"महंगाई के असर के चलते रोजमर्रा से जुड़े सामान के पैकेट और छोटे हो गए हैं। जहां कंपनियों ने साइज घटाया है तो वहीं, लोगों का खरीदारी पैटर्न भी बदला है। लोग महंगाई के चलते अब सामानों के छोटे पैकेट्स खरीदने पर उतर आए हैं। बिजॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे पैकेटों की मांग में मई 2023 में जबरदस्त तेजी आई है। मई 2023 में मई 2022 के मुकाबले ब्रांडेड कमोडिटी के छोटे पैकेट की मांग 23 फीसदी का उछाल है। कम मात्रा में सामान खरीदने का ये असर FMCG की कुल बिक्री पर भी साफ नजर आ रहा है।"
महंगाई के चलते अप्रैल-जून तिमाही में रोजमर्रा के सामानों की बिक्री में गिरावट आई है। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोग महंगाई के चलते अब सामानों के छोटे पैकेट्स खरीदने पर उतर आए हैं। Bijom की रिपोर्ट के मुताबिक पेय पदार्थों की मांग में कमी के चलते अप्रैल-जून में FMCG की बिक्री शहरी इलाकों में 4.7 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में 4.6 परसेंट तक लुढ़क गई है और कुल बिक्री में भी 4.6 फीसदी की गिरावट आई है।
कुल बिक्री में गिरावट का बड़ा असर पेय पदार्थों की डिमांड, घटना बताया गया है जो बेमौसम बरसात से प्रभावित हुई हैं। लेकिन जो खास बात है वो यह कि महंगाई के असर से अब लोगों के खरीदारी पैटर्न में भी बदलाव आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई के सामने मजबूर भारतीय परिवार जरुरी सामानों के बड़े पैकेट खरीदने की जगह छोटे पैकेट और पाउच खरीद रहे हैं। ऐसे में 160 रुपये किलो के भाव पर टमाटर खरीदने की जगह लोग टोमाटो प्यूरी का 25 रुपये का 200 ग्राम का पैक खरीद रहे हैं। इसी तरह 400 रुपये किलो का अदरक खरीदने की जगह उसके पेस्ट के छोटे पैक खरीद रहे हैं। 550 रुपये से सीधा 800 रुपये किलो तक जा पहुंचे जीरा पाउडर के छोटे पैके से लेकर खुले बाजार से कम मात्रा में जीरा पाउडर खरीद रहे हैं। जानकारों का भी मानना है कि महंगाई ने लोगों का बजट बिगाड़कर रख दिया है वो संभलकर खर्च कर रहे हैं।
कंपनी घटा रही पैकेटो का साइज
बिजॉम की रिपोर्ट के मुताबिक छोटे पैकेटों की मांग में मई 2023 में जबरदस्त तेजी आई है। मई 2023 में मई 2022 के मुकाबले ब्रांडेड कमोडिटी के छोटे पैकेट की मांग में 23 फीसदी का उछाल आया है। कम मात्रा में सामान खरीदने का ये असर FMCG की कुल बिक्री पर भी साफ नजर आ रहा है। बिजॉम के मुताबिक अप्रैल-जून में बड़े शहरों में FMCG की बिक्री 6.4 फीसदी लुढ़क गई है। जबकि छोटे शहरों में सबसे ज्यादा 7.2 फीसदी की गिरावट आई है। बिक्री में कमी की एक वजह गैर जरूरी उत्पादों पर लोगों का खर्च रकम होना भी रहा है। इसकी झलक पर्सनल केयर और कन्फेक्शनरी उत्पादों की बिक्री में दिखाई दे रही है। अब काफी कुछ उम्मीद मॉनसून से है जिसके सामान्य रहने पर गैर-जरूरी उत्पादों की खरीदारी भी बढ़ सकती है। उम्मीद है कि अगस्त में त्योहारों के आने और खाद्य महंगाई कम रहने की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में FMCG उत्पादों की खपत में बढ़ोतरी होगी।
रोजमर्रा के सामान के पैकेट हुए और छोटे, दाम बढ़े-माल हुआ कम
देश में जनता पर महंगाई की मार चौतरफा पड़ रही है। एक तरफ पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम नहीं हो रहे है। वही दूसरी और रोजमर्रा से जुड़े सामान भी महंगे होते जा रहे है। तेल के दाम महंगे होने से हर चीज महंगी होती जा रही है। इसे बढ़ाने में एफएमसीजी (FMCG) कंपनियों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। मार्केट में दैनिक इस्तेमाल से जुड़ी चीजों के दाम चुपचाप बढ़ गए है। इसमें दूध के दाम से लेकर, बिस्किट, नमकीन, चाय, कॉफी सहित खाने-पीने की कई आइटम पर तेजी देखी जा सकती है. इससे आम लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है। जानिए सिर्फ दो महीने में अचनाक दाम कितने बढ़े...
