मिनिमम बैलेंस के नाम पर बैंकों ने जनता को जमकर लूटा, साढ़े 3 साल में वसूले 10 हजार करोड़ रुपये

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 22, 2018
बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस और तय सीमा से ज्यादा एटीएम ट्रांजैक्शन पर लगाए जाने वाले चार्ज से सरकारी बैंकों ने बड़ी संख्या में जनता से पैसे वसूले हैं। हाल ही में संसद में पेश हुए आंकड़ों के अनुसार, पिछले साढ़े तीन सालों के दौरान देश के सरकारी बैंकों ने मिनिमम बैलेंस और एटीएम ट्रांजैक्शन चार्ज के तौर पर देश की जनता से 10,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा वसूले हैं। 

मंगलवार को लोकसभा सांसद दिब्येन्दू अधिकारी ने संसद में इस संबंध में सवाल किया था। जिसका जवाब देते हुए वित्त मंत्रालय ने ये आंकड़े पेश किए हैं। वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बैंको को इस बात की इजाजत देता है कि वह अपनी सेवाओं के बदले में अपने ग्राहकों से कुछ चार्ज वसूल सकते हैं। ये चार्ज निर्धारित करने की जिम्मेदारी बैंकों के बोर्ड्स की हैं।

हालांकि आरबीआई के निर्देशानुसार, यह चार्ज रिजनेबल होने चाहिए और सेवाओं के औसत मूल्य से ज्यादा नहीं होने चाहिए। सरकार के जवाब के अनुसार, देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने साल 2012 तक बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस पर चार्ज लगाए थे। इसके बाद बैंक ने अपने ग्राहकों से ये चार्ज वसूलना बंद कर दिया। 

हालांकि अन्य बैंकों जिनमें प्राइवेट बैंक भी शामिल हैं, उन्होंने ये चार्ज अपने-अपने ग्राहकों से वसूलना जारी रखा। इसके बाद 1 अप्रैल, 2017 से एसबीआई ने फिर से अपने ग्राहकों से मिनिमम बैलेंस पर चार्ज वसूलना शुरु कर दिया। आंकड़ों के अनुसार, पिछले साढ़े तीन साल के दौरान सरकारी बैंकों ने बचत खातों में मिनिमम बैलेंस से कम होने पर लगाए गए चार्ज से जनता से करीब 6246 करोड़ रुपए वसूले। वहीं एटीएम में फ्री ट्रांजैक्शन की तय सीमा के बाद लगाए जाने वाले चार्ज से करीब 4145 करोड़ रुपए वसूले। इस तरह यह कुल आंकड़ा 10,391 करोड़ रुपए बैठता है।

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