असलहों की ट्रेनिंग से हिन्दू संगठन लगातार दे रहे अखिलेश सरकार को चुनौती

असलहों की ट्रेनिंग से हिन्दू संगठन लगातार दे रहे अखिलेश सरकार को चुनौती

वाराणसी: अभी अयोध्या और नोएडा में बजरंग दल के शस्त्र ट्रेनिंग कैंप का विवाद थमा भी नहीं है कि अब वाराणसी में विश्व हिंदू परिषद ने लड़कियों के जिन हाथों में कलम और किताब होनी चाहिए थी VHP की दुर्गावाहिनी ने उन हाथों में राइफल थमा दी है ।  महिला शाखा दुर्गावाहिनी और मातृशक्ति महिलाओं को हथियार चलाना सिखा रही है। दावा किया जा रहा है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और आतंकियों से लोहा लेने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है।

ट्रेनिंग कैंप में 11 जिलों की लड़कियां और महिलाएं शामिल हैं। ट्रेनिंग कैंप की वर्ग अधिकारी कहती हैं कि महिलायों को ये ट्रेनिंग इसलिए भी दी जा रही है क्योंकि आतंकी महिलाओं के हाथों नहीं मरना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसे में उन्हें मरने के बाद जन्नत नहीं मिलेगी।

हाथ में राइफल लेकर निशाना साधते ये है दुर्गावाहिनी शाखा की लड़कियां हैं जो इन दिनों वाराणसी में हथियारों की ट्रेनिंग ले रही हैं। एक हफ्ते से इन्हें बंदूक चलाने और निशाना साधने के गुर सिखाए जा रहे हैं।ताकि ये आत्मनिर्भर बनें और आतंकियों से लोहा ले सकें।

जिन लड़कियों के हाथों में कलम और किताब होनी चाहिए थी दुर्गावाहिनी ने उन हाथों में राइफल थमा दिए। इस बारे में शालिनी सोनी, रुपाली केशरवानी, समृद्धि अवस्थी का कहना है कि ‘राइफल चलाना सीखकर हम आतंकियों को मुंहतोड़ जबाब देंगे।’ इन लड़कियों ने बताया कि उनके घर वालों ने अपनी मर्जी से ट्रेनिंग के लिए यहां भेजा है। जब ये यहां से सीख लेंगी तो अपने गांव के लोगों ट्रेनिंग देंगी।

ट्रेनर रिचा वर्मा ने कहा, ऐसा नहीं है कि इस कैंप में सिर्फ बंदूक चलाने की ही ट्रेनिंग दी जा रही है। यहां लाठी चलाना, कराटे और शरीर को फिट रखने के गुर भी बताए जाते हैं। इसके अलावा कुम्फु और दुश्मन को ढ़ेर करने के अलग-अलग तरीके भी बताए जा रहे हैं।


ट्रेनिंग कैंप के वर्ग अधिकारी कमला मिश्रा ने बताया, ‘इस ट्रेनिंग कैंप में पूर्वांचल के 11 जिलों से करीब 100 लड़कियां और महिलाएं आई हैं। मिश्रा का कहना है कि ट्रेनिंग का मकसद लड़कियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना और आतंकवादियों से लोहा लेना है। महिलाओं को ये ट्रेनिंग इसलिए भी दी जा रही है क्योंकि आतंकी महिलाओं के हाथों नहीं मरना चाहते हैं। उनका मनना है कि ऐसे में उन्हें ‘जन्नत’ नहीं मिलेगी।


विश्व हिंदू परिषद के विभाग संगठन अधिकारी बताते हैं कि वर्तमान में राष्ट्र पर जो संकट है ऐसे में राष्ट्र रक्षा, समाज की रक्षा और आत्मरक्षा के लिए ये प्रशिक्षण जरूरी है। आवश्यकता पड़ने पर सेना की दूसरी पंक्ति के रूप में जहां बजरंग दल खड़ा होगा, वहीं दुर्गावाहिनी की बहनें साथ-साथ खड़ी होंगी। 10 साल बाद ये अवसर आया है जब काशी में ये शिविर आयोजित किया गया है।