देवी प्रसाद मिश्र की कविता : फासिस्ट, जब वो खुद को मनुष्य बताने लगे

Written by sabrang india | Published on: October 8, 2020
मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं 
तो उसने कहा कि वह मनुष्य है 



मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं
तो उसने कहा कि वह जनप्रतिनिधि है 

तो उसने कहा कि वह जनप्रतिनिधि है 
तो उसने कहा कि 
उसके पास आधार-कार्ड है 

मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं 
तो उसने कहा कि वह शाकाहारी है 

मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं 
तो उसने कहा कि मुद्दा विकास है 
(मैंने बिनास सुना) 

मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं 
तो उसने कहा कि उसके पास
तीस फ़ीसदी का बहुमत है 
सत्तर फ़ीसदी के अल्पमत की तुलना में

मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं
तो उसने कहा कि गांधी को हमने नहीं मारा
हममें से किसी ने उन पर गोली चला दी

मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं
तो उसने कहा 
कि अब जो कुछ हैं हमीं हैं

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