सुप्रीम कोर्ट पहुंचा सामान्य वर्ग के 10% आरक्षण का मामला, NGO ने दी चुनौती

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 10, 2019
नई दिल्ली। सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने से जुड़े बिल को गुरुवार (10 जनवरी, 2019) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। यूथ फॉर इक्वैलिटी संगठन और कौशल कांत मिश्रा की ओर से इस बाबत एक याचिका दाखिल की गई। याचिका में मांग की गई कि इस बिल को निरस्त किया जाए, क्योंकि आरक्षण का सिर्फ आर्थिक आधार नहीं हो सकता है।

याचिका में बिल को निरस्त करने की दरख्वास्त करते हुए कहा गया है, “केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। बिल से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है, क्योंकि सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही आर्थिक आधार पर आरक्षण सीमित नहीं किया जा सकता है और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती है।”

बता दें कि राज्यसभा में बुधवार (नौ जनवरी) को इस बिल को मंजूरी दी गई थी। इसके पक्ष में 165 वोट पड़े, जबकि खिलाफ में सात लोगों ने वोट दिए। इससे एक दिन पहले लोकसभा ने भी इस बिल को हरी झंडी दे दी थी। इस बिल की वजह से कोटा के दायरे में अब अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के अलावा सामान्य वर्ग के लोग भी आएंगे।

हालांकि, विपक्षी दलों के नेताओं का इस बिल को लेकर कहना था, “आगामी ‘चुनावी बंधनों’ की वजह से केंद्र सरकार ने इस कानून को लेकर हड़बड़ी दिखाई है।” वहीं, जवाब में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था, “बीते वर्षों में क्रिकेट मैच के दौरान ‘छक्के जड़े गए हैं’ और आने वाले समय में ‘और ऐसे ही छक्के आना बाकी’ है।”

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