नई दिल्ली। हाथरस के बर्बर गैंगरेप और हत्याकांड को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट हलफनामा दाखिल किया। हलफनामे में सरकार ने पीड़िता का अंतिम संस्कार देर रात किए जाने की वजह भी बताई है। सरकार का कहना है कि उन्हें खुफिया सूचना मिली थी कि कुछ लोग शव को सड़क पर रखकर हिंसा करवाने में लगे हैं। सरकार की ओर से शीर्ष न्यायालय में पेश हलफनामे में 14 सितंबर से 29 सितंबर तक की घटनाओं के बारे में सिलसिलेवार जानकारी दी गई है।

योगी सरकार ने हलफनामे में कहा कि 'पीडित का दाह संस्कार रात में इसलिए किया गया क्योंकि सरकार को ऐसे खुफिया इनपुट मिले थे कि कुछ लोग शव को सड़क पर रखकर हिंसा करवाने में लगे हैं। सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और राजनीतिक पार्टियों का एक वर्ग जातीय हिंसा और दंगों की प्लानिंग कर रहे थे।'
हलफनामे में सरकार ने बताया, '14 सितंबर को पीड़िता, उसका भाई और मां सुबह साढ़े 10 बजे थाने आए। संदीप ने पीड़िता को जान से मारने की कोशिश की है। पीड़ित की गर्दन में हल्का दर्द था, उन्होंने ये भी बताया कि संदीप ने गर्दन दबाई है, संदीप के परिवार से उनकी पुरानी रंजिश है। 2002-03 में संदीप पीडिता के दादा की शिकायत पर एक साल के लिए जेल में रहा था। इस बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की गयी।'
हलफनामे के मुताबिक, 'इसके बाद IPC 307 और ST/SC एक्ट में संदीप के खिलाफ केस दर्ज किया गया। तुरंत पीड़ित को हाथरस के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने जांच में पाया की पीड़िता की गर्दन में गंभीर चोटें हैं, इसीलिए पीड़िता का बिना MLC बनाये, अलीगढ़ JN मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। वहां पर पीड़िता 14 सितंबर को ही 2 बजे पहुंची, वहां डॉक्टरों ने पाया कि पीड़िता की C6 हड्डी में फ्रैक्चर है, जिससे कि स्पाइनल कोड में चोट आई है और शरीर मे ऑक्सीजन सप्लाई में दिक्कत हो रही है।'
'डॉक्टरों ने सलाह दी कि पीड़िता को स्पाइनल इंजरी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में शिफ्ट किया जाए लेकिन, परिवार ने इनकार कर दिया, जिसकी लिखित कॉपी भी प्रशासन के पास मौजूद है। इसीलिए पीड़िता का 28 तारीख तक उसी अस्पताल में 28 सितंबर तक इलाज चला।'
हलफनामें में यूपी सरकार ने कहा कि '19 सितंबर को पीड़िता का पुलिस ने दोबारा बयान लिया था, जिसमें उसने कहा कि संदीप ने मेरे साथ छेड़छाड़ की है। उसके बाद तुरंत FIR में संदीप के खिलाफ छेड़छाड़ की धारा जोड़ी गयी और उसको तुरंत गिरफ्तार किया गया। ये बयान भी वीडियो में रिकॉर्ड किया गया था।'
'22 सितम्बर को पीड़ित परिवार ने पुलिस को फ़ोन करके बताया कि वो चाहते हैं कि पीड़िता का बयान फिर से दर्ज हो। पुलिस टीम जब बयान लेने पहुंची तो पीड़िता ने बताया कि उसके साथ 4 लड़कों जिनमे संदीप, लवकुश, रवि और रामू ने मेरे साथ गैंगरेप किया और संदीप गला दबाकर भाग गया। जब पुलिस ने पीडिता से पूछा कि ये बात आपने पहले क्यों नही बताई तो पीड़िता ने कहा कि उस वक़्त पूरे होश में नहीं थी। इसके बाद पुलिस ने तुरंत गैंगरेप की धारा जोड़कर 26 सितंबर से पहले सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।'