20 फीसदी तक बढ़े दाम
FMCG कंपनियों ने साबुन-टूथपेस्ट जैसे डेली यूज में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। जनवरी, 2022 में इन आइटमों के दाम में 3 से 20 फीसदी तक की वृद्धि हुई थी. तब कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण इस तेजी को बताया जा रहा था, लेकिन इस साल 2023 में FMCG कंपनियों ने लगभग हर चीज, जिसकी ज्यादा डिमांड है, उसे महंगा कर दिया है। मार्केट में बच्चों के मिल्क पाउडर को देखें तो, इसका 500 ग्राम का पैकेट पहले 350 रुपये का था। अब इसकी मात्रा 400 ग्राम कर दी गई है, और रेट भी बढ़ाकर 415 रुपये कर दिया है।
पैकेट की मात्रा में हुई कटौती
कई चीजों के पैकेट आए दिन और छोटे होते जा रहे हैं लेकिन दाम पुराने ही लिए जा रहे हैं। बढ़ती महंगाई और छोटे हो रहे पैकेटों से जनता काफी परेशान है। महंगाई का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। अगर बिस्किट को देखें, तो सबसे ज्यादा मात्रा में 20 प्रतिशत की कटौती की गई है। खाने की चीजों के अलावा हाथ धोने में इस्तेमाल होने वाले हैंडवॉश पाउच की मात्रा को कम कर दिया गया है।
कहीं रेट बढ़ाया, तो कहीं मात्रा हुई कम
मार्केट में 5 महीने पहले जो बिस्किट का पैकेट 5 रुपये में मिलता था, वह आज भी 5 रुपये में मिल रहा है, लेकिन उसकी मात्रा पहले से काफी कम हो गई है। चिप्स, नमकीन सहित सभी पैकेट वाले सामान का भी यही हाल है। नूडल्स के पैकेट का रेट 4-5 रुपये तक बढ़ गया है, जबकि इसकी मात्रा पहले से काफी कम कर दी गई है। सिर्फ एक से दो महीने में महंगाई तेजी के साथ बढ़ी है।
ऐसे समझें खाने के पैकेट्स में कटौती
सामान कीमत मौजूदा वर्तमान मात्रा
पहले की मात्रा
बिस्किट 5 रुपये 52 ग्राम 80 ग्राम
चायपत्ती 60 रुपये 200 ग्राम 250 ग्राम (50 रुपये)
नमकीन 10 रुपये 42 ग्राम 65 ग्राम
मटर 10 रुपये 42 ग्राम 65 ग्राम
पीनट्स 10 रुपये 38 ग्राम 55 ग्राम
कॉफी 10 रुपये 5.5 ग्राम 7 ग्राम
मांग बढ़ने के साथ बढ़े दाम
FMCG कंपनियों ने कोरोना महामारी के बाद देश में अचनाक इन चीजों की मांग बढ़ गई है। रिटेल मार्केट में कंपनियों ने अपनी बिक्री को बनाए रखने के लिए प्रॉफिट मार्जिन को घटा दिया था। लेकिन अब मार्केट में सुधार आया तो, कंपनियों ने मार्केट फंडा अपनाकर पैकेट को छोटा करके माल कम कर दिया, और पैसे चुपचाप बढ़ा दिए है।
*आम आदमी तो दूर, McDonalds जैसी मल्टीनेशनल कंपनी अफोर्ड नहीं कर पाई महंगाई, कंपनी ने अपने बर्गर से टमाटर को हटाया*
धरातल पर महंगाई के असर को देंखे तो आम आदमी तो दूर, McDonalds जैसी मल्टीनेशनल कंपनियां महंगाई को अफोर्ड नहीं कर पा रही है। McDonalds ने अपने बर्गर से टमाटर को हटा दिया है जिसकी जानकारी कंपनी ने खुद नोटिस जारी कर दी है। देश में कई जगहों पर टमाटर के दाम 150 से 200 रु. प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। इसके आसमान छूते दामों का असर आम आदमी के साथ अब रेस्टोरेंट्स और फूड चेन्स पर भी दिखने लगा है। मैकडोनाल्ड्स जैसी मल्टीनेशनल फूड चेन कंपनी भी इतने महंगे टमाटर को अफोर्ड नहीं कर पा रही है। कंपनी ने इसे लेकर एक ऐसी घोषणा की है जो खाने के शौकीनों को निराश कर सकती है। दरअसल मैकडोनाल्ड्स ने उन फूड प्रॉडक्ट्स की डिलीवरी बंद करने का फैसला किया है, जिनमें टमाटर का उपयोग होता है। कंपनी की यह घोषणा सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनी हुई है। लोग कह रहे हैं कि अब तो महंगे टमाटर ने मैकडोनाल्ड्स जैसी दिग्गज फूड चैन कंपनी के भी पसीने छुड़ा दिए हैं।
कंपनी ने लगाया नोटिस
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्थ इंडिया में McDonalds रेस्टोरेंट्स को चला रही फ्रेंचाइजी कनॉट प्लाजा प्रा लि ने अपने आउटलेट्स पर एक नोटिस लगाया है जिनमें टमाटर का उपयोग होने वाले प्रोडक्ट्स न देने की बात कही गई है। नोटिस में लिखा है, 'हमारे लाख प्रयास के बाद भी हमें टमाटर की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में हम अपने उत्पादों में टमाटर के उपयोग पर कुछ समय के लिए रोक लगा रहे हैं। जब स्थिति नॉर्मल हो जाएगी हम दोबारा टमाटर का उपयोग करने लगेंगे।' कंपनी के स्टोर में लगे इस नोटिस को सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर आदित्य साहा ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'अब तो मैकडोनाल्ड्स भी टमाटर अफोर्ड नहीं कर सकता'
कस्टमर केयर ने ऑर्डर लेने से किया मना
