गाय और दलित-मुसलमान एकता !

 
गाय और दलित-मुसलमान एकता !
 

दिलीप मंडल

गाय का चमड़ा छीलने का जातीय पेशागत काम करने वाले ये चारों युवक दलित हैं। पीटने वाले सवर्ण गुंडे हैं। तस्वीर गुजरात की है। हरियाणा के दुलीना में इसी अपराध में पांच दलितों की पीटकर हत्या कर दी गई थी। सरकार बनने के बाद से RSS ने जब गाय की राजनीति शुरू की तभी मैंने लिखा था कि इसकी मार मुसलमानों पर कम और दलितों पर ज्यादा पड़ेगी। आप घटनाओं को गिनकर देखिए। गाय की राजनीति में जितने मुसलमान अब तक मरे हैं, उससे तीन से चार गुना दलित मरे हैं। दलितों का गाय से संबंध मरी गाय को ठिकाने लगाने, चमड़ा उतारने, चमड़ा पकाने, रंगने से लेकर जूते तक का रहा है। भारत में मरी हुई गाय दलितों का जिम्मा है। मरा जानवर खाना उनका शौक नहीं, सदियों से चली आ रही मजबूरी है। गाय का चमड़ा उतारना शास्त्र सम्मत पेशा बताया गया। कहने को गाय जिनकी माता है, वे भी मरने के बाद अपनी मां का अंतिम संस्कार नहीं करते। अपनी मां को सड़ने के लिए फेंक देते हैं कि कोई दलित उसे ढोकर ले जाए। 

 

गाय के नाम पर इंसान की हत्या करने वालों को इस बात की कहां परवाह कि उनकी लाखों गोमाताएं कचरा और प्लास्टिक खा रही हैं। गाय की राजनीति दलितों और मुसलमानों को एकजुट करेगी। यह देश की लगभग 30% (17+13) आबादी है। इसमें ऊपर से आदिवासी तथा ईसाई भी जुड़ते हैं और ओबीसी का एक हिस्सा भी, जो ब्राह्मणवाद से तमाम और कारणों से त्रस्त है। ध्यान रहे कि 31% वोट के बूते बीजेपी देश में बहुमत का राज चला रही है। गाय की राजनीति ब्राह्मणवादियों को बहुत महंगी पड़ने वाली है। यूपी चुनाव पर नजर रखिए। यूपी में दलित और मुसलमान का साझा आंकड़ा 40% के आसपास का है। यहां 35% से कम पर बहुमत की सरकार बन जाती है। 

मोहन भागवत जी कौन है असली हिंदू ?

गुजरात के सोमनाथ में दलित को गोरक्षकों ने नंगा कर गाड़ी में बांधकर पूरे शहर में घुमाया। लोहे की रॉड से पीटा गया। RSS को शिकायत है कि हिंदू घट रहे हैं। ऐसे बढ़ेगा हिंदू धर्म? मोहन भागवत बताएं कि हिंदू कौन हैं? वे गोरक्षक तालीबान गुंडे या ये दलित। 

गोरक्षक तालीबान!
तालीबान
अपनी मरी हुई माता को वे उठाएंगे नहीं, 
छुने से उन्हें पाप लगता है 
सड़ने से बदबू आएगी, 
इसलिए लाश हटानी पड़ेगी. 
ब्राह्मण धर्मग्रंथों के हिसाब से 
यह दलितों का काम है. 
मां की लाश उठाने का खर्चा 
वे देंगे नहीं
लाश हटाने वाले, 
गाय की खाल उतारकर 
बेल्ट, जूते और पर्स बनाने वाले दलितों को 
गाड़ी में बांधकर शहर में घुमाएंगे
मारेंगे, कूटेंगे....
वे कौन हैं?
वे भारत के तालीबान हैं

इन दलित आंखों में 
जो दर्द का समंदर है,
वह ब्राह्मणवाद को बहा ले जाएगा।