तीस्ता सेतलवाड़ को अशोक के शिलालेखों से एक मित्र का संदेश

वरिष्ठ पत्रकार, मानवाधिकार एक्टिविस्ट व शिक्षाविद तीस्ता सेतलवाड़ जमानत पर जेल से बाहर हैं। ऐसे में उन्हें लोग विभिन्न तरीकों से शुभकामना संदेश भेज रहे हैं। तीस्ता के एक मित्र ने अशोक के शिलालेख, खंभों, शिलाखंडों और गुफाओं से शुभकामना संदेश भेजा है जो बहुत ही अद्भुत है। इस शुभकामना संदेश में तीस्ता को संविधान का सिपाही बताते हुए सम्राट अशोक के शिलालेखों पर प्रतिबिंबित लेखों के बारे में भी बात की गई है जो अहिंसा और समानता की बात की गई है जिसके अंश भारत के संविधान में भी नजर आते हैं। 

सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के रक्तपात से आहत होकर बौद्ध धर्म अपना लिया था। ये शिलालेख आधुनिक बांग्लादेश, भारत, नेपाल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सभी क्षेत्रों में फैले हुए थे, और बौद्ध धर्म की उत्पत्ति का पहला ठोस सबूत प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ शिलालेखों में से भारतीय संविधान में भी कुछ चीजें ली गई हैं। तीस्ता सेतलवाड़ के एक मित्र ने इन गुफाओं और शिलाखंडों की साइट से उनके लिए यह हार्दिक संदेश शेयर किया है।