टीवी 9 की रिपोर्ट के अनुसार अर्चना नाम की एक कस्टमर ने McDonald’s साकेत को कॉल करके टोमेटो बर्गर ऑर्डर किया। कंपनी के कस्टमर केयर की तरफ से जवाब आया कि अभी हम बर्गर में टमाटर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। अभी केवल बिना टोमेटो वाले बर्गर के ही ऑर्डर डिलीवर किए जा रहे हैं।
पेट्रोल से भी महंगा टमाटर
देश के कई हिस्सों में टमाटर के दाम पेट्रोल से भी ज्यादा हैं। यह 120 से 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। इन आसमान छूती कीमतों की वजह से कई लोगों ने तो टमाटर खरीदना ही बंद कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में हो रही भारी बारिश की वजह से टमाटर की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं हो पाने के कारण इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं।
जीरा भी पहुंचा आसमान पर
टमाटर ही नहीं, अब हर परिवार की रसोई में सब्जियों में छौंक लगाना महंगा हो गया है, क्योंकि जीरे के दाम आसमान छू रहे हैं। दो वर्ष पहले इन दिनों जीरा 220 से 240 रुपये प्रतिकिलो थोक में बिक रहा था। अब इसके दाम 650 रुपये प्रतिकलो तक थोक में पहुंच गए हैं। वहीं फुटकर में अच्छी गणुवत्ता का जीरा 800 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा है। इसके पीछे कारण आवक का कम होना नहीं बल्कि जमाखोरी है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा कि बीजेपी सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है, भीषण महंगाई से लोगों का जीवन दूभर हो गया है, दाल 150 रुपये के पार, आटा 40 के पार, टमाटर 150 के पार, सरसों का तेल 140 के पार, धनिया 400 के पार, अदरक 300 रुपये के पार, 1140 रुपये प्रति सिलेंडर रसोई गैस की कीमत आज जनता के बस के बाहर हो चुकी है।
सब्जियों ने गृहणियों का बजट बिगाड़ा
टमाटर 120 रुपये प्रति किलो और अदरक 200 रुपये प्रति किलो बिकने के बाद अब हरी प्याज, धनिया, भिंडी, चोली, फूल की कीमतें गरीब, मध्यमवर्गीय गृहिणियों की क्रय शक्ति से बाहर हो गई हैं। एक ही महीने में सब्जियों के दाम दोगुने से तीन गुने हो गए हैं। जीरे की तरह धनिया सबसे महंगा है। 200-300 रुपये किलो मिलने वाला धनिया सीधे 900-1000 रुपये तक पहुंच गया है। जो भिंडी 200-300 रुपये में मिलती थी, अब 20 किलो 800 से 1000 रुपये में मिल रही है। 20 किलो की चोली की कीमत 400-420 थी, एक महीने में यह बढ़कर 1000 से 1100 हो गई है। फूलगोबी की कीमत एक माह पहले 180 से 200 से दोगुनी होकर 400 से 500 तक पहुंच गयी है। ग्वार, पुदीना, मिर्च और पत्तागोभी के दाम 50 से 200 रुपये प्रति 20 किलो तक बढ़ गए हैं। खुदरा सब्जी बाजार में ज्यादातर सब्जियों के दाम 100 रुपये या उससे भी ज्यादा हो गये हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात की सूरत एपीएमसी में जहां थोक में 20 किलो के दाम दो से तीन गुना बढ़ गए हैं, वहीं खुदरा सब्जी बाजार में ये दाम पांच गुना बढ़कर शतक पार कर गए हैं।
*कमरतोड़ महंगाई ने आम आदमी का जीना किया मुहाल, 10 साल में बेकाबू हुई महंगाई*
देखिए कि कैसे कमरतोड़ महंगाई ने हर आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 10 साल पहले आटा का 10 किलो का बैग 210 रुपये में मिलता था वो अब 440 रुपये में मिल रहा है। यानि ठीक दोगुना। चावल जो 10 साल पहले 36 से 38 रुपये में मिलता था वो अब 80 से 90 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है। फुल क्रीम दूध 39 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था वो अब 66 रुपये लीटर में मिल रहा है। जो देसी घी 300 रुपये किलो में मिलता था वो अब 675 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है। 160 से 180 रुपये किलो में मिलने वाला पनीर अब 425 से 450 रुपये किलो में मिल रहा है। सरसों तेल 2013 में 52 से 55 रुपये प्रति किलो में मिल रहा था जो अब 150 रुपये किलो में मिल रहा है। अरहर दाल 2013 में 70 से 80 रुपये किलो में मिलता था वो अब 160 से 170 रुपये किलो में मिल रहा है।
2013 में रेट 2023 में रेट
आटा (10 किलो) 210 रुपये 440 रुपये
चावल 36 - 38 रु/किलो 80 - 90 रु/किलो
फुल क्रीम दूध 39 रुपये 66 रुपये
देसी घी 300 रुपये 675 रुपये
सरसों तेल 52 रुपये 150 रुपये
अरहर दाल 70-80 रुपये 160 -170 रुपये
रसोई गैस 410 रुपये 1103 रुपये
पेट्रोल 66 रुपये 97 रुपये
डीजल 52 रुपये 90 रुपये
एलपीजी, पेट्रोल-डीजल की महंगाई बनी आफत!
