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पश्चिम बंगाल के उस इमाम से मिलिए जिसने बेटा खोकर राज्य को जलने से बचाया
पिछले साल रामनवमी पर पश्चिम बंगाल के आसनसोल में हिंसा हुई थी। इस हिंसा में मौलाना इमादुल रशिदी का बेटा मारा गया था। मौलाना के 16 वर्षीय बेटे सिब्तुल्ला रशीदी की शवयात्रा में हजारों लोग शामिल हुए थे और उनमें गुस्सा था। सभी चाहते थे कि सिब्तुल्ला की मौत का बदला लिया जाए। लेकिन मौलाना ने जो अपील की वह सभी के दिलों में उतर गई। इमादुल रशीदी ने कहा था, “मैं शांति चाहता हूं। मेरा बेटा चला गया है। मैं नहीं चाहता कि कोई दूसरा परिवार अपना बेटा खोए। मैं नहीं चाहता कि अब और किसी का घर का जले। मैंने लोगों से कहा है कि अगर मेरे बेटे की मौत का बदला लेने के लिए कोई कार्रवाई की गई तो मैं आसनसोल छोड़ कर चला जाऊंगा। मैंने लोगों से कहा है कि अगर आप मुझे प्यार करते हैं तो उंगली भी नहीं उठाएंगे। मैं पिछले तीस साल से इमाम हूं, मेरे लिए ज़रूरी है कि मैं लोगों को सही संदेश दूं और वो संदेश है शांति का। मुझे व्यक्तिगत नुकसान से उबरना होगा।”