दैनिक पुण्यनगरी उन गिने चुने न्यूज़ पेपर में से है, जहाँ समाज के उपेक्षित और ग्रामीण वर्ग के मुद्दों को भी जगह मिलती है.
आर्थिक गिरावट भी एक कारण है जिसने आज की पत्रकारिता को सत्ता पक्ष पर ही ध्यान देने के लिए मजबूर कर दिया है, और अधिकतर मीडिया में अन्य आवाज़ों और आलोचनाओं के लिए जगह ही नहीं बची है. ऐसे हालात में भी राही भिड़े जैसे सम्पादकों ने अपनी निष्पक्ष पत्रकारिता की परंपरा बरकरार रखी है.
उन्होंने रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ और समाज के पिछड़े लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों से अवगत कराया और नसीहत दी कि इस बार के चुनाव में संवैधानिक अधिकार निशाने पर है.
महाराष्ट्र की वरिष्ठ महिला पत्रकार और राज्य की पहली प्रधान संपादक, "दैनिक पुण्यनगरी" की, राही भिड़े के साथ तीस्ता सेतलवाड़ की विशेष मुलाक़ात।
आर्थिक गिरावट भी एक कारण है जिसने आज की पत्रकारिता को सत्ता पक्ष पर ही ध्यान देने के लिए मजबूर कर दिया है, और अधिकतर मीडिया में अन्य आवाज़ों और आलोचनाओं के लिए जगह ही नहीं बची है. ऐसे हालात में भी राही भिड़े जैसे सम्पादकों ने अपनी निष्पक्ष पत्रकारिता की परंपरा बरकरार रखी है.
उन्होंने रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ और समाज के पिछड़े लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों से अवगत कराया और नसीहत दी कि इस बार के चुनाव में संवैधानिक अधिकार निशाने पर है.
महाराष्ट्र की वरिष्ठ महिला पत्रकार और राज्य की पहली प्रधान संपादक, "दैनिक पुण्यनगरी" की, राही भिड़े के साथ तीस्ता सेतलवाड़ की विशेष मुलाक़ात।