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इनकी सूरत को पहचानो भाई, इनसे संभल के रहना रे भाई...

लोकशाहीर संभाजी भगत के गीत केवल गीत ही नहीं हैं, बल्कि आज के दौर में एक ऐसी अंबेडकरवादी आंदोलनकारी आवाज़ हैं, जिस की लोकप्रियता से तानाशाही और दमनकारी शक्तियां भयभीत रहती हैं.

इनके गीत आम बोल-चाल की सरल भाषा में समाज के आडम्बर और राजीनीतिक क्षडयंत्र पर कटाक्ष करते हैं, संभाजी भगत बता रहे हैं कि किस प्रकार से आज के फासीवादी पूंजीपति जम्बो-जेट और इंटरनेट पर बैठ कर देश की धरोहर को लूट रहे हैं और आम लोगों का शोषण कर रहे हैं.