'22 सितंबर को ही पीड़िता के गैंगरेप किये जाने के बयान के बाद तुरंत मेडिकल जांच करवाई गई, जिसमे रेप के सबूत नहीं मिले। इसके बाद पीड़िता के मेडिकल सैंपल फॉरेंसिक जांच के लिए आगरा भेजे गए। इसके बाद 28 सितंबर को पीड़िता के पिता लडक़ी को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाने को राजी हुए। 28 तारीख को पीड़िता 2 बजे सफदरजंग अस्पताल पहुंची जहां उसको न्यूरोसर्जरी विभाग के शिफ्ट कर दिया गया। 29 सितंबर 2020 को इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई।'
'29 तारीख की सुबह जैसे ही पीड़िता के पोस्टमार्टम शुरू हुआ पूर्व सांसद उदितराज, भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कुछ नेता और विधायक वहां पहुंच गए। ये लोग वहां पुलिस के मना करने के बावजूद भी नारेबाजी करने लगे। पीड़ित के परिवार को शव न लेने के लिए भी उकसाने लगे। ये लोग नहीं माने जिसके बाद धीरे-धीरे वहां 400 लोग इकठ्ठा हो गए। इसके बाद पीड़ित परिवार की डीएम हाथरस परवीन कुमार लक्षकार से बात भी करवाई गई। बड़ी मुश्किल से 29 तारीख की रात साढ़े 9 बजे पीड़िता का शव गांव के लिए दिल्ली से ले जाया गया।'
सरकार ने हलफनामे में कहा कि 'सफदरजंग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण गला दबाया जाना बताया गया। पीड़िता के शव को लेकर रात करीब पौने 1 बजे पहुंचे, जहां पहले से करीब 200-300 लोग इक्कठा रहे, जिन्होंने एम्बुलेंस का रास्ता रोक लिया और अंतिम संस्कार नहीं करने की बात कहने लगे। पीड़िता का शव रात करीब ढाई बजे तक पीड़ित परिवार के साथ रहा।'
'हाथरस प्रशासन को इस बात की खुफिया जानकारियां मिली थी कि मामले को जातीय रंग देने की तैयारी चल रही है और सुबह लाखों की संख्या में राजनीतिक पार्टियों से जुड़े और दूसरे लोग इक्कठा हो सकते हैं। साथ ही, अयोध्या-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला आना था, जिसको लेकर पूरा राज्य और सभी जिले हाई अलर्ट पर थे। परिवार से बात की गई कि हिंसा से बचने के लिए रात को ही अंतिम संस्कार कर दिया जाए, क्योंकि पीड़िता की मौत हुई 20 घंटे का वक़्त गुजर चुका था।'
'कुछ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों ने खुले तौर पर पीड़ित परिवार से कहा कि वो अभी अंतिम संस्कार न करें। जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं होती। इसके बाद पूरे रीति-रिवाज से पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। अंतिम संस्कार में पीड़ित का परिवार भी मौजूद था। इसके तुरंत बार मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सरकार ने तीन सदस्य जांच कमेटी का गठन कर दिया, जिसको एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौपनी थी।'
यूपी सरकार के हलफनामे के मुताबिक, 'हाथ इसके बाद पीड़िता की FSL रिपोर्ट मिली जिसमे पीड़िता के कपड़ो में खून पाया गया। पीड़िता की मौत के बाद FIR में हत्या की धारा जोड़ दी गयी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया और राजनीतिक दलों का एक समूह सरकार की छवि को खराब करने के लिए हाथरस केस का एक गलत नैरेटिव पेश करने की कोशिश करने लगे जिससे की जांच प्रभावित हो, ताकि पीड़ित को न्याय न मिल सके।'
'हलफनामे में कई राजनीतिक पार्टियों के लोगों और न्यूज़ चैनल्स के नारे, भाषण, रिपोर्टिंग क्लिप और सोशल मीडिया पोस्ट के उदाहरण भी दिए गए हैं। फर्जी खबरों और फर्जी पोस्ट के जरिये लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठा होने के लिए कहा जा रहा था। सरकार ने इस मामले में सीबीआई जाँच के आदेश दे दिए हैं।'
'सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न सिर्फ आपराधिक वारदात की जांच सीबीआई करे बल्कि सरकार के खिलाफ जो साजिश रची गई है उस मामले में भी सीबीआई सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करे। इस मामले में साजिश से लेकर भ्रामक खबरें फैलाने के मामले में 19 केस दर्ज हुए हैं। मॉफ फ़ोटो लगाकर सरकार को बदनाम करने को कोशिश कर रहे हैं।'

योगी सरकार ने हलफनामे में कहा कि 'पीडित का दाह संस्कार रात में इसलिए किया गया क्योंकि सरकार को ऐसे खुफिया इनपुट मिले थे कि कुछ लोग शव को सड़क पर रखकर हिंसा करवाने में लगे हैं। सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और राजनीतिक पार्टियों का एक वर्ग जातीय हिंसा और दंगों की प्लानिंग कर रहे थे।'
हलफनामे में सरकार ने बताया, '14 सितंबर को पीड़िता, उसका भाई और मां सुबह साढ़े 10 बजे थाने आए। संदीप ने पीड़िता को जान से मारने की कोशिश की है। पीड़ित की गर्दन में हल्का दर्द था, उन्होंने ये भी बताया कि संदीप ने गर्दन दबाई है, संदीप के परिवार से उनकी पुरानी रंजिश है। 2002-03 में संदीप पीडिता के दादा की शिकायत पर एक साल के लिए जेल में रहा था। इस बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की गयी।'
हलफनामे के मुताबिक, 'इसके बाद IPC 307 और ST/SC एक्ट में संदीप के खिलाफ केस दर्ज किया गया। तुरंत पीड़ित को हाथरस के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने जांच में पाया की पीड़िता की गर्दन में गंभीर चोटें हैं, इसीलिए पीड़िता का बिना MLC बनाये, अलीगढ़ JN मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। वहां पर पीड़िता 14 सितंबर को ही 2 बजे पहुंची, वहां डॉक्टरों ने पाया कि पीड़िता की C6 हड्डी में फ्रैक्चर है, जिससे कि स्पाइनल कोड में चोट आई है और शरीर मे ऑक्सीजन सप्लाई में दिक्कत हो रही है।'
'डॉक्टरों ने सलाह दी कि पीड़िता को स्पाइनल इंजरी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में शिफ्ट किया जाए लेकिन, परिवार ने इनकार कर दिया, जिसकी लिखित कॉपी भी प्रशासन के पास मौजूद है। इसीलिए पीड़िता का 28 तारीख तक उसी अस्पताल में 28 सितंबर तक इलाज चला।'
हलफनामें में यूपी सरकार ने कहा कि '19 सितंबर को पीड़िता का पुलिस ने दोबारा बयान लिया था, जिसमें उसने कहा कि संदीप ने मेरे साथ छेड़छाड़ की है। उसके बाद तुरंत FIR में संदीप के खिलाफ छेड़छाड़ की धारा जोड़ी गयी और उसको तुरंत गिरफ्तार किया गया। ये बयान भी वीडियो में रिकॉर्ड किया गया था।'
'22 सितम्बर को पीड़ित परिवार ने पुलिस को फ़ोन करके बताया कि वो चाहते हैं कि पीड़िता का बयान फिर से दर्ज हो। पुलिस टीम जब बयान लेने पहुंची तो पीड़िता ने बताया कि उसके साथ 4 लड़कों जिनमे संदीप, लवकुश, रवि और रामू ने मेरे साथ गैंगरेप किया और संदीप गला दबाकर भाग गया। जब पुलिस ने पीडिता से पूछा कि ये बात आपने पहले क्यों नही बताई तो पीड़िता ने कहा कि उस वक़्त पूरे होश में नहीं थी। इसके बाद पुलिस ने तुरंत गैंगरेप की धारा जोड़कर 26 सितंबर से पहले सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।'
'22 सितंबर को ही पीड़िता के गैंगरेप किये जाने के बयान के बाद तुरंत मेडिकल जांच करवाई गई, जिसमे रेप के सबूत नहीं मिले। इसके बाद पीड़िता के मेडिकल सैंपल फॉरेंसिक जांच के लिए आगरा भेजे गए। इसके बाद 28 सितंबर को पीड़िता के पिता लडक़ी को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाने को राजी हुए। 28 तारीख को पीड़िता 2 बजे सफदरजंग अस्पताल पहुंची जहां उसको न्यूरोसर्जरी विभाग के शिफ्ट कर दिया गया। 29 सितंबर 2020 को इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई।'
