मुसहर बस्ती की महिलाओं और दर्जनों अन्य लोगों पर हथियारबंद आक्रमण और मारपीट
आशीष रंजन, कामायनी स्वामी और रजत यादव
जब दुनिया नए साल का खुशी मना रही थी, उसी दौरान बिहार के अररिया जिले में जमीदारों ने अपने हक की मांग कर रहे दलितों पर हमला किया. दबंगों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के दो लीडर की हत्या कर दी. वहां मौजूद कई दलितों को बेरहमी से पीटा. जनजागरण शक्ति संगठन के आशीष रंजन, कामायनी स्वामी और रजत यादव उस गांव में गए जहां हमला हुआ था. उन्होंने जख्मी लोगों से बात की. दाने-दाने को मोहताज इन दलितों का जो हाल देखा वह एक सक्षिप्त रिपोर्ट के रूप में पेश है. यह जांच रिपोर्ट नहीं है.
कहाँ की घटना है ?
यह घटना अररिया जिला के रहरिया गाँव की है | यह गाँव अररिया से सिर्फ 30-35 किलोमीटर की दूरी पर है | मोटर गाड़ी से 30-40 मिनट में पहुंचा जा सकता है | सड़क बहुत अच्छी है | रानीगंज से भरगामा जाने वाली मुख्य सड़क से आधे किलोमीटर की दूरी पर एक छोटी सी बस्ती है | यहाँ मुसहर जाति के लोग रहते हैं | उनके करीब 10-15 घर हैं | बस्ती के अगल बगल जमींदारों का कामत[1] है | एक-एक कामत इनकी पूरी बस्ती के आकार का है | जमींदार पास के ही बेलसारा गाँव में रहते हैं | यहाँ उनका कामत है, खेत है | इस टोला के पास ही महादलितों की एक बड़ी बस्ती है, 50-60 घर हैं और यह बरदा टोला के नाम से जाना जाता है | बरदा टोला रानीगंज थाना के क्षेत्र में पड़ता है और रहरिया का मुसहर टोला भरगामा थाना के अंतर्गत आता है |
सामजिक आर्थिक पृष्ठभूमि
बरदा और रहरिया के ऋषिदेव अंत गरीब हैं | इनकी जाति बिहार सरकार के अनुसार महादलित श्रेणी में है यानी जाती व्यवस्था की अंतिम पायदान पर आते हैं | मजदूरी इनके जीविका का मुख्य स्रोत है | कुछ पुरुष दिल्ली पंजाब जाकर कमाते हैं, कुछ खेतिहर मजदूर हैं | औरतें खेतों में काम करती हैं | इलाके के ज्यादातर ऋषिदेव के पास खेती की कोई जमीन नहीं है | रहरिया में कुछ जमीन इन्हें मिली है, बटाई पर |
घटना के दिन
1 जनवरी को कमलेश्वरी ऋषिदेव और भा.क.पा (माले) के जिला सचिव सत्यनारायण प्रसाद की दिन-दहाड़े हत्या कर दी गयी | कई लोगों को घायल कर दिया गया | यह हत्या रहरिया में हुई | रहरिया के ऋषिदेव टोला के लोगों से बातचीत पर पता चला कि सवेरे करीब 10 बजे सत्यनारायण प्रसाद और कमलेश्वरी रहरिया में एक मीटिंग कर रहे थे, अपने संगठन का सदस्य बना रहे थे | वहीँ आक्रमण हुआ | लोगों का कहना है कि बौआ यादव, मजोज यादव, मनीष यादव और मनोज राय के साथ करीब 200 लोग आये थे | उनके पास फरसा, कुल्हारी, तीर धनुष और बन्दूक थी | चारो तरफ से टोला को घेर लिया गया था | उन्होंने महिलाओं को बेरहमी से पीटा, चार पुरुष को बंधक बना कर पास की कामत पर ले गए और उनको पिलर से बाँध दिया | कमलेश्वरी और सत्यनारायण प्रसाद सुधीर ऋषिदेव के घर में छुप गए थे | उन्हें ढूंढ कर निकाला गया | सुधीर ऋषिदेव के आँगन में खूब मारा गया गया, शायद वहीँ मर गए थे दोनों | फिर इन दोनों को बाँस में बांधकर वहाँ से ले गए | बंधक बनाए गए एक पुरुष ने कहा कि भरगामा पुलिस आई थी लेकिन हमें छुड़ा कर ले जाने की उनकी हिम्मत नहीं हुई| उसने कहा कि पुलिस वाले जमींदारों से कह रहे थे कि इन्हें छोड़ दिया जाए पर जमींदार लोग मानने को तैयार नहीं थे | वे पुलिस से कह रहे रहे थे “तुम्हे 5 लाख रु की घूस मुसहरों को छोड़ने के लिए दिया है क्या” ? “मुसहरों को काटने के लिए ही घूस दिया है” | बंधक बनाए गए पुरुष ने कहा कि भरगामा की पुलिस का उनको कोई डर नहीं था | रानीगंज की पुलिस आई और तब उन्होंने इन्हें मुक्त कराया | इन्हें टेम्पो पर बैठा कर अररिया अस्पताल भेज दिया गया | फिर वहां से पूर्णिया अस्पताल भेजा गया | इनका कहना था कि पुलिस के सामने ही जमींदार लोग इन्हें मार रहे थे पर पुलिस ने उनको नहीं पकड़ा | लोगों का कहना था कि कमलेश्वरी और सत्यनारायण को ढूँढने के लिए भी पुलस नहीं गयी, पुलिस ने कहा कि शाम हो गयी है | अगले दिन, 2 तारीख को उनकी लाश मिली |
वहाँ कि औरतों ने अपने जख्म दिखाते हुए कहा कि कई आक्रमणकारी को अच्छी तरह पहचानते हैं क्यूंकि ज़माने से उनके खेत पर काम करते आये हैं | लोग बार बार बउआ यादव, मजोज यादव, मनीष यादव और मनोज राय का नाम लेते हैं | साथ में टिप्पण ऋषिदेव का नाम लेते हैं जो इसी टोला में रहता है और जमींदारों का नौकर है | महिलाओं ने कहा कि मारते वक्त वह कह रहे थे “मादरचोद जमीन लेभी” | औरतों ने कहा कि हमने बार-बार उनसे विनती की पर वह नहीं माने और लोगों को लगातार मारते रहे | कमलेश्वरी ऋषिदेव की पत्नी रेखा देवी का कहना है कि पुलिस के सामने ही यह हमला हुआ | पुलिस की जीप कामत पर लगी हुई थी जब हमला कर कमलेश्वरी और सत्यानारण को मार डाला गया |
लोगों ने कहा कि उन्हें पता नहीं था कि कामत पर इतने लोग आये हुए हैं | जमींदार के कुछ गुंडे जरूर कुछ समय से रह रहे थे पर इतनी संख्यां में लोग होंगे इसका कोई अंदाजा नहीं था | पर यह सब कुछ अचानक हुआ | उन्हें लगता है कि मीटिंग की खबर टिप्पण ऋषिदेव ने उन्हें दी | टिप्पण ऋषिदेव जमींदार का नौकर है और जब आक्रमण हुआ तो वही लोगों को पहचान कर बता रहा था | उन्हें लगता है कि मारने कि योजना पहले से बनायी गयी थी | इस हमले में 9 लोग अधिक घायल हुए और उन्हें अस्पताल भेजा गया |
कौन थे कमलेश्वरी ऋषिदेव और सत्यनारायण प्रसाद?