अब घर में खाना पकाने के लिए जरुरी ईंधन एलपीजी सिलेंडर की कीमतों के क्या कहने। 2013 में सब्सिडी वाला घरेलू रसोई गैस 410 रुपये में मिल जाता था जिसके लिए लोगों को अब 1100 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. केवल एलपीजी ही नहीं बल्कि बीते 10 वर्षों में पेट्रोल डीजल के दामों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. अप्रैल 2013 में पेट्रोल 66 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था जो अब 97 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा है. जबकि डीजल 52 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था जो अब 90 रुपये प्रति लीटर ते करीब में मिल रहा है। पिछले 10 वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया बेहद कमजोर हुआ है। 2013 में एक डॉलर के मुकाबले रुपये का वैल्यू 54 रुपये हुआ करता था जो अब घटकर 82 रुपये के लेवल पर जा पहुंचा है।
महंगी ईएमआई ने बिगाड़ा बजट
चौतरफा महंगाई ने आम आदमी को रुला दिया है। अब जिन लोगों ने ईएमआई लेकर अपने सपनों का आशियाना खरीदा हुआ है उनकी मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ गई है। एक वर्ष में होम बायर्स पर ईएमआई का बोझ जबरदस्त बढ़ा है। अगर किसी होम बायर्स ने 2022 से पहले होम लोन लिया था तो महंगी ईएमआई के चलते ऐसे लोगों के घर का बजट अब बिगड़ चुका है। मान लिजिए किसी होम बायर्स ने 40 लाख रुपये का होम लोन 20 सालों के लिए 6.50 फीसदी ब्याज दर पर लिया था तब 29,823 रुपये ईएमआई का भुगतान करना पड़ रहा था लेकिन अब उसी होम लोन पर होम बायर्स को 33,568 रुपये ईएमआई चुकाना पड़ रहा है। यानि हर महीने 3745 रुपये ज्यादा ईएमआई का भुगतान करना पड़ रहा है।
*पीएम मोदी 'महंगाई मैन' हैं: कांग्रेस*
कांग्रेस ने सब्जियों और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का हवाला देते हुए मंगलवार को केंद्र सरकार पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया और दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘महंगाई मैन’ हैं, जिनकी सरकार में देश की जनता महंगाई से बेहाल है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह जनता को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाए और डीजल की कीमत में कमी सुनिश्चित करे। वह संवाददाता सम्मेलन में सब्जी की टोकरी, बिस्किट, चाय, मूंगफली और चटनी के पैकेट लेकर पहुंची थीं। सुप्रिया ने दावा किया कि मोदी सरकार में जरूरी खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी मौन हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आटा, तेल, दाल, सब्ज़ी, फल सबकी क़ीमतें आसमान छू रही हैं। जनता त्रस्त है, साहेब मस्त हैं! हमने सुपर मैन देखा, स्पाइडर मैन देखा...अब महंगाई मैन को देख रहे हैं। वह जहां जाते हैं, वहां महंगाई बढ़ जाती है...इस ‘महंगाई मैन’ का नाम नरेन्द्र मोदी है।’’ उन्होंने टमाटर के 150 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से बिकने और कुछ अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का उल्लेख किया। सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया, ‘‘क्या ऐसा है कि सरकार कुछ नहीं कर सकती? बिलकुल ऐसा नहीं है।
कांग्रेस शासित राज्यों में सरकारों ने गैस के दाम घटाए, आर्थिक सहायता के लिए गरीबों के खातों में पैसे डाले। राजस्थान में हम 500 रुपये में गैस सिलेंडर दे रहे हैं, कर्नाटक में महिलाओं को मुफ़्त बस सेवा मिलने से उनके हाथों में अतिरिक्त बचत हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार तुरंत ज़रूरी चीज़ों के दाम को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाये। सब्ज़ी के बढ़ते दाम को कम करने के लिए डीजल की क़ीमत घटाये। सस्ते कच्चे तेल का फ़ायदा आम जनता तक पहुंचाये, मुनाफ़ाख़ोरी बंद करे। निर्मम टैक्स वसूली बंद करे, आटा, दही जैसी चीज़ों से जीएसटी हटाये। महंगाई से प्रभावित सबसे गरीब तबक़े को आर्थिक सहायता पहुंचाई जाये।
