आज लोग भविष्य की तरफ सोचना ही नहीं चाहते ? आप लोग हम जैसे लोगो को यदि कांस्पिरेसी थ्योरिस्ट कहते हैं तो आप ही बताइये कि आफ्टर कोरोना हमारा समाज किस तरफ बढ़ रहा है? कोरोना के बाद के विश्व को आप कैसे देखते है ?
भारत की बात आप छोड़ दीजिए मोदी की बात भी आप आज छोड़ दीजिए। आज आप मुझे ये बताइये कि कोरोना के बाद का विश्व उस विश्व से कितना अलग होगा जिसमे हम 2019 तक तक रहते आए हैं। यदि आप सोचते है कि बिल्कुल भी परिवर्तन नही होगा तो माफ कीजिएगा आप बिलकुल गलत ट्रेक पर है। कोई इस बात को आज समझे या कल समझे, मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि पोस्ट कोरोना वर्ल्ड बिल्कुल ही अलग रूप लेने जा रहा है।
कोरोना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इतिहास मे दूसरी सबसे बड़ी घटना के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने जा रहा है। अगर आप इसके प्रभाव को हल्का कर के आंक रहे हैं तो माफ कीजिएगा आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। इसके लिए इसके हर पहलू की बारीकी से जाँच करना हमारा कर्तव्य है। चाहे वह इस संकट में बिग फार्मा लॉबी की भूमिका हो या चीन की भूमिका अगर इनकी भूमिका को हम आज नजरअंदाज कर रहे हैं तो इतिहास हमे कभी माफ नही करेगा।
कल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ साफ कहा है कि अभी हमें कोरोना की बस एक ही दवा पता है और जब तक इसकी वैक्सीन नहीं बनती, इसे केवल इसी दवा से रोका जा सकता है। और वह है दो गज की दूरी,......... दूरी को एक तरफ रख दीजिए, आप वैक्सीन की बात कीजिए।
कई वैज्ञानिक यह साफ साफ बोल चुके हैं कि ऐसे वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाना जो अपना रूप परिवर्तित कर रहा हो सम्भव ही नही है, कारगर वैक्सीन का बनना सम्भव ही नही है। ऐसा खुद WHO के चीफ मेडिकल ऑफिसर बोल चुके हैं लेकिन फिर भी वैक्सीन को लगातार केंद्र में रखा जा रहा है।
बहुत संभावना यह भी जताई जा रही है कि इतने अधिक प्रसार से वायरस अपना घातक प्रभाव धीरे धीरे खो देगा। जैसा कि SARS में भी देखा गया था वह भी कोरोना वायरस जनित बीमारी ही थी, 2004 के बाद SARS महामारी कहा गायब हो गयी किसी को कुछ पता है उसका तो कोई वैक्सीन भी नही बना ?
लेकिन 2020 में वैक्सीन सिर्फ एक वैक्सीन नही है यह एक इम्युनिटी पासपोर्ट है जो हमारे कही भी मूव करने के लिए एक बेहद जरूरी पंजीकरण है एक देश से दूसरे देश तो छोड़िए दिल्ली। मुम्बई में रहने वाला आदमी अपने गाँव मे वापस जाता है तो अजनबी नजरो से घूरा जा रहा है। इसलिए वैक्सीन ही एकमात्र इलाज है वेक्सिनाइजेशन सर्टिफिकेट का डिजिटलीकरण कर दिया जाएगा ओर हम सभी इसे एक तमगे के बतौर लेकर घूमेंगे।
ID2020 प्रोग्राम अब एक हकीकत है यह बांग्लादेश के नवजात बच्चों के वैक्सीन के डिजीटलाइजेशन के रूप में शुरू भी किया जा चुका है, फिलहाल कोरोना की वैक्सीन के डिजिटल सर्टिफिकेट को आपके स्मार्ट फोन से आपके मोबाइल नम्बर से जोड़ा जाएगा लेकिन भविष्य मे बहुत संभव है कि चिप के रूप में इसे मानव शरीर मे इम्प्लांट कर दिया जाए।.लोग खुशी खुशी इसे लगवाने को तैयार हो जाएंगे।
यह सारी कवायद सिर्फ पैसा कमाने के बारे में नही है जैसा कि कुछ लोग उसे अमेरिकी उद्योगपतियों की बैलेंसशीट में खोजने की बात कर रहे हैं यह कोरोना की सारी कवायद विश्व व्यवस्था को बदलने के बारे में है। जो भी व्यक्ति इस तरफ इशारा करता है वह सोशल मीडिया के अमेरिकी आकाओ को नागवार गुजरता है यही कारण कि हमारे जैसे लोगो को फेसबुक ने ब्लॉक कर देता है क्योंकि हम उनके कुत्सित इरादों के संकेत पाठकों को पुहंचा रहे है जो काम मुख्य मीडिया बिल्कुल भी नही कर रहा।
