श्रीनगर। कश्मीर के शोपियां जिले के अमशीपोरा इलाके में कथित मुठभेड़ में मारे गए राजौरी के तीनों मजदूरों के शवों को शनिवार को परिजन के हवाले कर दिया गया है। बारामूला के गंतमुल्ला इलाके में जिला पुलिस तथा जिला प्रशासन के अफसरों की मौजूदगी में शव परिजन को सौंपे गए हैं। उसके बाद वह उन्हें राजौरी में लेकर जाएंगे। यहां पर उन्हें खाके सुपुर्द किया गया जाएगा।

इस दौरान पुलिस की तरफ से कहा गया कि उन्हें शांतिपूर्वक खाके सुपुर्द किया जाए। कोई बवाल ना किया जाए। इसके लिए राजौरी जिला प्रशासन को भी हिदायत दी गई है। ताकि वहां पर माहौल खराब ना हो सके।
बता दें कि पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह की तरफ से मंगलवार को कहा गया था कि इस मामले में जांच सिरे तक पहुंच गई है। उसके बाद पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनका हत्या में रोल बाहर आया था।
बुधवार को आईजी कश्मीर की तरफ से कहा गया है कि अब तीनों मजदूरों के शवों को परिजन के हवाले कर दिया जाएगा। उसके बाद शव दिए गए हैं।
जानकारी के अनुसार 18 जुलाई को सेना की एक टीम ने अमशीपोरा शोपियां में तीन आतंकियों को मार गिराने का दावा किया था। सेना की तरफ से बताया गया था कि आतंकी एक मकान में छिपे हुए थे। उन्हें मुठभेड़ में मार गिराया गया। लेकिन दो दिनों बाद राजौरी के तीन परिवारों की तरफ से कहा गया कि जो मारे गए हैं वह आतंकी नहीं हैं, बल्कि उनके बेटे हैं जो कि कश्मीर में मजदूरी के काम के लिए गए थे।
इस बात के बाहर आने के बाद बवाल हो गया था। मारे गए मजदूरों में अबरार अहमद (25), इम्तियाज अहमद (20) और मोहम्मद इबरार (16) शामिल थे। सेना ने उन्हें मार गिराने के बाद उत्तरी कश्मीर में दफना दिया था। लेकिन परिजन की तरफ से राजौरी जिला प्रशासन से संर्पक किया गया था, जिसके बाद मामले की जांच शुरु हुई थी।
इस मामले की जांच के लिए समिति का गठन किया गया। मृतकों के परिजन का डीएनए सैंपल लिया गया, जो कि तीनों मृतकों से मिलाया गया था। डीएनए मिल गया था। सेना ने मुठभेड़ में शामिल सैन्य अधिकारियों और जवानों के खिलाफ सम्मरी ऑफ एविडेंस की कार्रवाई शुरू कर दी है।
मृतकों के परिजन की तरफ से लगातार शवों को वापस देने की मांग की जा रही थी। इसके बाद उन्हें शव देने के लिए कश्मीर में बुलाया गया और परिजन के हवाले कर दिए गए हैं।

इस दौरान पुलिस की तरफ से कहा गया कि उन्हें शांतिपूर्वक खाके सुपुर्द किया जाए। कोई बवाल ना किया जाए। इसके लिए राजौरी जिला प्रशासन को भी हिदायत दी गई है। ताकि वहां पर माहौल खराब ना हो सके।
बता दें कि पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह की तरफ से मंगलवार को कहा गया था कि इस मामले में जांच सिरे तक पहुंच गई है। उसके बाद पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनका हत्या में रोल बाहर आया था।
बुधवार को आईजी कश्मीर की तरफ से कहा गया है कि अब तीनों मजदूरों के शवों को परिजन के हवाले कर दिया जाएगा। उसके बाद शव दिए गए हैं।
जानकारी के अनुसार 18 जुलाई को सेना की एक टीम ने अमशीपोरा शोपियां में तीन आतंकियों को मार गिराने का दावा किया था। सेना की तरफ से बताया गया था कि आतंकी एक मकान में छिपे हुए थे। उन्हें मुठभेड़ में मार गिराया गया। लेकिन दो दिनों बाद राजौरी के तीन परिवारों की तरफ से कहा गया कि जो मारे गए हैं वह आतंकी नहीं हैं, बल्कि उनके बेटे हैं जो कि कश्मीर में मजदूरी के काम के लिए गए थे।
इस बात के बाहर आने के बाद बवाल हो गया था। मारे गए मजदूरों में अबरार अहमद (25), इम्तियाज अहमद (20) और मोहम्मद इबरार (16) शामिल थे। सेना ने उन्हें मार गिराने के बाद उत्तरी कश्मीर में दफना दिया था। लेकिन परिजन की तरफ से राजौरी जिला प्रशासन से संर्पक किया गया था, जिसके बाद मामले की जांच शुरु हुई थी।
इस मामले की जांच के लिए समिति का गठन किया गया। मृतकों के परिजन का डीएनए सैंपल लिया गया, जो कि तीनों मृतकों से मिलाया गया था। डीएनए मिल गया था। सेना ने मुठभेड़ में शामिल सैन्य अधिकारियों और जवानों के खिलाफ सम्मरी ऑफ एविडेंस की कार्रवाई शुरू कर दी है।
मृतकों के परिजन की तरफ से लगातार शवों को वापस देने की मांग की जा रही थी। इसके बाद उन्हें शव देने के लिए कश्मीर में बुलाया गया और परिजन के हवाले कर दिए गए हैं।