महंगाई के चलते अप्रैल-जून तिमाही में रोजमर्रा के सामानों की बिक्री में गिरावट आई है। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोग महंगाई के चलते अब सामानों के छोटे पैकेट्स खरीदने पर उतर आए हैं। Bijom की रिपोर्ट के मुताबिक पेय पदार्थों की मांग में कमी के चलते अप्रैल-जून में FMCG की बिक्री शहरी इलाकों में 4.7 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में 4.6 परसेंट तक लुढ़क गई है और कुल बिक्री में भी 4.6 फीसदी की गिरावट आई है।
कुल बिक्री में गिरावट का बड़ा असर पेय पदार्थों की डिमांड, घटना बताया गया है जो बेमौसम बरसात से प्रभावित हुई हैं। लेकिन जो खास बात है वो यह कि महंगाई के असर से अब लोगों के खरीदारी पैटर्न में भी बदलाव आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई के सामने मजबूर भारतीय परिवार जरुरी सामानों के बड़े पैकेट खरीदने की जगह छोटे पैकेट और पाउच खरीद रहे हैं। ऐसे में 160 रुपये किलो के भाव पर टमाटर खरीदने की जगह लोग टोमाटो प्यूरी का 25 रुपये का 200 ग्राम का पैक खरीद रहे हैं। इसी तरह 400 रुपये किलो का अदरक खरीदने की जगह उसके पेस्ट के छोटे पैक खरीद रहे हैं। 550 रुपये से सीधा 800 रुपये किलो तक जा पहुंचे जीरा पाउडर के छोटे पैके से लेकर खुले बाजार से कम मात्रा में जीरा पाउडर खरीद रहे हैं। जानकारों का भी मानना है कि महंगाई ने लोगों का बजट बिगाड़कर रख दिया है वो संभलकर खर्च कर रहे हैं।
कंपनी घटा रही पैकेटो का साइज
बिजॉम की रिपोर्ट के मुताबिक छोटे पैकेटों की मांग में मई 2023 में जबरदस्त तेजी आई है। मई 2023 में मई 2022 के मुकाबले ब्रांडेड कमोडिटी के छोटे पैकेट की मांग में 23 फीसदी का उछाल आया है। कम मात्रा में सामान खरीदने का ये असर FMCG की कुल बिक्री पर भी साफ नजर आ रहा है। बिजॉम के मुताबिक अप्रैल-जून में बड़े शहरों में FMCG की बिक्री 6.4 फीसदी लुढ़क गई है। जबकि छोटे शहरों में सबसे ज्यादा 7.2 फीसदी की गिरावट आई है। बिक्री में कमी की एक वजह गैर जरूरी उत्पादों पर लोगों का खर्च रकम होना भी रहा है। इसकी झलक पर्सनल केयर और कन्फेक्शनरी उत्पादों की बिक्री में दिखाई दे रही है। अब काफी कुछ उम्मीद मॉनसून से है जिसके सामान्य रहने पर गैर-जरूरी उत्पादों की खरीदारी भी बढ़ सकती है। उम्मीद है कि अगस्त में त्योहारों के आने और खाद्य महंगाई कम रहने की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में FMCG उत्पादों की खपत में बढ़ोतरी होगी।
रोजमर्रा के सामान के पैकेट हुए और छोटे, दाम बढ़े-माल हुआ कम
देश में जनता पर महंगाई की मार चौतरफा पड़ रही है। एक तरफ पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम नहीं हो रहे है। वही दूसरी और रोजमर्रा से जुड़े सामान भी महंगे होते जा रहे है। तेल के दाम महंगे होने से हर चीज महंगी होती जा रही है। इसे बढ़ाने में एफएमसीजी (FMCG) कंपनियों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। मार्केट में दैनिक इस्तेमाल से जुड़ी चीजों के दाम चुपचाप बढ़ गए है। इसमें दूध के दाम से लेकर, बिस्किट, नमकीन, चाय, कॉफी सहित खाने-पीने की कई आइटम पर तेजी देखी जा सकती है. इससे आम लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है। जानिए सिर्फ दो महीने में अचनाक दाम कितने बढ़े...
