केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों से नाराज चल रहे राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National Statical Commission) के दो सदस्यों ने निराश होकर इस्तीफ़ा दे दिया है. जानकारी के मुताबिक आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष पीसी मोहनन और सदस्य जेवी मीनाक्षी ने सोमवार को अपना इस्तीफ़ा भेज दिया था.
मोहनन भारतीय सांख्यिकी सेवा के पूर्व अधिकारी है और मीनाक्षी दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर हैं. आयोग की वेबसाइट के मुताबिक दोनों का कार्यकाल साल जून 2020 में पूरा होना था.
बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक वे सरकार के रवैये से निराश थे. उनके इस्तीफे की मुख्य दो वजहें बताई जा रही हैं. पहला- नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के 2017-18 के रोजगार सर्वेक्षण को जारी करने में हो रही देर और बीते साल आए बैक सीरीज जीडीपी डेटा को जारी करने से पहले आयोग की सलाह न लेना.
इस अख़बार से बात करते हुए मोहनन ने कहा, ‘हमने आयोग से इस्तीफा दे दिया है. कई महीनों से हमें लग रहा था कि सरकार द्वारा हमें दरकिनार करते हुए गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था. आयोग के हालिया फैसलों को लागू नहीं किया गया.’
बीते सालों में केंद्र सरकार पर आंकड़ों को लेकर कई सवाल उठे हैं. हाल ही में केंद्र द्वारा जारी किए गए बैक सीरीज जीडीपी डेटा पर विवाद हुआ था.
सूत्रों के मुताबिक आयोग ने रोजगार सर्वे की रिपोर्ट को 5 दिसंबर 2018 को कोलकाता में हुई बैठक में ही स्वीकृत कर दिया गया था और नियमानुसार इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किया जाना था.
मोहनन ने बताया, ‘रिपोर्ट को स्वीकृत कर दिया गया था और इसे फौरन जारी कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मैंने सोचा कि मुझे चुपचाप बैठकर यह होते हुए नहीं देखना चाहिए.’
स्वीकृति मिलने के दो महीने बाद भी यह डेटा अब तक सार्वजनिक नहीं हुआ है. आयोग के एक पूर्व सदस्य के अनुसार सरकार एनएसएसओ के इस सर्वे के नतीजों को लेकर सहज नहीं थी.
इससे पहले श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा श्रम ब्यूरो द्वारा किए गए वार्षिक घरेलू सर्वेक्षण 2016-17 को आवश्यक मंजूरियां मिलने के बावजूद जारी होने से रोक दिया गया था.
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र रोजगार का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा रहा है. मौजूदा सरकार द्वारा बार-बार उनके द्वारा रोजगार बढ़ाये जाने का दावा किया गया है, हालांकि इसके आंकड़ो को लेकर हमेशा गफलत बनी रही.
बीते दिनों रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि रोज़गार के मौके बढ़े हैं लेकिन आंकड़ों का सही हिसाब नहीं लग पा रहा है.
2013 से 2016 तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष रहे प्रणब सेन ने कहा है, ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग को राष्ट्रीय सांख्यिकी व्यवस्था के आंकड़ों में विश्वसनीयता लाने के लिए लाया गया था, अगर आयोग को लगता है कि इसे इसका काम नहीं करने दिया जा रहा, तो इस्तीफ़ा देना उचित है.’
बता दें कि इन दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद आयोग में दो सदस्य बाकी रहेंगे, जिनमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष अमिताभ कांत और मुख्य सांख्यिकीविद (चीफ स्टैटिस्टिशन) प्रवीण श्रीवास्तव शामिल हैं.
मोहनन भारतीय सांख्यिकी सेवा के पूर्व अधिकारी है और मीनाक्षी दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर हैं. आयोग की वेबसाइट के मुताबिक दोनों का कार्यकाल साल जून 2020 में पूरा होना था.
बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक वे सरकार के रवैये से निराश थे. उनके इस्तीफे की मुख्य दो वजहें बताई जा रही हैं. पहला- नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के 2017-18 के रोजगार सर्वेक्षण को जारी करने में हो रही देर और बीते साल आए बैक सीरीज जीडीपी डेटा को जारी करने से पहले आयोग की सलाह न लेना.
इस अख़बार से बात करते हुए मोहनन ने कहा, ‘हमने आयोग से इस्तीफा दे दिया है. कई महीनों से हमें लग रहा था कि सरकार द्वारा हमें दरकिनार करते हुए गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था. आयोग के हालिया फैसलों को लागू नहीं किया गया.’
बीते सालों में केंद्र सरकार पर आंकड़ों को लेकर कई सवाल उठे हैं. हाल ही में केंद्र द्वारा जारी किए गए बैक सीरीज जीडीपी डेटा पर विवाद हुआ था.
सूत्रों के मुताबिक आयोग ने रोजगार सर्वे की रिपोर्ट को 5 दिसंबर 2018 को कोलकाता में हुई बैठक में ही स्वीकृत कर दिया गया था और नियमानुसार इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किया जाना था.
मोहनन ने बताया, ‘रिपोर्ट को स्वीकृत कर दिया गया था और इसे फौरन जारी कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मैंने सोचा कि मुझे चुपचाप बैठकर यह होते हुए नहीं देखना चाहिए.’
स्वीकृति मिलने के दो महीने बाद भी यह डेटा अब तक सार्वजनिक नहीं हुआ है. आयोग के एक पूर्व सदस्य के अनुसार सरकार एनएसएसओ के इस सर्वे के नतीजों को लेकर सहज नहीं थी.
इससे पहले श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा श्रम ब्यूरो द्वारा किए गए वार्षिक घरेलू सर्वेक्षण 2016-17 को आवश्यक मंजूरियां मिलने के बावजूद जारी होने से रोक दिया गया था.
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र रोजगार का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा रहा है. मौजूदा सरकार द्वारा बार-बार उनके द्वारा रोजगार बढ़ाये जाने का दावा किया गया है, हालांकि इसके आंकड़ो को लेकर हमेशा गफलत बनी रही.
बीते दिनों रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि रोज़गार के मौके बढ़े हैं लेकिन आंकड़ों का सही हिसाब नहीं लग पा रहा है.
2013 से 2016 तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष रहे प्रणब सेन ने कहा है, ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग को राष्ट्रीय सांख्यिकी व्यवस्था के आंकड़ों में विश्वसनीयता लाने के लिए लाया गया था, अगर आयोग को लगता है कि इसे इसका काम नहीं करने दिया जा रहा, तो इस्तीफ़ा देना उचित है.’
बता दें कि इन दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद आयोग में दो सदस्य बाकी रहेंगे, जिनमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष अमिताभ कांत और मुख्य सांख्यिकीविद (चीफ स्टैटिस्टिशन) प्रवीण श्रीवास्तव शामिल हैं.