पाक के लिए जासूसी और टेरर फन्डिंग करते थे BJP और बजरंग दल के नेता, गिरफ्तार

Written by Anuj Shrivastava | Published on: August 24, 2019
सतना। बजरंग दल के नेता और भाजपा की आईटी सेल के पूर्व संयोजक तथा तीन अन्य लोगों को टेरर फंडिंग तथा भारत की खुफिया जानकारी पाकिस्तान को उपलब्ध कराने के आरोप में मध्य प्रदेश पुलिस ने बुधवार की रात सतना ज़िले से गिरफ़्तार किया है।



बजरंग दल के पूर्व नेता बलराम सिंह, 2017 में भोपाल भाजपा आईटी सेल के संयोजक ध्रुव सक्सेना तथा तीन अन्य लोगों को मध्यप्रदेश के सतना जिले से बुधवार की रात भोपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी पर आरोप है कि ये देश से जुड़ी खुफिया जानकारी पाकिस्तान की खुफिया सुरक्षा एजेन्सी आईएसआई को भेजते थे तथा यहां आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए टेरर फंडिंग का काम करते थे। इन सभी आरोपियों को 26 अगस्त तक एटीएस की हिरासत में भेज दिया गया है।

ज़मानत पर रिहा थे दोनों 
राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित ख़बरों के मुताबिक़ इन्ही आरोपों के चलते बजरंग दल के नेता बलराम सिंह और बीजेपी कार्यकर्ता ध्रुव सक्सेना को फरवरी 2017 में भी मध्यप्रदेश एटीएस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के मामले में पकड़ा गया था। इस मामले में कुल 15 लोग गिरफ्तार किए गए थे जिनमें से ध्रुव और बलराम सहित 13 आरोपियों को पिछले साल हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी।

कमलनाथ ने कहा सख्ती से हो जाँच
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को भोपाल में कहा, "इस पूरे मामले की जांच की जाए। इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया जाए। इस तरह की गतिविधि में जुड़े किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाए। प्रदेश की धरती पर टेरर फंडिग व पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी का कृत्य बर्दाश्त नहीं। इस कांड से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाए, चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा हो, या कितना भी बड़ा शख्स हो।"

पिछली जाँच पर उठाए सवाल
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले की पूर्ववर्ती जाँच प्रक्रिया पर संदेह जताते हुए कहा कि "क्या कारण है कि जब आठ फरवरी, 2017 को पहली बार इस मामले का खुलासा हुआ था और कुछ लोग इस कांड में पकड़े गए थे, तो उन पर उस समय कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? कैसे वे वापस बाहर आकर देश विरोधी गतिविधियों को फिर अंजाम देने लगे? इसकी भी जांच हो। इसमें किसी की लापरवाही सामने आए तो उस पर भी कार्रवाई हो।"

आपको बता दें कि पाकिस्तान के लिए जासूसी और टेरर फन्डिंग के इसी मामले के तहत भाजपा कार्यकर्ता और बजरंगदल के नेता को फ़रवरी 2017 जब पहली बार गिरफ़्तार किया गया था। तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और इतने गंभीर आरोपों में पकडे जाने के बावजूद दोनों को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था। उस साल जबलपुर से दो, भोपाल से तीन और ग्वालियर से पाँच आरोपियों की गिरफ़्तारी हुई थी।

मासिक किराए पर लोगों के बैंक खातों में मंगवाते थे रूपए
दोनों आरोपी लोगों को हर महीने पाँच से सात हज़ार रूपए कमीशन देने के एवज में उनके बैंक खातों में विदेश से पैसे मंगवाया करते थे। छतरपुर, सतना और सीधी के सौ से अधिक बैंक खातों में रूपए मंगवाए जाने की बात सामने आई है। मध्यप्रदेश के 70 बैंक खातों में 50-50 हज़ार रुपए और अन्य प्रदेशों के बैंक खातों में एक से दो लाख रुपयों की रकम मंगवाई गई हैं। आरोपियों ने मध्यप्रदेश सहित बिहार और पश्चिम बंगाल के बैंक खातों में पैसे मंगवाए हैं। टेरर फन्डिंग का ये खतरनाक काम अंजाम देने की एवज में आरोपियों को 8 प्रतिशत का कमीशन मिलता था।

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