20 फीसदी तक बढ़े दाम
FMCG कंपनियों ने साबुन-टूथपेस्ट जैसे डेली यूज में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। जनवरी, 2022 में इन आइटमों के दाम में 3 से 20 फीसदी तक की वृद्धि हुई थी. तब कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण इस तेजी को बताया जा रहा था, लेकिन इस साल 2023 में FMCG कंपनियों ने लगभग हर चीज, जिसकी ज्यादा डिमांड है, उसे महंगा कर दिया है। मार्केट में बच्चों के मिल्क पाउडर को देखें तो, इसका 500 ग्राम का पैकेट पहले 350 रुपये का था। अब इसकी मात्रा 400 ग्राम कर दी गई है, और रेट भी बढ़ाकर 415 रुपये कर दिया है।
पैकेट की मात्रा में हुई कटौती
कई चीजों के पैकेट आए दिन और छोटे होते जा रहे हैं लेकिन दाम पुराने ही लिए जा रहे हैं। बढ़ती महंगाई और छोटे हो रहे पैकेटों से जनता काफी परेशान है। महंगाई का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। अगर बिस्किट को देखें, तो सबसे ज्यादा मात्रा में 20 प्रतिशत की कटौती की गई है। खाने की चीजों के अलावा हाथ धोने में इस्तेमाल होने वाले हैंडवॉश पाउच की मात्रा को कम कर दिया गया है।
कहीं रेट बढ़ाया, तो कहीं मात्रा हुई कम
मार्केट में 5 महीने पहले जो बिस्किट का पैकेट 5 रुपये में मिलता था, वह आज भी 5 रुपये में मिल रहा है, लेकिन उसकी मात्रा पहले से काफी कम हो गई है। चिप्स, नमकीन सहित सभी पैकेट वाले सामान का भी यही हाल है। नूडल्स के पैकेट का रेट 4-5 रुपये तक बढ़ गया है, जबकि इसकी मात्रा पहले से काफी कम कर दी गई है। सिर्फ एक से दो महीने में महंगाई तेजी के साथ बढ़ी है।
ऐसे समझें खाने के पैकेट्स में कटौती
सामान कीमत मौजूदा वर्तमान मात्रा
पहले की मात्रा
बिस्किट 5 रुपये 52 ग्राम 80 ग्राम
चायपत्ती 60 रुपये 200 ग्राम 250 ग्राम (50 रुपये)
नमकीन 10 रुपये 42 ग्राम 65 ग्राम
मटर 10 रुपये 42 ग्राम 65 ग्राम
पीनट्स 10 रुपये 38 ग्राम 55 ग्राम
कॉफी 10 रुपये 5.5 ग्राम 7 ग्राम
मांग बढ़ने के साथ बढ़े दाम
FMCG कंपनियों ने कोरोना महामारी के बाद देश में अचनाक इन चीजों की मांग बढ़ गई है। रिटेल मार्केट में कंपनियों ने अपनी बिक्री को बनाए रखने के लिए प्रॉफिट मार्जिन को घटा दिया था। लेकिन अब मार्केट में सुधार आया तो, कंपनियों ने मार्केट फंडा अपनाकर पैकेट को छोटा करके माल कम कर दिया, और पैसे चुपचाप बढ़ा दिए है।
*आम आदमी तो दूर, McDonalds जैसी मल्टीनेशनल कंपनी अफोर्ड नहीं कर पाई महंगाई, कंपनी ने अपने बर्गर से टमाटर को हटाया*
धरातल पर महंगाई के असर को देंखे तो आम आदमी तो दूर, McDonalds जैसी मल्टीनेशनल कंपनियां महंगाई को अफोर्ड नहीं कर पा रही है। McDonalds ने अपने बर्गर से टमाटर को हटा दिया है जिसकी जानकारी कंपनी ने खुद नोटिस जारी कर दी है। देश में कई जगहों पर टमाटर के दाम 150 से 200 रु. प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। इसके आसमान छूते दामों का असर आम आदमी के साथ अब रेस्टोरेंट्स और फूड चेन्स पर भी दिखने लगा है। मैकडोनाल्ड्स जैसी मल्टीनेशनल फूड चेन कंपनी भी इतने महंगे टमाटर को अफोर्ड नहीं कर पा रही है। कंपनी ने इसे लेकर एक ऐसी घोषणा की है जो खाने के शौकीनों को निराश कर सकती है। दरअसल मैकडोनाल्ड्स ने उन फूड प्रॉडक्ट्स की डिलीवरी बंद करने का फैसला किया है, जिनमें टमाटर का उपयोग होता है। कंपनी की यह घोषणा सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनी हुई है। लोग कह रहे हैं कि अब तो महंगे टमाटर ने मैकडोनाल्ड्स जैसी दिग्गज फूड चैन कंपनी के भी पसीने छुड़ा दिए हैं।
कंपनी ने लगाया नोटिस
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्थ इंडिया में McDonalds रेस्टोरेंट्स को चला रही फ्रेंचाइजी कनॉट प्लाजा प्रा लि ने अपने आउटलेट्स पर एक नोटिस लगाया है जिनमें टमाटर का उपयोग होने वाले प्रोडक्ट्स न देने की बात कही गई है। नोटिस में लिखा है, 'हमारे लाख प्रयास के बाद भी हमें टमाटर की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में हम अपने उत्पादों में टमाटर के उपयोग पर कुछ समय के लिए रोक लगा रहे हैं। जब स्थिति नॉर्मल हो जाएगी हम दोबारा टमाटर का उपयोग करने लगेंगे।' कंपनी के स्टोर में लगे इस नोटिस को सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर आदित्य साहा ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'अब तो मैकडोनाल्ड्स भी टमाटर अफोर्ड नहीं कर सकता'
कस्टमर केयर ने ऑर्डर लेने से किया मना
