तीसरी लहर से पहले ही बच्चों पर कोरोना का कहर, पहाड़ी सूबे उत्तराखंड से सामने आए डरावने आंकड़े

Written by Navnish Kumar | Published on: May 20, 2021
कोरोना की पहली लहर में बुजुर्ग निशाना बने। दूसरी लहर में युवाओं में संक्रमण का प्रसार हुआ। जानकारों के अनुसार तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होगा। लेकिन पहाड़ी सूबे उत्तराखंड में अभी से दूसरी लहर के बीच ही इसके संकेत मिलने लगे हैं। यहां सिर्फ बुजुर्ग और जवान ही नहीं मासूम बच्चे भी कोरोना संक्रमण का शिकार बन रहे हैं। 



उत्तराखंड में बीते 15 दिनों के भीतर 1700 बच्चे कोरोना की चपेट में आए हैं। वैसे प्रदेश में अब तक 5151 बच्चे कोविड संक्रमित हो चुके हैं। ये आंकड़ा सचमुच में डराने वाला है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 से 15 मई तक प्रदेश में 0 से 9 आयु वर्ग के 1700 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, से आप हालात की गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं। 

बीबीसी के अनुसार, उत्तराखंड में पिछले डेढ़ माह में 16 हज़ार से अधिक बच्चे और 19 साल तक के युवक संक्रमित पाए गए हैं। स्टेट कंट्रोल रूम कोविड-19 की वेबसाइट के मुताबिक़ इनमें नौ साल की उम्र के 3,020 और 10 से 19 साल के बीच के 13,393 किशोर शामिल थे। इसी से सवाल यह उठने लगा है कि क्या उत्तराखंड में कोरोना की तीसरी लहर पहुँच चुकी है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इसमें सबसे ज़्यादा नुक़सान बच्चों-किशोरों को होगा।

वहीं विपक्ष का आरोप है कि उत्तराखंड में चाइल्ड स्पेशलिस्ट नहीं हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय कहते हैं, कि इस समय उत्तराखंड में चाइल्ड स्पेशलिस्ट नहीं हैं, उसके साथ ही कोविड से संक्रमित जो बच्चे हैं उनको किस तरह से हमको ट्रीट करना है किस तरह से उनको मनोवैज्ञानिक तरह से उनकी मदद करनी है उसकी राज्य में किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं है।

उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं, सरकार बच्चों के लिए अलग से कोविड हॉस्पिटल तैयार कर रही है, जिनमें अलग कमरों में बच्चों को रखा जाएगा। हम लोग होटलों को भी इसमें शामिल कर रहे हैं, जिससे उनको कोविड अस्पताल के रूप में तैयार कर सकें जिनमें बच्चों को सिंगल रूम फैसिलिटी दी जा रही है। जिसमें अगर बच्चे के साथ उनके मां बाप को भी रखना हो, तो उन्हें रखा जा सके। सुबोध उनियाल मानते हैं कि राज्य में चाइल्ड स्पेशलिस्ट पर्याप्त संख्या में नहीं हैं, लेकिन उनका कहना है कि जितने भी हॉस्पिटल तैयार किए जा रहे हैं उनमें चाइल्ड स्पेशलिस्ट की उपलब्धता रहेगी।

उधर, कर्नाटक में भी तीसरी लहर के आने से पहले ही बच्चों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महज 15 दिन में ही 19 हजार बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। दूसरी लहर के इन आंकड़ों से विशेषज्ञों का अनुमान है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए खासी खतरनाक हो सकती है। खास है कि कर्नाटक में कोरोना की पहली लहर के दौरान 9 मार्च से 25 सितंबर 2020 के बीच 10 साल से छोटे बच्चों के 19,378 केस और 11 से 20 साल के बच्चों के 41,985 मामले सामने आए थे। जबकि कोरोना की दूसरी लहर में सारे रिकॉर्ड टूटते नजर आ रहे हैं। महज 15 दिन (1 से 16 मई 2021) के बीच 19 हजार बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। उधर, दिल्ली में संक्रमण के कारण दो बच्चों की मौत हो गई थी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी चेताया है कि आने वाले वक्त में बच्चों को कोरोना से सुरक्षा चाहिए होगी। बच्चों के इलाज की सुविधाएं, वैक्सीन के प्रोटोकॉल अभी से ही तय हो जाने चाहिए। राहुल गांधी ने केंद्र पर हमला करते हुए लिखा कि भारत के भविष्य के लिए वर्तमान के मोदी सिस्टम को नींद से जागने की ज़रूरत है।

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