कमलेश्वरी ऋषिदेव और सत्यनारायण प्रसाद भा.क.पा (माले) से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे | कमलेश्वरी चौक पर एक मिठाई की दूकान चलाते थे | बेहद गरीब परिवार से थे कमलेश्वरी | हम उनके घर गए तो उनके घर में एक चौकी भी नहीं दिखी | फूस का घर, ना के बराबर सामन | अंत गरीब कहा जा सकता है उन्हें | लोग कमलेश्वरी को अपना नेता मानते हैं | सत्यनारायण प्रसाद भा.क.पा. (माले) के जिला सचिव थे | उनका घर भरगाम प्रखंड के पैकपार पंचायत में है जो रहरिया से काफी दूर है |
कमलेश्वरी ऋषिदेव बरदा टोला में रहते थे | पहले वह रहरिया वाली बस्ती में रहते थे, वही उनका घर था |
घटना की वजह : जमीन को लेकर दो पक्षों में विवाद
ऋषिदेव टोला के लोगों से पता चला कि रहरिया ऋषिदेव टोला के आसपास की करीब 7 एकड़ और बरदा टोला के आसपास की 42 एकड़ जमीन को लेकर जमींदार और ऋषिदेव लोगों में विवाद चल रहा है | रहरिया में कमलेश्वरी के पास दादा के नाम की कुछ सिकमी[2] जमीन है जिसे जमींदार हथियाना चाहते हैं| बरदा टोला के पास करीब 42 एकड़ की जमीन है जिसपर ऋषिदेव टोला के लोग अपना हक़ जता रहे हैं | ऋषिदेव लोगों का कहना है कि यह जमीन सरकारी है और बाप दादा के जमाने से वह यहाँ बसे हुए हैं | बरदा टोला से सटे जो जमीन है उसके कुछ हिस्सों पर ऋषिदेव लोगों ने हाल में अपना घर भी बाँधा है | इन दोनों जगह ऋषिदेव समुदाय का नेत्रित्व कमलेश्वरी ऋषिदेव कर रहे थे | कोर्ट कचहरी का काम वही संभाल रहे थे |
पहले भी की गई थी मारपीट
टोला की महिलाओं ने कहा कि दो महीने पहले जमींदार खेत कब्जा करने आये थे | टोला की कुछ महिलाओं ने जाकर रोकना चाहा था | तब उनकी खूब पिटाई हुई थी | थाना वाले भी आये थे | महिलाओं ने कहा कि कमलेश्वरी के साथ वे अररिया के हरिजन थाना पर भी गयी थीं पर थाना वाला 1500 रु मांग रहा था | उन्हें पता नहीं था कि कोई केस दर्ज हुआ या नहीं | वहां मजूद लोगों ने कहा कि जमीन विवाद को लेकर भरगामा थाना ने दोनों पार्टी को बुलाया था | यह तय हुआ था कि अमीन जाकर ज़मीन की नापी करेगा | तारीख भी तय हुआ था पर उसके पहले ही यह काण्ड हो गया | ऋषिदेव टोला के लोगों के अनुसार दो महीने पहले, अक्टूबर में, जमींदारों ने उनका खेत जोत दिया और फसल लगा दिया है पर इन लोगों ने कोई भी हिंसा नहीं की | सिर्फ विरोध किया | इनका मानना है कि कानून जो भी फैसला करेगा वह मानेंगे और कानूनी रास्ते से ही जमीन लेंगे | बरदा टोला में लोगों ने कहा कि उनके टोला की जमीन को जमींदारों के दवाब में आकर गलत ढंग से बेच दिया गया | ऋषिदेव समुदाय के लोगों के अनुसार अंचल अधिकारी ने खुद कहा था कि बरदा टोला की यह जमीन सरकारी है, इसकी बिक्री कैसे हो गयी? इस जमीन पर तीन हरिजन परिवार को को पट्टा भी दिया गया है और पोखर भी खुनवाया गया है जिसपर वह मछली पालन कर रहे हैं | लोगों ने कहा कि हमने जमीन परती रखी हुई है और जमींदारों का दखल नहीं होने देंगे |
हत्या की प्राथमिकी और रेखा देवी के बयान में अंतर
