नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को उत्तरपूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में जेएनयू की छात्रा और पिंजरा तोड़ समूह की सदस्य देवांगना कलीता को जमानत दे दी। दिल्ली पुलिस की ओर से देवांगना पर जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास लोगों को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में भड़काने का आरोप लगाया था। अदालत का कहना है कि देवांगना के जिस भाषण की बात हो रही है उसमें कुछ भी भड़काऊ नहीं हैं।

अदालत ने कलीता को जमानत देते हुए कहा कि वह शांतिपूर्ण आंदोलन में शामिल हुई थी, जो देश के संविधान की धारा 19 के तहत मौलिक अधिकार है। अदालत ने उन्हें 25,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि पर जमानत दी है लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि उन पर दिल्ली दंगों की साजिश रचने के लिए यूएपीए के तहत भी मामला दर्ज है।
अदालत ने उनके देश छोड़कर जाने पर भी रोक लगाई है। हाईकोर्ट ने देवांगना कलीता को गवाहों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का भी निर्देश दिया है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने मंगलवार सुबह आदेश में कहा, ‘मेरे विचार से याचिकाकर्ता को जमानत देने से जांच पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्हें जमानत देकर उन्हें अनावश्यक उत्पीड़न, अपमान और गैर-जरूरी हिरासत से बचाया जा सकेगा।’
दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने इस मामले में बीते सप्ताह उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पुलिस किसी भी तरह की सामग्री पेश करने में असफल रही, जिससे यह पता चल सके कि कलीता के भाषण से एक विशेष समुदाय की महिलाओं को उकसाया गया या उन्होंने किसी तरह की हेट स्पीच दी।
आदेश में कहा गया, ‘जाहिर है कि आंदोलन लंबे समय से चल रहा था। पुलिस विभाग के कैमरों के अलावा प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वहां मौजूद था लेकिन सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयानों को छोड़कर इस तरह के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं, जिनसे पता चले कि उनकी (कलीता) वजह से हिंसा भड़की हो।’
इससे पहले 21 अगस्त की सुनवाई में अदालत ने उनकी ज़मानत याचिका की सुनवाई के दौरान उनके कथित भड़काऊ भाषण के वीडियो मांगने पर पुलिस ने कहा था कि उनके पास कलीता का ऐसा कोई वीडियो नहीं है। कलीता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आर्म्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत जाफराबाद पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में आरोपी बताया गया है।
इस मामले में जांच एजेंसी ने कलीता को इस हिंसा की मुख्य साजिशकर्ता बताया है। मालूम हो कि देवांगना कलीता और ‘पिंजरा तोड़’ की एक अन्य सदस्य नताशा नरवाल को मई महीने में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में और इस साल की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों और हिंसा के संबंध में कलिता खिलाफ चार मामले दर्ज किए गए हैं। कलीता को दो मामलों में- दरियागंज और पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफराबाद मामले में जमानत मिल चुकी है।
पिंजरा तोड़ संगठन का गठन 2015 में किया गया था, जो हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं पर लागू तरह-तरह की पाबंदियों का विरोध करता है। संगठन कैंपस के भेदकारी नियम-कानून और कर्फ्यू टाइम के खिलाफ लगातार अभियान चलाता रहा है।

अदालत ने कलीता को जमानत देते हुए कहा कि वह शांतिपूर्ण आंदोलन में शामिल हुई थी, जो देश के संविधान की धारा 19 के तहत मौलिक अधिकार है। अदालत ने उन्हें 25,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि पर जमानत दी है लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि उन पर दिल्ली दंगों की साजिश रचने के लिए यूएपीए के तहत भी मामला दर्ज है।
अदालत ने उनके देश छोड़कर जाने पर भी रोक लगाई है। हाईकोर्ट ने देवांगना कलीता को गवाहों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का भी निर्देश दिया है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने मंगलवार सुबह आदेश में कहा, ‘मेरे विचार से याचिकाकर्ता को जमानत देने से जांच पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्हें जमानत देकर उन्हें अनावश्यक उत्पीड़न, अपमान और गैर-जरूरी हिरासत से बचाया जा सकेगा।’
दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने इस मामले में बीते सप्ताह उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पुलिस किसी भी तरह की सामग्री पेश करने में असफल रही, जिससे यह पता चल सके कि कलीता के भाषण से एक विशेष समुदाय की महिलाओं को उकसाया गया या उन्होंने किसी तरह की हेट स्पीच दी।
आदेश में कहा गया, ‘जाहिर है कि आंदोलन लंबे समय से चल रहा था। पुलिस विभाग के कैमरों के अलावा प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वहां मौजूद था लेकिन सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयानों को छोड़कर इस तरह के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं, जिनसे पता चले कि उनकी (कलीता) वजह से हिंसा भड़की हो।’
इससे पहले 21 अगस्त की सुनवाई में अदालत ने उनकी ज़मानत याचिका की सुनवाई के दौरान उनके कथित भड़काऊ भाषण के वीडियो मांगने पर पुलिस ने कहा था कि उनके पास कलीता का ऐसा कोई वीडियो नहीं है। कलीता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आर्म्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत जाफराबाद पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में आरोपी बताया गया है।
इस मामले में जांच एजेंसी ने कलीता को इस हिंसा की मुख्य साजिशकर्ता बताया है। मालूम हो कि देवांगना कलीता और ‘पिंजरा तोड़’ की एक अन्य सदस्य नताशा नरवाल को मई महीने में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में और इस साल की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों और हिंसा के संबंध में कलिता खिलाफ चार मामले दर्ज किए गए हैं। कलीता को दो मामलों में- दरियागंज और पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफराबाद मामले में जमानत मिल चुकी है।
पिंजरा तोड़ संगठन का गठन 2015 में किया गया था, जो हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं पर लागू तरह-तरह की पाबंदियों का विरोध करता है। संगठन कैंपस के भेदकारी नियम-कानून और कर्फ्यू टाइम के खिलाफ लगातार अभियान चलाता रहा है।