क्या उर्दू में प्रार्थना करना भी देशद्रोह हो गया?

यूपी के पीलीभीत में एक स्कूल के हेडमास्टर को सिर्फ इसलिए सस्पेंड कर दिया गया, क्योंकि उसने स्कूल में 'लब पे आती है दुआ तमन्ना बन के' प्रार्थना करवाई थी...जिस पर कुछ लोगों ने ये कहते हुए एतराज़ किया कि ये एक धार्मिक प्रार्थना है, जो मदरसे में गाई जाती है...हैरानी की बात ये कि इस एतराज़ को गंभीरता से लेकर हेडमास्टर को सस्पेंड भी कर दिया गया....जबकि सच ये है कि ये प्रार्थना कई स्कूलों में गाई जाने वाली आम प्रार्थनाओं की तरह ही है...जिसमें छात्रों को अच्छा इंसान बनने की सीख दी गई है..तो सवाल ये कि इस इस प्रार्थना का विरोध क्या सिर्फ इसलिए हो रहा है, क्योंकि ये उर्दू में है? क्या अब अपने देश में देशभक्ति का फैसला भाषा के आधार पर होगा?



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