कोरोना : महानगरों को वापस लौटे पचास हजार प्रवासी मजदूर और कामगार

Written by sabrang india | Published on: August 3, 2020
वाराणसी। कोरोना वायरस के संक्रमण को लगाए गए लॉकडाउन के दौरान लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर और कामगार अपने घरों को लौट गए थे। इसके चार-पांच महीने बीत जाने के बाद जब इन लोगों को आस पास के इलाकों में काम नहीं मिला रहा था तो अब महानगरों की ओर वापस लौट रहे हैं।  



अनलॉक एक से अनलॉक तीन के बीच करीब पचास हजार प्रवासी कामगार महानगरों को लौट चुके हैं। यह लॉकडाउन के दौरान आए कामगारों का 12 फीसद है। इनमें ज्यादतर कल कारखानों, कंपनियों में काम करने वाले है। मार्च में लॉकडाउन लागू होने के बाद मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता के अलावा गुजरात के महानगरों में फंसे पूर्वांचल के लोगों के सामने जब आर्थिक संकट गहराया तो वे परिवार संग घर को लौटने लगे। 

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी सहित पूरे पूर्वांचल में 4 लाख 74 हजार प्रवासी अपने घर पहुंचे। प्रदेश सरकार की पहल पर उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिए मनरेगा समेत कई विकल्पों की घोषणा हुई। मनरेगा में रिकार्ड लोगों को जॉब मिला भी लेकिन तकनीकी कामगारों के सामने रोजगार का संकट बना रहा। जमा पूंजी खत्म होने लगी तो वे अब लौट रहे हैं।


सोनभद्र के उरमौरा का रिजवान दिल्ली की एक निजी कंपनी में काम करता था। 28 जून को वापस दिल्ली लौट गया। वहां उसे मोबाइल पोन के पार्ट बनाने वाली कंपनी में जॉब मिल गई। रिजवान का कहना है कि सोनभद्र में उसके  लायक काम नहीं था। चंदौली में तारनपुर निवासी सुजीत पासवान, विकास गुप्ता, संजय कुमार व रमेश यादव गुड़गांव, हरियाणा की एक फैक्ट्री में काम करते थे। यहां मनमाफिक रोजगार न मिलने से जुलाई के अंतिम हफ्तों में लौट गए। 

चहनियां ब्लॉक के मिश्रपुरा के राकेश मौर्य और रघुनंदन प्रसाद दिल्ली में सिक्योरिटी गार्ड थे। दो हफ्ते पहले वो भी दिल्ली लौट गए हैं। मिर्जापुर के लालगंज ब्लॉक के मेंढरा गांव निवासी रमाशंकर हरियाणा के फरीदाबाद में मारूति कांपनी में फीटर थे, 10 मई को घर आए थे। 16 जुलाई को परिवार को घर छोड़कर फरीदाबाद लौट गए।

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