बाद से सब हैरान हैं।

उनके सुसाइड नोट में खुदकुशी की वजह बीमारी से तंग आना बताया गया है। हालांकि हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है।
खबरों के मुताबिक उनके पास से बरामद सुसाइड नोट में लिखा है- 'मैं जिंदगी से तंग आकर अपनी अगली यात्रा पर निकल रहा हूं, मैं अपनी बीमारी से तंग आकर यह कदम उठा रहा हूं।' सुसाइड नोट में उन्होंने अपने अंगदान करने की इच्छा का भी जिक्र किया है।
70 वर्षीय अश्विनी कुमार अगस्त 2006 से जुलाई 2008 तक हिमाचल प्रदेश के डीजीपी रहे थे और दो अगस्त 2008 से 30 नवंबर 2010 तक सीबीआइ के डायरेक्टर रहे थे। जब वे सीबीआइ चीफ थे उसी समय सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर मामले में भाजपा नेता व वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को गिरफ्तार किया गया था।
अमित शाह जब गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में गृहमंत्री थे, उसी दौरान सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर हुआ था। यह घटना 26 नवंबर 2005 की है। सोहराबुद्दीन को लश्कर ए तैयबा का आतंकी व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ का एजेंट बताते हुए गुजरात पुलिस ने मार दिया। सोहराबुद्दीन व उसकी पत्नी कौशर बी को हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली एक बस से जाते हुए गुजरात एटीएस ने 23 नवंबर 2005 को गिरफ्तार किया था और उसके तीन दिन बाद 26 नवंबर 2005 को अहमदबाद के बाहरी इलाके में उनका इनकाउंटर कर दिया गया था। उसके अंडरवल्र्ड के लोगों से संबंध थे और वह राजस्थान व गुजरात के मार्बल कारोबारियों से उगाही करता था।
अमित शाह को जुलाई को 2010 में आतंकी बता कर सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर किए जाने के केस में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले वे भूमिगत हो गए थे। गिरफ्तारी से पहले अमित शाह ने गुजरात भाजपा कार्यालय में एक प्रेस कान्फ्रेंस किया था और खुद पर लगाये गए आरोपो को राजनीति से प्रेरित और कांग्रेस सरकार का झूठा चिट्ठा बताया था। तब अमित शाह को इस मामले में गिरफ्तार कर साबरमती जेल भेज दिया गया था। सीबीआइ ने इस मामले में 30 हजार पेज का चार्जशीट तैयार किया था जिसमें अमित शाह व 14 अन्य पुलिस अधिकारियों का नाम शामिल किया गया था। चार्जशीट में कहा गया था कि सोहराबुद्दीन को इसलिए मारा गया था क्योंकि वह राजस्थान के मार्बल कारोबारियों का भयादोहन कर रहा था।
अश्विनी कुमार पुलिस में व्यापक बदलाव व सुधार करने वाले अधिकारी के रूप में जाने जाते रहे हैं। उन्होंने हिमाचल पुलिस का डिजिटलीकरण किया था और पुलिस थाने में कंप्यूटर के उपयोग को बढावा दिया था। उन्होंने ऑनलाइन शिकायत की व्यवस्था की थी। यूपीए सरकार ने उन्हें मार्च 2013 में नागालैंड का गवर्नर नियुक्त किया था और अल्प समय के लिए वे मणिपुर के भी गवर्नर रहे।

उनके सुसाइड नोट में खुदकुशी की वजह बीमारी से तंग आना बताया गया है। हालांकि हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है।
खबरों के मुताबिक उनके पास से बरामद सुसाइड नोट में लिखा है- 'मैं जिंदगी से तंग आकर अपनी अगली यात्रा पर निकल रहा हूं, मैं अपनी बीमारी से तंग आकर यह कदम उठा रहा हूं।' सुसाइड नोट में उन्होंने अपने अंगदान करने की इच्छा का भी जिक्र किया है।
70 वर्षीय अश्विनी कुमार अगस्त 2006 से जुलाई 2008 तक हिमाचल प्रदेश के डीजीपी रहे थे और दो अगस्त 2008 से 30 नवंबर 2010 तक सीबीआइ के डायरेक्टर रहे थे। जब वे सीबीआइ चीफ थे उसी समय सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर मामले में भाजपा नेता व वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को गिरफ्तार किया गया था।
अमित शाह जब गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में गृहमंत्री थे, उसी दौरान सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर हुआ था। यह घटना 26 नवंबर 2005 की है। सोहराबुद्दीन को लश्कर ए तैयबा का आतंकी व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ का एजेंट बताते हुए गुजरात पुलिस ने मार दिया। सोहराबुद्दीन व उसकी पत्नी कौशर बी को हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली एक बस से जाते हुए गुजरात एटीएस ने 23 नवंबर 2005 को गिरफ्तार किया था और उसके तीन दिन बाद 26 नवंबर 2005 को अहमदबाद के बाहरी इलाके में उनका इनकाउंटर कर दिया गया था। उसके अंडरवल्र्ड के लोगों से संबंध थे और वह राजस्थान व गुजरात के मार्बल कारोबारियों से उगाही करता था।
अमित शाह को जुलाई को 2010 में आतंकी बता कर सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर किए जाने के केस में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले वे भूमिगत हो गए थे। गिरफ्तारी से पहले अमित शाह ने गुजरात भाजपा कार्यालय में एक प्रेस कान्फ्रेंस किया था और खुद पर लगाये गए आरोपो को राजनीति से प्रेरित और कांग्रेस सरकार का झूठा चिट्ठा बताया था। तब अमित शाह को इस मामले में गिरफ्तार कर साबरमती जेल भेज दिया गया था। सीबीआइ ने इस मामले में 30 हजार पेज का चार्जशीट तैयार किया था जिसमें अमित शाह व 14 अन्य पुलिस अधिकारियों का नाम शामिल किया गया था। चार्जशीट में कहा गया था कि सोहराबुद्दीन को इसलिए मारा गया था क्योंकि वह राजस्थान के मार्बल कारोबारियों का भयादोहन कर रहा था।
अश्विनी कुमार पुलिस में व्यापक बदलाव व सुधार करने वाले अधिकारी के रूप में जाने जाते रहे हैं। उन्होंने हिमाचल पुलिस का डिजिटलीकरण किया था और पुलिस थाने में कंप्यूटर के उपयोग को बढावा दिया था। उन्होंने ऑनलाइन शिकायत की व्यवस्था की थी। यूपीए सरकार ने उन्हें मार्च 2013 में नागालैंड का गवर्नर नियुक्त किया था और अल्प समय के लिए वे मणिपुर के भी गवर्नर रहे।