मंत्रालयों और विभागों में एसटी की आरक्षित 47 प्रतिशत सीटें खाली- रिपोर्ट

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 10, 2019
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने 8 लाख से कम आय वाले सवर्णों को गरीब बताते हुए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत कोटा देने का निर्णय लिया है। मोदी सरकार का यह आरक्षण बिल कल राज्यसभा द्वारा पारित किया गया। यह अब कानून बनने से केवल एक विधायी कदम दूर है। यह कोटा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए मौजूदा 50 प्रतिशत से अधिक है। इसे पास होते ही कुल आरक्षण 60 प्रतिशत हो जाएगा। 

लेकिन आरक्षण मिलने से सभी समस्याएं हल नहीं हो जातीं। बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि आरक्षित वर्ग को नौकरी मिल नहीं रहीं, अनारक्षित वर्ग में भी बेरोजगारी का माहौल है क्योंकि सरकार ने नौकरियों में भारी कटौती की है ऐसे में इस आरक्षण का लाभ कैसे मिल पाएगा। 

जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री जसवंत सिंह भाभोर ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि विभिन्न केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों और विभागों में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 47% पद खाली थे। 2017 में, केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 6,887 रिक्तियों में से केवल 3,595 ही भरे गए थे। यानि आरक्षण के बावजूद रिक्तियां बैकलॉग में डाल दी जाती हैं जिनका लाभ बमुश्किल ही आरक्षित वर्ग को मिल पाता है। 

भाभोर ने 7 जनवरी को लोकसभा में उठाए गए एक प्रश्न के उत्तर में आंकड़े प्रदान किए। इस जवाब में 2016 के आंकड़े शामिल थे- जब एसटी के लिए आरक्षित रिक्तियों में से लगभग 30 प्रतिशत रिक्त रहे।
मंत्री ने संसद में बताया, “10 केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों में कर्मियों और प्रशिक्षण विभाग द्वारा संकलित जानकारी के अनुसार, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक / वित्तीय संस्थान, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आदि शामिल हैं। 1 अप्रैल, 2012 से 31 दिसंबर, 2016 तक एसटी के लिए 22,829 बैकलॉग रिक्तियां थीं जिनमें से 15,874 पदों को भरा गया था"।

डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक तरफ तो मंत्री ने संसद में बताया कि बैकलॉग की रिक्तियां भरी नहीं गईं वहीं दूसरे सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि एसटी के लिए आर्थिक सहायता योजनाओं के लिए जारी धनराशि में भी गिरावट आई है।  


भाभोर ने एसटी वर्ग की कल्याणकारी योजनाओं के लिए आबंटित धनराशि के बारे में बताया कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी कम मिला है। योजना और मूल्य श्रृंखला के विकास के लिए' तंत्र के लिए उपयोग किए जाने वाले धन के बारे में विवरण देते हुए, भाभोर ने संसद को बताया कि 2013-14 में 163 करोड़ रुपये से घटकर 2017-18 में 100 करोड़ रुपये पर आ गया है। सेम पीरियड में इन फंडों का उपयोग 112 करोड़ रुपये से घटकर केवल 8.59 करोड़ रुपये रह गया है।

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