प्रथिमिकी (फ.आई.आर) कमलेश्वरी की पत्नी रेखा देवी के नाम से दर्ज हुआ है - SC/ST थाना केस संख्यां 1/17 | प्राथमिकी में इस बात का जिक्र है कि जमींदार के लोग 1 तारीख को कमलेश्वरी के पोखर पर मछली मार रहे थे| कमलेश्वरी और अन्य साथीयों ने आपत्ति किया तो उनपर आक्रमण हुआ | पर मछली मारने वाली बात रहरिया टोला के लोगों ने नहीं कही | कमलेश्वरी की पत्नी रेखा देवी ने कहा कि मछली मारने को लेकर विवाद नहीं हुआ | उनका कहना है कि जमींदार के लोग पोखर से मछली मारे थे पर इन्होने उनसे कुछ नहीं कहा | रेखा देवी के अनुसार पार्टी सदस्यता के लिए मीटिंग हो रही थी और तभी हमला हुआ | उन्होंने कहा कि पुलिस के सामने यह हमला हुआ, पुलिस की जीप जमींदार की कामत पर लगी हुई थी और उसके बाद हमला हुआ | प्राथमिकी और रेखा देवी द्वारा हमें दिया गया बयान में अन्तर है | जब उनसे प्राथमिकी में मछली मारने वाली बात की गयी तो उनका जवाब आया कि ऐसा नहीं हुआ, पुलिस ने गलत लिख दिया है |
एकतरफा हमला था
हमने कई लोगों से बातचीत की | यही लग रहा था कि आक्रमण एकतरफा हुआ था | कमलेश्वरी और साथी बहुत कम संख्यां में थे और एक छोटी सी मीटिंग कर रहे थे | उन्हें आक्रमण का कोइ अंदाजा नहीं था | जमींदार लोग पहले से ही खेत पर कब्जा कर रखे थे | रहरिया का ऋषिदेव समुदाय उनसे मजबूती से लड़ने और जवाब देने की स्थिति में नहीं था/है | बरदा टोला के ऋषिदेव लोग ज्यादा सक्षम हैं और उन्होंने विवादित जमीन पर कब्जा होने नहीं दिया है | कामरेड सत्यनारायण पार्टी की रसीद लेकर आये थे मीटिंग में लोगों को जोड़ने और जमीन के बारे में चर्चा करने | जमींदारों का कामत रहरिया टोला से सटा हुआ है, सड़क के इस पार टोला है और सड़क के उस पार कामत | कई माल मवेशी हैं पर उस दिन के बाद यहाँ कोई नहीं रहता फिर भी कामत पूरी तरह सुरक्षित है | यह इस बात का सबूत है कि रहरिया के ऋषिदेव समुदाय के लोगों के दिमाग में हिंसा करना नहीं है | बोलते समय रोते हैं, जख्म दिखाते हैं लेकिन जमींदारों को गाली नहीं देते, बदला और हिंसा की बात नहीं करते | इस टोला में सिर्फ 10-15 परिवार रहते हैं | बेहद गरीब हैं सब | नौजवान दिल्ली पंजाब में जाकर मजदूरी करते हैं | अगर इन्हें जमीन मिल जाए तो यह अपना गुजारा कर सकते हैं | पास के बरदा टोला में 50-60 परिवार रहते हैं | वहाँ के लोग कहते हैं कि जमीन का संघर्ष छोड़ेंगे नहीं | इन सभी पर 107 का केस चल रहा है | केस में फंसे हुए हैं और पैसा है नहीं |
पुलिस और प्रसाशन की भूमिका पर सवाल
पुलिस और प्रशाशन की भूमिका पर कई सवाल उठते हैं | 1 तारीख को जब कमलेश्वरी और सत्यनारायण नहीं मिले तो उन्होंने उनकी खोज क्यूँ नहीं की ? गाँव वालों के अनुसार पुलिस का कहना हुआ कि शाम हो गयी है | अक्टूबर माह में जब महिलाओं को जमीन विवाद के कारण पीटा गया तो प्रसाशन सचेत क्यूँ नहीं हुआ ? क्या कोई केस दर्ज किया गया ? इन्हें सुरक्षा क्यूँ नहीं दी गयी ? 1 तारीख को पुलिस के सामने बंधक बनाए गए लोगों को मारा गया | वहां किसी को गिरफ्तार क्यूँ नहीं किया गया ? भरगामा पुलिस का कोई डर इन अपराधियों को नहीं था | बार बार घूस लेने की बात सामने आती है | रेखा देवी का कहना है कि पुलिस के सामने हमला हुआ | विवादित पोखर में मछली मारने के कारन हुए झंझट से रेखा देवी इनकार करती हैं|| रेखा देवी के बयान और पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी जो इन्ही के आम पर है, अंतर है | क्या यह सच है ? इन सब बातों की जांच होनी चाहिए |
(यह रपट जन जागरण शक्ति संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा लिखी गयी | 10 जनवरी को संगठन के तीन कार्यकर्ता, रजत यादव, आशीष रंजन और कामायनी स्वामी रहरिया गाँव और बरदा टोला गए थे |यह रपट वहां के लोगों से हुई बातचीत पर आधारित है | जन जागरण शक्ति संगठन असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों का एक ट्रेड यूनियन है |)
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