टीवी 9 की रिपोर्ट के अनुसार अर्चना नाम की एक कस्टमर ने McDonald’s साकेत को कॉल करके टोमेटो बर्गर ऑर्डर किया। कंपनी के कस्टमर केयर की तरफ से जवाब आया कि अभी हम बर्गर में टमाटर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। अभी केवल बिना टोमेटो वाले बर्गर के ही ऑर्डर डिलीवर किए जा रहे हैं।
पेट्रोल से भी महंगा टमाटर
देश के कई हिस्सों में टमाटर के दाम पेट्रोल से भी ज्यादा हैं। यह 120 से 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। इन आसमान छूती कीमतों की वजह से कई लोगों ने तो टमाटर खरीदना ही बंद कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में हो रही भारी बारिश की वजह से टमाटर की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं हो पाने के कारण इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं।
जीरा भी पहुंचा आसमान पर
टमाटर ही नहीं, अब हर परिवार की रसोई में सब्जियों में छौंक लगाना महंगा हो गया है, क्योंकि जीरे के दाम आसमान छू रहे हैं। दो वर्ष पहले इन दिनों जीरा 220 से 240 रुपये प्रतिकिलो थोक में बिक रहा था। अब इसके दाम 650 रुपये प्रतिकलो तक थोक में पहुंच गए हैं। वहीं फुटकर में अच्छी गणुवत्ता का जीरा 800 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा है। इसके पीछे कारण आवक का कम होना नहीं बल्कि जमाखोरी है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा कि बीजेपी सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है, भीषण महंगाई से लोगों का जीवन दूभर हो गया है, दाल 150 रुपये के पार, आटा 40 के पार, टमाटर 150 के पार, सरसों का तेल 140 के पार, धनिया 400 के पार, अदरक 300 रुपये के पार, 1140 रुपये प्रति सिलेंडर रसोई गैस की कीमत आज जनता के बस के बाहर हो चुकी है।
सब्जियों ने गृहणियों का बजट बिगाड़ा
टमाटर 120 रुपये प्रति किलो और अदरक 200 रुपये प्रति किलो बिकने के बाद अब हरी प्याज, धनिया, भिंडी, चोली, फूल की कीमतें गरीब, मध्यमवर्गीय गृहिणियों की क्रय शक्ति से बाहर हो गई हैं। एक ही महीने में सब्जियों के दाम दोगुने से तीन गुने हो गए हैं। जीरे की तरह धनिया सबसे महंगा है। 200-300 रुपये किलो मिलने वाला धनिया सीधे 900-1000 रुपये तक पहुंच गया है। जो भिंडी 200-300 रुपये में मिलती थी, अब 20 किलो 800 से 1000 रुपये में मिल रही है। 20 किलो की चोली की कीमत 400-420 थी, एक महीने में यह बढ़कर 1000 से 1100 हो गई है। फूलगोबी की कीमत एक माह पहले 180 से 200 से दोगुनी होकर 400 से 500 तक पहुंच गयी है। ग्वार, पुदीना, मिर्च और पत्तागोभी के दाम 50 से 200 रुपये प्रति 20 किलो तक बढ़ गए हैं। खुदरा सब्जी बाजार में ज्यादातर सब्जियों के दाम 100 रुपये या उससे भी ज्यादा हो गये हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात की सूरत एपीएमसी में जहां थोक में 20 किलो के दाम दो से तीन गुना बढ़ गए हैं, वहीं खुदरा सब्जी बाजार में ये दाम पांच गुना बढ़कर शतक पार कर गए हैं।
*कमरतोड़ महंगाई ने आम आदमी का जीना किया मुहाल, 10 साल में बेकाबू हुई महंगाई*
देखिए कि कैसे कमरतोड़ महंगाई ने हर आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 10 साल पहले आटा का 10 किलो का बैग 210 रुपये में मिलता था वो अब 440 रुपये में मिल रहा है। यानि ठीक दोगुना। चावल जो 10 साल पहले 36 से 38 रुपये में मिलता था वो अब 80 से 90 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है। फुल क्रीम दूध 39 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था वो अब 66 रुपये लीटर में मिल रहा है। जो देसी घी 300 रुपये किलो में मिलता था वो अब 675 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है। 160 से 180 रुपये किलो में मिलने वाला पनीर अब 425 से 450 रुपये किलो में मिल रहा है। सरसों तेल 2013 में 52 से 55 रुपये प्रति किलो में मिल रहा था जो अब 150 रुपये किलो में मिल रहा है। अरहर दाल 2013 में 70 से 80 रुपये किलो में मिलता था वो अब 160 से 170 रुपये किलो में मिल रहा है।
2013 में रेट 2023 में रेट
आटा (10 किलो) 210 रुपये 440 रुपये
चावल 36 - 38 रु/किलो 80 - 90 रु/किलो
फुल क्रीम दूध 39 रुपये 66 रुपये
देसी घी 300 रुपये 675 रुपये
सरसों तेल 52 रुपये 150 रुपये
अरहर दाल 70-80 रुपये 160 -170 रुपये
रसोई गैस 410 रुपये 1103 रुपये
पेट्रोल 66 रुपये 97 रुपये
डीजल 52 रुपये 90 रुपये
एलपीजी, पेट्रोल-डीजल की महंगाई बनी आफत!
