लखनऊ। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर आरोप लगाने वाली छात्रा को बुधवार सुबह गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। वहीं छात्रा के वकील द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई जमानत अर्जी को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। अदालत ने छात्रा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल में रहने के आदेश दिए हैं। पीड़िता के साथ एसआईटी द्वारा गिरफ्तारी के वक्त किए गए व्यवहार को लेकर लखनऊ के महिला संगठनों ने सवाल उठाया है।
लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व वाइस चांसलर रूपरेखा वर्मा ने कहा कि 25 सितम्बर यानी आज सुबह करीब 9:15 बजे रेप पीड़िता को एसआइटी घर से लगभग खींचते हुए अपने साथ ले गयी। उसे हिरासत में लिया। कल भी पीड़िता को पकड़ कर देर रात तक पूछताछ की गई। वहीं रेप को स्वीकार कर चुके चिन्मयानंद को लखनऊ के अस्पताल में विशेष सुविधा के बीच आराम करवाया जा रहा है, यह बताने के बावजूद की उनके हार्ट में कोई दिक्कत नहीं है। ऐसे में एसआईटी की जांच प्रक्रिया पूरी तरह संदेह में है। ऐसा लगता है कि न्याय व्यवस्था के पहरेदार सिर्फ चिन्मयानंद को बचाने और पीड़िता को हिरासत में रखने की मंशा रखते हैं।
न्यायालय के 2014 में आये एक आदेश अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य के अनुसार जिन अपराधों की सजा 7 साल से कम है उसमें आरोपी को गिरफ्तार करना ज़रूरी नहीं होता। पीड़िता पर जो आरोप हैं उनमें अधिकतम 2 साल की ही सजा है। इस पर भी पीड़िता पड़ताल में हर संभव मदद कर रही है, पीड़िता कहीं भी भाग नहीं रही है, न ही ऐसा कोई कारण है की उसको गिरफ्तार करने की जरुरत है, एसआइटी की हर पूछताछ में शामिल हो रही है, फिर उसे इस तरह क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है। यहां तक कि एसआइटी ने पीड़िता को चप्पल भी नहीं पहनने दी। एसआइटी के व्यवहार और जांच प्रक्रिया के तरीके को देखकर तो लग रहा है कि वह आम जनता की पुलिस की तरह न होकर चिन्मयानंद के साथ है।
उन्होंने कहा कि लखनऊ के महिला संगठन पीड़िता की इस गिरफ्तारी का पुरजोर विरोध करते हैं और न्याय की मांग करते हैं। महिला संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल आज लखनऊ डीजीपी से मिलने के लिए गया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी से एक दिन पहले ही अपॉइंटमेंट ले लिया था इसके बावजूद उनसे मुलाकात नहीं हो पाई।
महिला संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने चिन्मयानंद केस अलावा सुल्तानपुर के बैजापुर मामले पर भी डीजीपी से मुलाकात करने का समय मांगा था। रुपरेखा वर्मा ने बताया कि बैजापुर में अज्ञात महिला के साथ जिस तरह की हैवानियत की खबर सामने आई है वह दहला देने वाली है। ऐसे में वे उस गांव का दौरा कर स्थानीय लोगों से जानकारी लेंगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व वाइस चांसलर रूपरेखा वर्मा ने कहा कि 25 सितम्बर यानी आज सुबह करीब 9:15 बजे रेप पीड़िता को एसआइटी घर से लगभग खींचते हुए अपने साथ ले गयी। उसे हिरासत में लिया। कल भी पीड़िता को पकड़ कर देर रात तक पूछताछ की गई। वहीं रेप को स्वीकार कर चुके चिन्मयानंद को लखनऊ के अस्पताल में विशेष सुविधा के बीच आराम करवाया जा रहा है, यह बताने के बावजूद की उनके हार्ट में कोई दिक्कत नहीं है। ऐसे में एसआईटी की जांच प्रक्रिया पूरी तरह संदेह में है। ऐसा लगता है कि न्याय व्यवस्था के पहरेदार सिर्फ चिन्मयानंद को बचाने और पीड़िता को हिरासत में रखने की मंशा रखते हैं।
न्यायालय के 2014 में आये एक आदेश अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य के अनुसार जिन अपराधों की सजा 7 साल से कम है उसमें आरोपी को गिरफ्तार करना ज़रूरी नहीं होता। पीड़िता पर जो आरोप हैं उनमें अधिकतम 2 साल की ही सजा है। इस पर भी पीड़िता पड़ताल में हर संभव मदद कर रही है, पीड़िता कहीं भी भाग नहीं रही है, न ही ऐसा कोई कारण है की उसको गिरफ्तार करने की जरुरत है, एसआइटी की हर पूछताछ में शामिल हो रही है, फिर उसे इस तरह क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है। यहां तक कि एसआइटी ने पीड़िता को चप्पल भी नहीं पहनने दी। एसआइटी के व्यवहार और जांच प्रक्रिया के तरीके को देखकर तो लग रहा है कि वह आम जनता की पुलिस की तरह न होकर चिन्मयानंद के साथ है।
उन्होंने कहा कि लखनऊ के महिला संगठन पीड़िता की इस गिरफ्तारी का पुरजोर विरोध करते हैं और न्याय की मांग करते हैं। महिला संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल आज लखनऊ डीजीपी से मिलने के लिए गया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी से एक दिन पहले ही अपॉइंटमेंट ले लिया था इसके बावजूद उनसे मुलाकात नहीं हो पाई।
महिला संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने चिन्मयानंद केस अलावा सुल्तानपुर के बैजापुर मामले पर भी डीजीपी से मुलाकात करने का समय मांगा था। रुपरेखा वर्मा ने बताया कि बैजापुर में अज्ञात महिला के साथ जिस तरह की हैवानियत की खबर सामने आई है वह दहला देने वाली है। ऐसे में वे उस गांव का दौरा कर स्थानीय लोगों से जानकारी लेंगी।