भारत की बात आप छोड़ दीजिए मोदी की बात भी आप आज छोड़ दीजिए। आज आप मुझे ये बताइये कि कोरोना के बाद का विश्व उस विश्व से कितना अलग होगा जिसमे हम 2019 तक तक रहते आए हैं। यदि आप सोचते है कि बिल्कुल भी परिवर्तन नही होगा तो माफ कीजिएगा आप बिलकुल गलत ट्रेक पर है। कोई इस बात को आज समझे या कल समझे, मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि पोस्ट कोरोना वर्ल्ड बिल्कुल ही अलग रूप लेने जा रहा है।
कोरोना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इतिहास मे दूसरी सबसे बड़ी घटना के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने जा रहा है। अगर आप इसके प्रभाव को हल्का कर के आंक रहे हैं तो माफ कीजिएगा आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। इसके लिए इसके हर पहलू की बारीकी से जाँच करना हमारा कर्तव्य है। चाहे वह इस संकट में बिग फार्मा लॉबी की भूमिका हो या चीन की भूमिका अगर इनकी भूमिका को हम आज नजरअंदाज कर रहे हैं तो इतिहास हमे कभी माफ नही करेगा।
कल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ साफ कहा है कि अभी हमें कोरोना की बस एक ही दवा पता है और जब तक इसकी वैक्सीन नहीं बनती, इसे केवल इसी दवा से रोका जा सकता है। और वह है दो गज की दूरी,......... दूरी को एक तरफ रख दीजिए, आप वैक्सीन की बात कीजिए।
कई वैज्ञानिक यह साफ साफ बोल चुके हैं कि ऐसे वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाना जो अपना रूप परिवर्तित कर रहा हो सम्भव ही नही है, कारगर वैक्सीन का बनना सम्भव ही नही है। ऐसा खुद WHO के चीफ मेडिकल ऑफिसर बोल चुके हैं लेकिन फिर भी वैक्सीन को लगातार केंद्र में रखा जा रहा है।
बहुत संभावना यह भी जताई जा रही है कि इतने अधिक प्रसार से वायरस अपना घातक प्रभाव धीरे धीरे खो देगा। जैसा कि SARS में भी देखा गया था वह भी कोरोना वायरस जनित बीमारी ही थी, 2004 के बाद SARS महामारी कहा गायब हो गयी किसी को कुछ पता है उसका तो कोई वैक्सीन भी नही बना ?
लेकिन 2020 में वैक्सीन सिर्फ एक वैक्सीन नही है यह एक इम्युनिटी पासपोर्ट है जो हमारे कही भी मूव करने के लिए एक बेहद जरूरी पंजीकरण है एक देश से दूसरे देश तो छोड़िए दिल्ली। मुम्बई में रहने वाला आदमी अपने गाँव मे वापस जाता है तो अजनबी नजरो से घूरा जा रहा है। इसलिए वैक्सीन ही एकमात्र इलाज है वेक्सिनाइजेशन सर्टिफिकेट का डिजिटलीकरण कर दिया जाएगा ओर हम सभी इसे एक तमगे के बतौर लेकर घूमेंगे।
ID2020 प्रोग्राम अब एक हकीकत है यह बांग्लादेश के नवजात बच्चों के वैक्सीन के डिजीटलाइजेशन के रूप में शुरू भी किया जा चुका है, फिलहाल कोरोना की वैक्सीन के डिजिटल सर्टिफिकेट को आपके स्मार्ट फोन से आपके मोबाइल नम्बर से जोड़ा जाएगा लेकिन भविष्य मे बहुत संभव है कि चिप के रूप में इसे मानव शरीर मे इम्प्लांट कर दिया जाए।.लोग खुशी खुशी इसे लगवाने को तैयार हो जाएंगे।
यह सारी कवायद सिर्फ पैसा कमाने के बारे में नही है जैसा कि कुछ लोग उसे अमेरिकी उद्योगपतियों की बैलेंसशीट में खोजने की बात कर रहे हैं यह कोरोना की सारी कवायद विश्व व्यवस्था को बदलने के बारे में है। जो भी व्यक्ति इस तरफ इशारा करता है वह सोशल मीडिया के अमेरिकी आकाओ को नागवार गुजरता है यही कारण कि हमारे जैसे लोगो को फेसबुक ने ब्लॉक कर देता है क्योंकि हम उनके कुत्सित इरादों के संकेत पाठकों को पुहंचा रहे है जो काम मुख्य मीडिया बिल्कुल भी नही कर रहा।