'29 तारीख की सुबह जैसे ही पीड़िता के पोस्टमार्टम शुरू हुआ पूर्व सांसद उदितराज, भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कुछ नेता और विधायक वहां पहुंच गए। ये लोग वहां पुलिस के मना करने के बावजूद भी नारेबाजी करने लगे। पीड़ित के परिवार को शव न लेने के लिए भी उकसाने लगे। ये लोग नहीं माने जिसके बाद धीरे-धीरे वहां 400 लोग इकठ्ठा हो गए। इसके बाद पीड़ित परिवार की डीएम हाथरस परवीन कुमार लक्षकार से बात भी करवाई गई। बड़ी मुश्किल से 29 तारीख की रात साढ़े 9 बजे पीड़िता का शव गांव के लिए दिल्ली से ले जाया गया।'
सरकार ने हलफनामे में कहा कि 'सफदरजंग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण गला दबाया जाना बताया गया। पीड़िता के शव को लेकर रात करीब पौने 1 बजे पहुंचे, जहां पहले से करीब 200-300 लोग इक्कठा रहे, जिन्होंने एम्बुलेंस का रास्ता रोक लिया और अंतिम संस्कार नहीं करने की बात कहने लगे। पीड़िता का शव रात करीब ढाई बजे तक पीड़ित परिवार के साथ रहा।'
'हाथरस प्रशासन को इस बात की खुफिया जानकारियां मिली थी कि मामले को जातीय रंग देने की तैयारी चल रही है और सुबह लाखों की संख्या में राजनीतिक पार्टियों से जुड़े और दूसरे लोग इक्कठा हो सकते हैं। साथ ही, अयोध्या-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला आना था, जिसको लेकर पूरा राज्य और सभी जिले हाई अलर्ट पर थे। परिवार से बात की गई कि हिंसा से बचने के लिए रात को ही अंतिम संस्कार कर दिया जाए, क्योंकि पीड़िता की मौत हुई 20 घंटे का वक़्त गुजर चुका था।'
'कुछ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों ने खुले तौर पर पीड़ित परिवार से कहा कि वो अभी अंतिम संस्कार न करें। जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं होती। इसके बाद पूरे रीति-रिवाज से पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। अंतिम संस्कार में पीड़ित का परिवार भी मौजूद था। इसके तुरंत बार मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सरकार ने तीन सदस्य जांच कमेटी का गठन कर दिया, जिसको एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौपनी थी।'
यूपी सरकार के हलफनामे के मुताबिक, 'हाथ इसके बाद पीड़िता की FSL रिपोर्ट मिली जिसमे पीड़िता के कपड़ो में खून पाया गया। पीड़िता की मौत के बाद FIR में हत्या की धारा जोड़ दी गयी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया और राजनीतिक दलों का एक समूह सरकार की छवि को खराब करने के लिए हाथरस केस का एक गलत नैरेटिव पेश करने की कोशिश करने लगे जिससे की जांच प्रभावित हो, ताकि पीड़ित को न्याय न मिल सके।'
'हलफनामे में कई राजनीतिक पार्टियों के लोगों और न्यूज़ चैनल्स के नारे, भाषण, रिपोर्टिंग क्लिप और सोशल मीडिया पोस्ट के उदाहरण भी दिए गए हैं। फर्जी खबरों और फर्जी पोस्ट के जरिये लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठा होने के लिए कहा जा रहा था। सरकार ने इस मामले में सीबीआई जाँच के आदेश दे दिए हैं।'
'सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न सिर्फ आपराधिक वारदात की जांच सीबीआई करे बल्कि सरकार के खिलाफ जो साजिश रची गई है उस मामले में भी सीबीआई सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करे। इस मामले में साजिश से लेकर भ्रामक खबरें फैलाने के मामले में 19 केस दर्ज हुए हैं। मॉफ फ़ोटो लगाकर सरकार को बदनाम करने को कोशिश कर रहे हैं।'