अब घर में खाना पकाने के लिए जरुरी ईंधन एलपीजी सिलेंडर की कीमतों के क्या कहने। 2013 में सब्सिडी वाला घरेलू रसोई गैस 410 रुपये में मिल जाता था जिसके लिए लोगों को अब 1100 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. केवल एलपीजी ही नहीं बल्कि बीते 10 वर्षों में पेट्रोल डीजल के दामों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. अप्रैल 2013 में पेट्रोल 66 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था जो अब 97 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा है. जबकि डीजल 52 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था जो अब 90 रुपये प्रति लीटर ते करीब में मिल रहा है। पिछले 10 वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया बेहद कमजोर हुआ है। 2013 में एक डॉलर के मुकाबले रुपये का वैल्यू 54 रुपये हुआ करता था जो अब घटकर 82 रुपये के लेवल पर जा पहुंचा है।
महंगी ईएमआई ने बिगाड़ा बजट
चौतरफा महंगाई ने आम आदमी को रुला दिया है। अब जिन लोगों ने ईएमआई लेकर अपने सपनों का आशियाना खरीदा हुआ है उनकी मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ गई है। एक वर्ष में होम बायर्स पर ईएमआई का बोझ जबरदस्त बढ़ा है। अगर किसी होम बायर्स ने 2022 से पहले होम लोन लिया था तो महंगी ईएमआई के चलते ऐसे लोगों के घर का बजट अब बिगड़ चुका है। मान लिजिए किसी होम बायर्स ने 40 लाख रुपये का होम लोन 20 सालों के लिए 6.50 फीसदी ब्याज दर पर लिया था तब 29,823 रुपये ईएमआई का भुगतान करना पड़ रहा था लेकिन अब उसी होम लोन पर होम बायर्स को 33,568 रुपये ईएमआई चुकाना पड़ रहा है। यानि हर महीने 3745 रुपये ज्यादा ईएमआई का भुगतान करना पड़ रहा है।
*पीएम मोदी 'महंगाई मैन' हैं: कांग्रेस*
कांग्रेस ने सब्जियों और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का हवाला देते हुए मंगलवार को केंद्र सरकार पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया और दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘महंगाई मैन’ हैं, जिनकी सरकार में देश की जनता महंगाई से बेहाल है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह जनता को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाए और डीजल की कीमत में कमी सुनिश्चित करे। वह संवाददाता सम्मेलन में सब्जी की टोकरी, बिस्किट, चाय, मूंगफली और चटनी के पैकेट लेकर पहुंची थीं। सुप्रिया ने दावा किया कि मोदी सरकार में जरूरी खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी मौन हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आटा, तेल, दाल, सब्ज़ी, फल सबकी क़ीमतें आसमान छू रही हैं। जनता त्रस्त है, साहेब मस्त हैं! हमने सुपर मैन देखा, स्पाइडर मैन देखा...अब महंगाई मैन को देख रहे हैं। वह जहां जाते हैं, वहां महंगाई बढ़ जाती है...इस ‘महंगाई मैन’ का नाम नरेन्द्र मोदी है।’’ उन्होंने टमाटर के 150 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से बिकने और कुछ अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का उल्लेख किया। सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया, ‘‘क्या ऐसा है कि सरकार कुछ नहीं कर सकती? बिलकुल ऐसा नहीं है।
कांग्रेस शासित राज्यों में सरकारों ने गैस के दाम घटाए, आर्थिक सहायता के लिए गरीबों के खातों में पैसे डाले। राजस्थान में हम 500 रुपये में गैस सिलेंडर दे रहे हैं, कर्नाटक में महिलाओं को मुफ़्त बस सेवा मिलने से उनके हाथों में अतिरिक्त बचत हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार तुरंत ज़रूरी चीज़ों के दाम को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाये। सब्ज़ी के बढ़ते दाम को कम करने के लिए डीजल की क़ीमत घटाये। सस्ते कच्चे तेल का फ़ायदा आम जनता तक पहुंचाये, मुनाफ़ाख़ोरी बंद करे। निर्मम टैक्स वसूली बंद करे, आटा, दही जैसी चीज़ों से जीएसटी हटाये। महंगाई से प्रभावित सबसे गरीब तबक़े को आर्थिक सहायता पहुंचाई जाये।